IIT BHU की छात्रा से बलात्कार के आरोपी छेड़खानी के मकसद से रात में अक्सर करते थे कैंपस की सैर

वाराणसी। IIT BHU कैंपस सुर्खियों में है। मामला IIT BHU में हुए गैंगरेप से जुड़ा है। बनारस पुलिस ने अपराध के दो महीने बाद तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया है। यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि इनका संबंध भाजपा से है। पहला आरोपी कुणाल पांडेय BJP का IT सेल महानगर संयोजक है। सक्षम पटेल IT सेल महानगर सह संयोजक है वहीं तीसरा आरोपी अभिषेक उर्फ आनंद चौहान IT सेल का सदस्य है।

मुख्य बात है कि गिरफ्तारी के बाद अपने बयान में उन्होंने कबूल किया है उनपर छेड़खानी के अन्य तीन मामले दर्ज हैं और IIT और BHU कैंपस में वो मौके की तलाश में अक्सर आते रहते थे। यह तीनों लड़के ना केवल आईटी सेल के सक्रिय मेंबर्स भी थे बल्कि इनकी पहुंच का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, BJP प्रमुख जेपी नड्डा, केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी, स्वतंत्र देव सिंह जैसे बड़े-बड़े नेताओं के साथ इनकी तस्वीरें देंखी जा सकती हैं।

अपराध को अंजाम देने के बाद तीनों लड़के मध्य प्रदेश में बीजेपी का चुनाव प्रचार करते रहे। तीनों लड़के कैंट विधायक सौरभ श्रीवास्तव के बेहद करीबी माने जाते हैं और इनकी कई घरेलू तस्वीरें सोशल मीडिया पर सर्कुलेट हो रही हैं। तीनों फिलहाल न्यायायिक हिरासत में हैं।

पूरे मामले को समझने के लिए हम पहले इस मामले को सिलसिलेवार ढंग से देखते हैं:-

(1) 1 नवंबर 2023 को रात करीब डेढ़ बजे तीनों आरोपियों ने IIT BHU में शिकायतकर्ता लड़की के साथ सेक्सुअल हैरेसमेंट किया और कपड़े उतरवा कर जबरन किस करने की कोशिश की। इस के साथ इसका वीडियो भी रिकॉर्ड किया।

(2) 2 नवंबर को इस मामले का पता चलते ही सुबह 10 बजे से IIT BHU में डायरेक्टर ऑफिस के बाहर बहुत बड़ा आंदोलन शुरू हो गया। हजारों की संख्या में स्टूडेंट्स जुट कर न्याय की मांग करने लगे। उनकी एक प्रमुख मांग थी कि आईआईटी BHU कैंपस में बाहरी व्यक्ति का प्रवेश बंद हो।

IIT और जिला प्रशासन ने मिलकर यही से मामला डायवर्ट करना शुरू कर दिया। छात्र-छात्राओं के प्रतिनिधियों ने प्रशासन से मिलकर अपनी मांग रखी तो प्रशासन ने BHU और IIT BHU को अलग करते हुए दोनों के बीच बाउंड्री खड़ी करने का निर्णय ले लिया। आपको बताते चलें कि BHU और IIT BHU दोनों एक ही बड़े कैंपस के हिस्से हैं। BHU के विश्वनाथ मंदिर के दूसरे तरफ से IIT BHU का कैंपस शुरू हो जाता है।

पुलिस ने 3 दिन में आरोपियों को पकड़ लेने का आश्वासन दिया। इसके बाद छात्रों ने अपना आंदोलन रात 11 बजे खत्म कर दिया। पुलिस प्रशासन के तरफ से ACP प्रवीण सिंह पूरे घटनाक्रम में मौजूद रहे थे इनकी भूमिका पूरे घटनाक्रम में संदिग्ध मानी जा रही।

(3) 3 नवंबर को पीड़िता के लिए न्याय की मांग करते हुए लड़कियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने, GSCASH लागू करने और कैंपसों का विभाजन करते हुए दीवार बनाने जैसे भ्रामक मुद्दों के खिलाफ शाम से BHU की लड़कियों का लंका गेट पर धरना शुरू हो गया।

आंदोलन के दौरान ही अंदरूनी खबरें आने लगीं कि आरोपियों का संबंध भाजपा से है और इनकी पहुंच दूर तक है इसलिए पुलिस इन्हें गिरफ्तार नहीं कर रही। आंदोलन के दौर तत्कालीन ACP प्रवीण सिंह ने यह कबूल किया कि IIT का आंदोलन उन्हें जल्दी से जल्दी खत्म करवाना था इसलिए दीवार बनाने का निर्णय लिया गया ताकि छात्र अपना आंदोलन खत्म करें।

लड़कियों का आंदोलन शुरू होते ही BHU प्रशासन और ABVP ने अपना चरित्र दिखाते हुए आंदोलन में जाने वाली लड़कियों को डराना शुरू कर दिया और लड़कियों के हॉस्टलों के गेट बंद कर दिए। ABVP ने एजेंडा लेकर आंदोलन का दुष्प्रचार किया। इन सब के बावजूद भी लड़कियां आंदोलन में भागीदारी करती रहीं।

(4) 4 नवंबर को महिला महाविद्यालय में आंदोलन की जानकारी देने गईं कुछ लड़कियों के साथ ABVP की लड़कियों और महिला महाविद्यालय के डिप्टी चीफ प्रॉक्टर ने बदसलूकी की। ABVP की इन हरकतों को संरक्षण देने वाली महिला महाविद्यालय की प्रिंसिपल रीता सिंह को ABVP के कार्यक्रम में आते जाते देखा जा सकता है।

4 नवंबर की शाम से ही ABVP के लंपट धरनास्थल पर हमले के इरादे से जुटने लगे थे। इसकी आशंका देखते हुए आंदोलनकारियों ने सुरक्षा की मांग करते हुए चीफ प्रॉक्टर के नाम एक ज्ञापन दिया था।

(5) 5 नवंबर को पुलिस और प्रशासन के रवैए के खिलाफ छात्रों ने प्रधानमंत्री, BHU वाइस चांसलर, IIT के डायरेक्टर का पुतला जलाने की कोशिश की। इसी दौरान BHU के गार्ड्स ने लड़कियों के साथ धक्का मुक्की की जिसमें कई लड़कियों को चोटें आईं।

इसके तुरंत बाद ABVP ने प्रॉक्टोरियल बोर्ड और पुलिस प्रशासन की मौजूदगी में लड़कियों पर हमला किया। ABVP ने लड़की के न्याय का मामला डायवर्ट करते हुए सिर्फ दीवार की बात पर फोकस किया ताकि आरोपियों की गिरफ्तारी का दबाव ना बने।

(6) 6 नवंबर को ABVP ने 5 लड़कियों समेत कुल 18 लोगों पर फर्जी FIR दर्ज करा दिया। एफआईआर में SC-ST एक्ट आदि की धाराएं लगाई गईं ताकि गिरफ्तारी के डर से कोई आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए आंदोलन करने की कोशिश न करे। वहीं IIT BHU में छात्रों ने 3 दिन की अवधि खत्म होने के बाद डायरेक्टर के कार्यालय का घेराव किया और न्याय की मांग की।

(7) 9 नवंबर को पीड़िता ने अपने बयान में गैंगरेप को स्वीकार करते हुए FIR में धारा बढ़वाई।

(8) 30 दिसंबर को अपराध के दो महीने बाद पुलिस ने तीनों आरोपियों को गिरफ्तार किया।

(9) 2 जनवरी को IIT BHU ने अपने छात्रों को मीडिया से बात न करने की हिदायत देते हुए नोटिस जारी किया।

पूरे घटनाक्रम में पुलिस प्रशासन, BHU और आईआईटी प्रशासन के चरित्र पर गहरे सवाल उठ रहे हैं। पूरे मामले में इनकी कार्यप्रणाली संदिग्ध रही है।

घटनाक्रम पर उठ रहे सवाल:-

(1) मामला लड़की के साथ न्याय का है, और पूरे कैंपस में लड़कियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का है तो कैंपस में दीवार उठाने की बात कहां से आई? क्या दीवार उठाकर सेक्सुअल हैरेसमेंट को खत्म किया जा सकता है? क्या यह मामले को भटकाने के लिए प्रशासन की सोची समझी चाल थी?

(2) जब CCTV फुटेज पुलिस के पास पहले से मौजूद थी यानी इनकी पहचान पहले ही हो चुकी थी, तो गिरफ्तारी दो महीने बाद क्यों हुई? क्या मध्य प्रदेश, राजस्थान आदि के चुनाव खत्म होने तक गिरफ्तारी ना करने के पीछे BJP का दबाव था?

(3) NIA समेत अन्य एजेंसियां अखबारों के माध्यम से धरनारत छात्रों को डराने का प्रयास करती रहीं। दलाल अखबार यह न्यूज छापते रहे कि तमाम सरकारी एजेंसियां छात्रों के आंदोलन पर पैनी निगाह रखे हुए हैं। तो क्या इनकी पैनी नजर इन आरोपियों तक नहीं पहुंच पाई? इन तीनों आरोपियों ने कथित रूप से मध्य प्रदेश में बीजेपी के लिए चुनाव प्रचार भी किया है। गिरफ्तारी से करीब 15 दिन पहले तीनों आरोपी बनारस वापस आ चुके थे। खुफिया विभाग आखिरकार इन तक कैसे नहीं पहुंच पाया?

(4) बिना बड़े संरक्षण के इन तीनों आरोपियों को बचाना असंभव था। तो वो कौन लोग हैं जिन्होंने इन्हें गिरफ्तारी से बचा रखा था? अभी भी पुलिस ने इन्हें रिमांड पर लेने की अर्जी क्यों नहीं डाली है?

(5) तीनों आरोपी अपना फोन इस्तेमाल कर रहे थे जिससे इनका लोकेशन ट्रेस करके गिरफ्तारी की जा सकती थी। पुलिस ने ऐसा क्यों नहीं किया? यह आश्चर्य की बात है कि ACP प्रवीण सिंह का तबादला होते ही तीनों आरोपियों की गिरफ्तारी हो गई।

(6) 5 नवंबर को BHU के छात्रों पर हमला करने के बाद उन्होंने फर्जी मेडिकल बनवा कर 18 लोगों पर फर्जी FIR दर्ज करवाई। यह FIR ACP प्रवीण सिंह के द्वारा दर्ज किया गया था। BHU के चीफ प्रॉक्टर ने भी भ्रामक बयान दिया। इस पूरे मामले में किसका हाथ था? किसके कहने पर चीफ प्रॉक्टर भ्रामक बयान दे रहे थे? इस पूरे मामले पर अब तक जांच क्यों नहीं हुई?

जितने गंभीर सवाल उठ रहे उससे यह साफ है कि इस मामले में शीर्ष नेतृत्व ही लड़कों को बचाने में लगा था। बीजेपी के चाल चरित्र को देख कर यह अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है। चाहे कुलदीप सिंह सेंगर हो या सोनभद्र के दुद्धी के विधायक राम दुलार, BJP बलात्कारी जनता पार्टी के रूप में खुलकर सामने आ गई है।

IIT BHU के इस पूरे मामले में अभी कई और परतें खुल कर सामने आना बाकी है। पीड़िता के साथ-साथ जिन 18 लोगों पर संगीन मामले में ABVP ने फर्जी FIR करवाई है उनको भी न्याय का इंतजार है।

(आकांक्षा आजाद की रिपोर्ट।)

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