ग्राउंड रिपोर्ट: पुरोला के बाद अब संघियों के निशाने पर पछवादून

पुरोला की असली कहानी खुल जाने और वहां मुंह की खाने के बाद उत्तराखंड में सांप्रदायिक उन्माद का माहौल बनाने का प्रयास कर रही ताकतों के निशाने पर अब देहरादून का पछवादून क्षेत्र है। पिछले एक जुलाई के बाद से देहरादून जिले के विकासनगर और हरबर्टपुर में सांप्रदायिक माहौल खराब करने के तीन प्रयास किये जा चुके हैं और शुरुआती दौर में सांप्रदायिक ताकतों को अपने मनसूबों में कामयाबी भी मिली है।

हालांकि इन मामलों में भी सच्चाई सामने आनी शुरू हो गई है। खुद बीजेपी के स्थानीय विधायक मुन्ना सिंह चौहान ने उस घटना को सांप्रदायिक मानने से इंकार कर दिया है, जिसे सबसे ज्यादा प्रचारित किया जा रहा था। मुन्ना सिंह चौहान ने इसे दो गुटों का विवाद बताया है और कहा है कि दुर्भाग्य से इस आपसी विवाद को सांप्रदायिक रंग दिया गया है। इन घटनाओं को लेकर ‘जनचौक’ ने प्रभावित क्षेत्रों में जाकर इन घटनाओं की असलियत को जानने का प्रयास किया।

इन घटनाओं के पीछे की वजहों पर बात करने से पहले इन घटनाओं के बारे में जानते हैं। पहली घटना 1 जुलाई की शाम को हुई। आरोप है कि हरबर्टपुर के ढकरानी गांव के एक समुदाय विशेष के दो युवक बाइक पर हरबर्टपुर गये थे। आरोप है कि हरबर्टपुर के डाट पुल के पास उन्होंने दूसरे समुदाय की एक नाबालिग के साथ छेड़खानी की और भाग गये। उनकी इस हरकत से नाराज लोगों ने उनका पीछा किया और ढकरानी गांव के बाहर मुख्य सड़क पर उन्हें रोक दिया।

आरोप है कि वहां स्थानीय विशेष समुदाय के लोग एकत्रित हो गये और आरोपी युवकों को वहां से भगा दिया। पुलिस ने दोनों आरोपियों के खिलाफ छेड़छाड़ की धाराओं के साथ ही पोक्सो एक्ट में मुकदमा दर्ज किया है। आरोप यह भी है कि आरोपी युवकों के समर्थन में ढकरानी के मुस्लिम समुदाय के लोग गांव की मस्जिद में जमा हुए और ‘अल्लाह हू अकबर’ के नारे लगाये। कुछ मीडिया रिपोर्ट में पाकिस्तान के समर्थन में नारे लगाने की बात भी कही गई है।

दूसरी घटना विकासनगर के गुडरीच में हुई। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार एक व्यक्ति और उसकी पत्नी बाइक से जा रहे थे। गुडरीच में आम के बाग के पास बाइक का तेल खत्म हो गया। पति बाइक और पत्नी को वहीं छोड़ तेल का इंतजाम करने चला गया। इसी बीच बाग की चौकीदारी कर रहे विशेष समुदाय के युवकों ने महिला को अकेली देख उसे बाग के अंदर घसीट लिया और उसके साथ दरिंदगी करने का प्रयास किया। इसी बीच महिला का पति आ गया। पत्नी को इस हाल में देखकर उसने अपने साथियों को फोन किया। बड़ी संख्या में वहां पहुंचे दूसरे समुदाय के लोगों ने दोनों युवकों की पिटाई की। चौकीदारी के दौरान बैठने के लिए बनाई गई उनकी टिपरी जला दी गई।

तीसरी घटना दो दिन पहले विकासनगर क्षेत्र के जीवनगढ़ के बापी मोहल्ले में हुई। आरोप है कि यहां किसी काम से गई युवती के साथ समुदाय विशेष के लोगाों ने छेड़छाड़ की और उसके कपड़े फाड़ दिये। इस घटना के बाद विकासनगर पुलिस चौकी पर दो समुदाय के लोगों के बीच तीखी नोक-झोंक भी हुई। पुलिस ने इस मामले में अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है।

इन मामलों के विरोध में 6 जुलाई को विकासनगर और 7 जुलाई को हरबर्टपुर बाजार बंद रखा गया। पुलिस ने इन सभी मामलों में एफआईआर भी दर्ज की है। क्षेत्र में धारा 144 लागू करने के साथ ही पुलिस ने विकासनगर और हरबर्टपुर में फ्लैग मार्च भी किया और उपद्रवियों पर नजर रखने के लिए ड्रोन का इस्तेमाल भी किया जा रहा है।

पछवादून

देहरादून के एसएसपी दिलीप कुंवर ने दावा किया है कि पुलिस वीडियो फुटेज देखकर इन घटनाओं में शामिल लोगों की पहचान कर रही है। एसएसपी ने साम्प्रदायिक माहौल खराब करने वालों के खिलाफ विभिन्न धाराओं के साथ ही एनएसए के तहत भी कार्रवाई करने की चेतावनी दी है। हालांकि एक हफ्ते बाद भी ऐसा कोई कदम पुलिस ने नहीं उठाया है।

एक खास बात यह है कि पछवादून की इन घटनाओं में भी उन्हीं लोगों का नाम लिया जा रहा है, जिन्होंने पुरोला में शांतिभंग करने का प्रयास किया था। इनमें समाज कल्याण विभाग की छात्रवृत्ति घोटाले के जेल में रह चुका एक आरोपी राकेश तोमर भी शामिल हैं। बताया जा रहा है कि पुलिस चौकी में एक समुदाय के लोग तोमर के नेतृत्व में ही प्रदर्शन करने गये थे। पुरोला के मामले में भी राकेश तोमर का नाम प्रमुखता से सामने आया था।

इन घटनाओं की सच्चाई जानने के लिए ‘जनचौक’ ने सबसे पहले ढकरानी गांव का रुख किया, जहां के दो युवकों के खिलाफ नाबालिग से छेड़छाड़ का मुकदमा दर्ज है और आरोप है कि इन युवकों के समर्थन में गांव की मस्जिद में ‘अल्ला हू अकबर’ के नारे भी लगाये गये। हरबर्टपुर से करीब 4 किमी आगे ढकरानी गांव की सीमा वैसे तो मुख्य सड़क से ही शुरू हो जाती है, जहां छेड़छाड़ के आरोपी युवकों को घेरा गया था, लेकिन मुख्य गांव शक्ति नहर और यमुना नदी के बीच में बसा हुआ।

गांव की हिन्दू और मुस्लिम आबादी करीब-करीब आधी-आधी है। गांव में साम्प्रदायिक तनाव का कोई इतिहास नहीं रहा है। यहां तक रामजन्मभूमि आंदोलन के दौर में जब देशभर में हिन्दू-मुस्लिम दंगे हो रहे थे, तक भी ढकरानी गांव में साम्प्रदायिक तनाव की कोई घटना नहीं हुई थी। गांव में साम्प्रदायिक भाईचारे का ही नतीजा है कि यहां ग्राम प्रधान कभी हिन्दू चुना जाता है तो कभी मुसलमान।

सबसे पहले हम ग्राम प्रधान जाहिरा बेगम के घर पहुंचे। वे घर पर मौजूद नहीं थीं, लेकिन उनके पति और गांव के एक प्रमुख सामाजिक कार्यकर्ता अयूब हसन घर पर मिल गये। हमने अयूब खान से इस घटना के बारे में जानना चाहा।

अयूब का कहना था कि “इस घटना में छेड़छाड़ जैसा कुछ था ही नहीं। सड़क पर पानी भरा हुआ था। बाइक से पानी के छींटे लड़की पर पड़ गये थे। लड़की ने विरोध किया तो दोनों सफाई देने के लिए रुक गये। इसी दौरान लड़की की मां ने एक युवक को थप्पड़ भी मारा और बात खत्म हो गई। दोनों युवक वहां से गांव की तरफ लौट आये थे। अयूब हसन के अनुसार जब दोनों युवक गांव के पास मुख्य सड़क पर पहुंचे तो पीछे से 10-12 मोटर साइकिलों पर आये लोगों ने उन्हें घेर लिया और उनकी पिटाई शुरू कर दी।”

ढकरानी के पूर्व प्रधान हाजी शरीफ अहमद ने भी यही कहानी दोहराई। उन्होंने बताया कि “मुख्य सड़क पर जहां दोनों युवकों की पिटाई की जा रही थी, वहां आस-पास मुस्लिम समुदाय के लोगों की दुकानें हैं। मारपीट होती देख दुकानदार वहां जमा हो गये। बीच-बचाव किया और दोनों आरोपी युवकों को वहां से जाने के लिए कहा।”

शरीफ अहमद के अनुसार “इस बीच पीछे से दर्जनों की संख्या में मोटर साइकिलों पर बड़ी संख्या में बजरंग दल के लोग पहुंच गये और हंगामा करने लगे। उनका आरोप था कि आरोपी युवकों को छिपा दिया गया है। इस दौरान पुलिस भी वहां पहुंच गई थी। खुद को बजरंग दल का बता रहे युवक गांव में घुसने और मस्जिद तोड़ने की धमकी दे रहे थे। हालांकि पुलिस ने उन्हें ऐसा करने से सख्ती से रोक दिया।”

मस्जिद

मस्जिद में ‘अल्ला हू अकबर’ का नारा लगाये जाने और सोशल मीडिया में वायरल हो रहे इस घटना के वीडियो के बारे में पूछे जाने पर अयूब हसन का कहना था कि “जब मेन रोड पर हंगामा हो रहा था और खुद को बजरंग दल का बता रहे युवक गांव में घुसकर मस्जिद तोड़ने की जिद कर रहे थे, तो यह बात गांव में आग की तरह फैल गई। उन्हें भी किसी ने आकार बताया कि कुछ लोग मस्जिद तोड़ने आ रहे हैं। वे मस्जिद पहुंचे तो वहां काफी भीड़ जमा थी।”

अयूब हसन आगे बताते हैं कि “लोग आक्रोशित थे और कह रहे थे कि मस्जिद को हाथ भी लगाया तो वे चुप नहीं बैठेंगे। कुछ लोग इस बीच ‘अल्ला हू अकबर’ का नारा भी लगा रहे थे।” अयूब के अनुसार “यह सब आरोपी युवकों के समर्थन में नहीं हो रहा था, लोग सिर्फ मस्जिद की सुरक्षा को लेकर वहां जमा हुए थे।” पाकिस्तान के समर्थन में नारे लगाने की बात को उन्होंने मनगढ़ंत बताया और कहा कि ‘अल्ला हू अकबर’ का नारा लगाना कोई अपराध नहीं है।”

हमने गांव के पूर्व प्रधान मौसम सिंह कश्यप से भी मुलाकात करने का प्रयास किया, लेकिन वे घर पर मौजूद नहीं थे। फोन पर उन्होंने बताया कि “गांव में हमेशा भाईचारा बना रहा है और अब भी बना हुआ है। कुछ बाहरी लोग आकर गांव में नफरत फैलाने का प्रयास कर रहे हैं। दोनों समुदायों के लोग मिलकर इस तरह के प्रयासों को नाकाम करेंगे।”

गांव के बीचों-बीच मस्जिद से कुछ दूरी पर पंडित रविन्द्र शर्मा की हार्डवेयर की दुकान है। विवाद के बारे में पूछने पर वे कहते हैं कि “यहां मेरे ज्यादातर कस्टमर मुसलमान हैं। यदि ऐसे विवाद होते रहे और हमने एक-दूसरे से दुश्मनी करने की ठान ली तो मेरा ही नहीं दोनों समुदायों के सैकड़ों लोगों का चूल्हा नहीं जलेगा।” वे कहते हैं कि “कुछ बाहरी लोग दोनों गांव के लोगों को भड़का रहे हैं। इनमें दोनों समुदायों के लोग शामिल हैं।”

हरबर्टपुर में हमारी मुलाकात ओम प्रकाश से हुई। माथे पर तिलक लगाये खुद को कट्टर हिन्दू बताने वाले ओम प्रकाश कहते हैं कि “जो हो रहा है, वह ठीक नहीं है। हिन्दू और मुसलमान युवकों के बीच पहले भी झगड़े होते थे, लेकिन कभी किसी ने ऐसे झगड़ों में हिन्दू-मुसलमान नहीं किया। झगड़ा होता था, बाद में मिलकर रामलीला भी खेलते थे। लेकिन अब कुछ लोग बाहर से आकर यहां माहौल खराब कर रहे हैं। जबरदस्ती बाजार बंद करवा रहे हैं।”

इस बीच विकासनगर उद्योग व्यापार मंडल ने भी आरोप लगाया है कि कुछ लोगों ने जबरन व्यापारियों से दुकानें बंद करवाईं। व्यापार मंडल ने दोनों समुदायों के लोगों से शांति बनाये रखने की अपील की है और पुलिस को उपद्रवियों से सख्ती से निपटने के लिए कहा है।

(उत्तराखंड के पछवादून से त्रिलोचन भट्ट की ग्राउंड रिपोर्ट।)

त्रिलोचन भट्ट
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त्रिलोचन भट्ट