ADR की राष्ट्रपति मुर्मू से गुहार, कहा- ‘विकसित भारत संकल्प यात्रा’ में अधिकारियों के शामिल होने पर लगाएं रोक

नई दिल्ली। मोदी सरकार ने 9 साल की उपलब्धियों को जनता के बीच प्रचारित करने के लिए ‘विकसित भारत संकल्प यात्रा’ निकालने का ऐलान किया है। यह यात्रा देश के सभी जिलों में जायेगी और यात्रा का प्रभारी केंद्र सरकार के विभिन्न विभागों में काम कर रहे वरिष्ठ अधिकारियों को सौंपी गयी है। यह यात्रा 20 नवंबर से 26 जनवरी तक निर्धारित है।

कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों ने अधिकारियों के राजनीतिक इस्तेमाल पर विरोध जताया है। अब एक पूर्व नौकरशाह ने इस मामले में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से हस्तक्षेप करने की अपील की है।

पूर्व केंद्रीय सचिव ई.ए.एस. सरमा और एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) के संस्थापक जगदीप छोकर ने नरेंद्र मोदी सरकार की ‘विकसित भारत संकल्प यात्रा’ के लिए सरकारी कर्मचारियों की तैनाती को रोकने के लिए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से हस्तक्षेप की मांग की है।

आकाशवाणी समाचार के अनुसार, यात्रा देश भर में सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का प्रचार करेगी और इसका लक्ष्य “निम्न मध्यम वर्ग” है। केंद्रीय संचार ब्यूरो ने यात्रा के लिए हिंदी, अंग्रेजी, पंजाबी और उर्दू में लगभग 3.34 करोड़ कैलेंडर, 88 लाख पॉकेट बुकलेट और 1.67 करोड़ ब्रोशर मुद्रित करने के लिए सोमवार को एक निविदा जारी की।

केंद्रीय आर्थिक मामलों के पूर्व सचिव ई.ए.एस. सरमा और एडीआर के संस्थापक जगदीप छोकर ने मुर्मू को लिखे पत्र में 17 अक्टूबर को केंद्र के कार्मिक विभाग के एक कथित सर्कुलर का हवाला दिया और कहा कि उन्होंने सभी मंत्रालयों को अपने अधिकार क्षेत्र के तहत वरिष्ठ अधिकारियों को ‘जिला रथ प्रभारी’ के रूप में नामित करने का निर्देश दिया है।

20 नवंबर 2023 से 25 जनवरी 2024 तक ‘विकसित भारत संकल्प यात्रा’ के माध्यम से पिछले नौ वर्षों के दौरान एनडीए सरकार की उपलब्धियों का प्रचार-प्रसार करें। पत्र में बताया गया है कि यात्रा की अवधि में विधानसभा चुनाव प्रचार और मतदान भी हो रहे होंगे।

इसके साथ ही छुट्टी पर गए सेना के जवानों से भी इस तरह के प्रचार की अपेक्षा की गयी है। इस समय पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव की तैयारी चल रही है। इनमें राजस्थान और तेलंगाना में यात्रा शुरू होने के बाद मतदान होगा।

सरमा और छोकर ने कहा कि “रक्षा मंत्रालय के विशिष्ट मामले में, इस तरह के अभूतपूर्व कदम का मतलब है कि रक्षा मंत्रालय के अधिकारी चुनाव की पूर्व संध्या पर एनडीए सरकार की उपलब्धियों को प्रदर्शित करने में लगे रहेंगे, जो उनकी अराजनीतिक सेवा शर्तों के अनुरूप नहीं हो सकता है।”

“यह पहली बार है कि केंद्र सरकार के राजनीतिक नेतृत्व ने चुनाव की पूर्व संध्या पर अपनी छवि को चमकाने के लिए अपनी पूरी मशीनरी और सार्वजनिक संसाधनों को लगा दिया है, जिससे विपक्षी दलों को नुकसान हो रहा है। हमारे विचार में, आदर्श आचार संहिता (एमसीसी) का खुलेआम उल्लंघन करने के अलावा, यह एक भ्रष्ट आचरण है जिसके लिए भारत के चुनाव आयोग (ईसीआई) को तत्काल कार्रवाई करनी चाहिए।

उन्होंने कहा कि “कम से कम चार केंद्रीय मंत्रियों के आगामी राज्य विधानसभा चुनाव लड़ने की सूचना है। केंद्र सरकार के अधिकारियों को ऐसी गतिविधि में तैनात करना जो वास्तव में उन चुनावों में सत्तारूढ़ राजनीतिक दल के लिए प्रचार करना है।

सरमा और छोकर ने कहा कि यह अगले साल के लोकसभा चुनावों को भी प्रभावित कर सकता है और अन्य पार्टियों के लिए एक मिसाल कायम कर सकता है। सरमा ने इस मामले पर चुनाव आयोग को भी एक पत्र लिखा था।

राष्ट्रपति मुर्मू को भेजे पत्र में लिखा है कि “उपरोक्त को ध्यान में रखते हुए, हम यह सुनिश्चित करने के लिए आपके तत्काल हस्तक्षेप की मांग करते हैं कि चुनाव आयोग उपरोक्त मामले में तत्काल और बिना किसी हिचकिचाहट के कार्य करे और चुनावी प्रक्रिया की अखंडता की रक्षा के लिए केंद्र सरकार को उपरोक्त निर्देशों को रद्द करने का निर्देश दे।”

(जनचौक की रिपोर्ट।)

Janchowk
Published by
Janchowk