रोहतक: किसानों की पीड़ा से दुखी शख्स ने फेसबुक संदेश देकर की खुदकुशी

किसान आंदोलन के प्रति सरकार के रवैये से दु:खी होकर हरियाणा के रोहतक शहर में एक निजी स्कूल के संचालक मुकेश डागर ने फेसबुक पर लाइव आने के बाद ज़हर खाकर जान दे दी। उन्होंने कहा कि मेरी मौत का कारण सिर्फ़ और सिर्फ़ प्रधानमंत्री मोदी जी हैं।

एसडीएम स्कूल के संचालक मुकेश डागर के फेसबुक लाइव का टैक्सट :

“राम-राम भाइयो। मैं मुकेश डागर रैनकपुरा रोहतक से। मेरा मन बहुत ज़्यादा विचलित है आज किसानों के लिए। तीन महीने से ज़्यादा टाइम हो गया मेरे को विचलित हुए। मैं हर पोस्ट आपकी शेयर करता हूँ और अंदर से बहुत ज़्यादा दुखी हूँ। किसान भाइयो, चार महीने से ऊपर हो गया आपको यहाँ बैठे हुए हो और मोदी हमारे माननीय प्रधानमंत्री से कोई भी उम्मीद नहीं है, क्योंकि उन्होंने तो अपनी वोट की राजनीति से ज़्यादा फ़ुर्सत ही नहीं मिलती। वो तो ये चाहते हैं कि भई, यहीं पे बैठे रहें किसान और ऐसे ही शहादतें देते रहें। आज मैं अपनी शहादत देने जा रहा हूँ। और मेरी मौत का कारण सिर्फ़ और सिर्फ़ प्रधानमंत्री मोदी जी हैं।
(कुछ पल रुकते हैं।) और उन भाइयों का भी शुक्रिया करता हूँ, दिल से दुआ करता हूँ जिन्होंने अपनी पोस्टें छोड़ कर, अपनी नौकरी को लात मार कर, किसानों का जो साथ दिया है, उसका दिल से धन्यवाद। और मैं माननीय दीपेंदर हुड्डा जी, बलराज कुंडू जी, इनका दिल से धन्यवाद करता हूँ। इन्होंने किसानों की आवाज़ को बुलंद करने का काम किया। सोमवीर सांगवान जी, अभय चौटाला जी, आपका भी बहुत-बहुत धन्यवाद। आपने भी बहुत ज़्यादा बड़ा काम किया, किसानों के लिए। अपने पद को छोड़ना कोई छोटी बड़ी बात नहीं है। तो भाइयो, आज लास्ट बार मिलते हैं। आज के बाद शायद ही कभी मुलाक़ात हो। हाँ, मोदीजी से ज़रूर कहना चाहूँगा कि मोदीजी, ये राज़ तो आनी-जानी चीज़ होती है। चार साल के बाद आप भी वहाँ ऊपर आओगे, हमारे पास। तब ना तो कोई मंत्री होता, ना कोई संतरी होता, ना कोई प्रधानमंत्री होता तो तब वहाँ पर बैठकर बातें करेंगे आप से। आप से एक-एक बात का, एक-एक शहीद का हिसाब लिया जाएगा, कैसे आपने उनको प्रताड़ित किया है, और मेरी माताओं-बहनों से भी हाथ जोड़ कर प्रार्थना है कि ऐसे ही अपने मोर्चों पर डटी रहना और जब तक बिल वापसी नहीं, तब तक घर वापसी नहीं। धन्यवाद।“

गौरतलब है कि तीन दिन पहले रोहतक में मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के दौरे का विरोध कर रहे किसानों पर पुलिस ने लाठीचार्ज भी किया था। लाठीचार्ज में घायल एक बुजुर्ग किसान की तस्वीर और वीडियो काफ़ी वायरल हुआ था। किसान आंदोलन को लेकर सरकार के रवैये से किसानों में निराशा की स्थिति पैदा हो रही है। इससे पहले भी किसान आंदोलन को लेकर सरकार के रवैये से बेबसी की हालत महसूस करते हुए कुछ लोग आत्महत्या कर चुके हैं। करनाल जिले के एक मशहूर सिख डेरे सींगडा के विश्व-प्रसिद्ध संत बाबा राम सिंह ने किसानों की हालत से व्यथित  होकर 16 दिसंबर 2020 को सिंघू बॉर्डर पर ख़ुद को गोली मार कर जान दे दी थी। उन्होंने अपने सुसाइड नोट में सरकार पर किसानों के साथ ज़ुल्म करने का आरोप लगाते हुए यह भी लिखा था कि ज़ुल्म करना पाप है, ज़ुल्म सहना पाप है। किसी ने पुरस्कार वापसी करके अपना गुस्सा जताया है। किसानों के हक़ के लिए सरकारी ज़ुल्म के गुस्से के बीच सेवादार आत्महत्या करता है। यह ज़ुल्म के ख़िलाफ़ आवाज़ है। यह किसानों के हक़ के लिए आवाज़ है। पंजाब के एक किसान अमरिंदर सिंह (40) ने इन्हीं परिस्थितियों में 9 जनवरी को सिंघु बॉर्डर पर ज़हर खा लिया था। उन्हें सोनीपत के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था जहाँ उनकी मौत हो गई थी।

किसान संयुक्त मोर्चा के मुताबिक, अब तक 300 से अधिक किसानों की जानें जा चुकी है। किसानों ने रेवाड़ी-जयपुर हाईवे के खेड़ा बॉर्डर पर शहीद स्मारक भी बनाया है। यह स्मारक देश भर से लाई गई मिट्टी का इस्तेमाल करके बनाया गया है।

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