चुनावी पाबंदियों के बाद इलेक्ट्रानिक मीडिया ने संभाली भाजपा रैलियों की भरपाई की कमान

कोरोना की तीसरी लहर के बीच पांच राज्यों  के विधानसभा चुनाव की तारीखें घोषित हो चुकी हैं। साथ ही निर्वाचन आयोग ने 15 जनवरी तक रैलियों रोड शो, नुक्कड़ सभाओं पर रोक लगा दी है। ऐसे में तमाम दलों के नेताओं के पास जनता तक अपने चुनावी बातों, वादों, घोषणाओं के लिए मीडिया का ही सहारा है, विशेषकर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का। 

कार्पोरेट और सांप्रदायिक मीडिया ने अपने लिये मौके ताड़कर गंदा खेल भी खेलना शुरु कर दिया है। 

एबीपी न्यूज ने  ‘घोषणापत्र’ कार्यक्रम में यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव को बुलाया। जहां उन्हें आरएसएस भाजपा की पसंदीदा सांप्रदायिक पिच पर खेलने के लिये बाध्य किया गया। 

एबीपी न्यूज चैनल के मंच पर अखिलेश यादव को अयोध्या राम मंदिर और धर्म से जुड़े कई सवालों का सामना करना पड़ा। उनसे सवाल किया गया कि वो अयोध्या जाकर रामलला के दर्शन और दान-पुण्य करेंगे? 

गौरतलब है कि अखिलेश यादव ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि वो जब अयोध्या जाएंगे तो राम लला के दर्शन करेंगे। लेकिन फिलहाल उन्होंने अपना अयोध्या दौरा टाल दिया है। एबीपी के सवालों को जवाब देते हुए अखिलेश ने कहा कि हम तो बचपन से ही मंदिर जा रहे हैं।

बीजेपी को लगता है कि अगर कोई मंदिर जा रहा है तो उनके क्षेत्र में अतिक्रमण हो रहा है। हम दिखावे के लिए पूजा-पाठ नहीं करते। हम घर में किसको पूज रहे ये नहीं दिखाते। हमारे धर्म में दक्षिणा देने की बात है और दक्षिणा तब दी जाती हैं जब आप भगवान के दर्शन करते हैं।

अखिलेश यादव ने एबीपी के मंच से कहा कि जिस दिन भगवान श्रीराम का मंदिर बन जाएगा, हम दर्शन करने परिवार के साथ जाएंगे और दक्षिणा भी देंगे। अखिलेश यादव ने कहा कि मैं कहीं भी जाता हूं, किसी भी जगह सिर झुकाता हूं तो इससे बीजेपी वालों को क्या परेशानी है। इसके साथ ही अखिलेश ने कहा कि अयोध्या ज़मीन मामले की सच्चाई जल्द ही लोगों के सामने आएगी। जब से माहौल बदला है अधिकारी चुपचाप बता रहे हैं और काग़ज भी दिखा रहे हैं। जब समय आएगा तो हम भी सभी को बताऐंगे, कहेंगे। 

(जनचौक ब्यूरो)

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