सीबीआई,ईडी का शिकंजा;अमरिंदर भाजपा की चौखट पर

पंजाब में मुख्यमंत्री पद से इस्तीफ़ा देने वाले कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा है कि उनके पास विकल्प हैं लेकिन परिस्थितियां कुछ और ही कहानी कह रही हैं। अब राजनीति का कोई भी जानकार बता देगा कि जिसकी पत्नी और पुत्र पर स्विसबैंक में कालाधन रखने की जाँच मोदी सरकार कर रही हो, जिसके पुत्र और दामाद सीबीआई और ईडी के रडार पर हों और जाँच का सामना पिछले कई सालों से कर रहे हों उसके पास सत्तारूढ़ दल भाजपा की बीन पर नाचने के अलावा कोई विकल्प नहीं है? मुख्यमंत्री रहते हुए कैप्टन अमरिंदर सिंह ने मणिपुर की तरह तख्तापलट दलबदल करके पंजाब में पहली भाजपा सरकार बनाई होती तो बात अलग थी पर अब जब कांग्रेस आलाकमान ने उन्हें मुख्यमंत्री पद से हटा दिया है तब कैप्टन अमरिंदर सिंह पूरी तरह प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के रहमो करम पर हैं और तब तक उनकी भाजपा में एंट्री नहीं हो सकती जब तक आरएसएस इसके लिए भाजपा को हरी झंडी न दे दे।

पंजाब की राजनीति के जानकारों की माने तो ईडी और सीबीआई के चक्रव्यूह में फंसे कैप्टन अमरिंदर सिंह की पूरे विधायकों के साथ रातों रात दलबदल करके पंजाब में उसी तरह भाजपा सरकार बनानी थी जैसे बिहार में अचानक नीतीश कुमार ने आरजेडी को डिच करके रातोंरात भाजपा के साथ सरकार बना ली थी या जैसे कर्नाटक, एमपी में भाजपा ने दलबदल का खेल किया। लेकिन पहले कोरोना ,फिर किसान आन्दोलन के राजनितिक निहितार्थ ने अमरिंदर सिंह का खेल बिगाड़ दिया। इस बीच नवजोत सिंह सिद्धू के नेतृत्व में बहुसंख्य विधायकों की एकजुटता से कांग्रेस आलाकमान ने अमरिंदर सिंह को मुख्यमंत्री पद छोड़ने को विवश कर दिया। अब अमरिंदर सिंह की राजनीति अधर में त्रिशंकु की तरह लटक गयी है।

गौरतलब है कि स्विस बैंकों में खाताधारक 627 लोगों की लिस्ट में यूपीए सरकार में विदेश राज्य मंत्री रह चुकीं परनीत कौर का नाम भी शामिल था । यह लिस्ट केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को सौंपी थी। भारत सरकार ने कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री परनीत कौर और उनके बेटे रणिंदर सिंह के स्विस बैंक में कथित खातों की जांच के लिए स्विट्जरलैंड सरकार से सहयोग मांगी थी। भारतीय कर अधिकारियों द्वारा कई नागरिकों के स्विस बैंक खातों की जांच किए जाने के बीच स्विट्जरलैंड ने मई 2015 में बताया था कि भारत ने कांग्रेस की पूर्व मंत्री परनीत कौर और उनके बेटे रणिंदर सिंह के कथित खातों की जांच में उससे मदद मांगी थी।

भारत का कर प्रशासन स्विस बैंक में खाता रखने वाले कई भारतीय नागरिकों की जांच कर रहा था। स्विस सरकार ने एक अधिसूचना में इसकी जानकारी दी थी । स्विट्जरलैंड के नियमों के मुताबिक कर से जुड़े मामलों में सहयोग का मतलब खाता और अन्य जानकारियों को साझा करना होता है। स्विट्जरलैंड के संघीय कर प्रशासन ने इस मामले में परनीत कौर और उनके बेटे से 10 दिन के भीतर अपील दायर कर अपना पक्ष रखने को भी कहा था।

स्विस कर प्रशासन ने दो अलग-अलग अधिसूचनाओं में ये खुलासे किए थे । इन अधिसूचनाओं में परनीत और रणिंदर के बारे में उनकी राष्ट्रीयता और उनकी जन्म तारीख के अलावा कोई अन्य खुलासा नहीं किया गया था।

इससे पहले एचएसबीसी की सूची में नाम आने पर कौर ने किसी भी विदेशी बैंक में खाता होने से इंकार किया था। कांग्रेस नेता एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री परनीत कौर ने खुद और अपने बेटे रणिंदर सिंह का विदेशी बैंक में खाता होने से इंकार किया है। उन्होंने कहा कि राजनीतिक साजिश के तहत उन्हें बदनाम किया जा रहा है। परनीत कौर पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की पत्नी हैं।

सीबीआई द्वारा वर्ष 2018 में दर्ज शिकायत के आधार पर कांग्रेस गलियारों में उस समय हड़कंप मच गया जब बहुकरोड़ी बैंक कर्ज घोटाले के मामले में प्रवर्तन निदेशालय के रडार पर चल रहे पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के दामाद गुरपाल सिंह व अन्य आरोपियों पर ईडी ने शिकंजा कस दिया था । ईडी ने गुरपाल सिंह से सबंधित सिंभावली सुगर्स लिमिटेड की 109.8 करोड़ की सम्पत्ति कुर्क की थी ।इस धोखाधड़ी के केस में गुरपाल के अलावा घोटाले में करीब एक दर्जन अन्य लोगों के नाम भी शामिल थे ।

ईडी के मुताबिक धोखाधड़ी मामले में सारी कार्रवाई प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉड्रिंग एक्ट (पी.एम.एल.ए.) 2002 के तहत की गई थी, जिस पर उत्तर प्रदेश में हापुड़ के सिंभावली में स्थित कम्पनी की इकाई की जमीन, इमारतें, संयंत्र और मशीनरी जैसी सम्पत्तियों को कुर्क करने का एक अंतरिम आदेश जारी किया गया था।

दरअसल सीबीआई ने गन्ना किसानों को वित्तीय मदद देने के बहाने ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स के साथ धोखाधड़ी करने’के मामले में कम्पनी और अन्य के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी, क्योंकि यह कर्ज 5762 गन्ना किसानों के नाम पर लिया गया था। सीबीआई इस मामले में गुरपाल सिंह से पूछताछ कर चुकी है। बैंक की तरफ से सीबीआई को दी गई शिकायत में कहा गया कि पहले से ही नॉन-परफॉर्मर एकाउंट (एनपीए) चल रही सिंभावली सुगर्स मिल को बैंक ने गन्ना किसानों को खेती करने के लिए आरबीआई द्वारा 2011 में जारी किए गए एक परिपत्र के आधार पर 2012 में लोन को मंजूरी दी थी।

यह सारा मामला फरवरी-2018 में तब उजागर हुआ था, जब सीबीआई ने सुगर मिल और कुछ अधिकारियों के खिलाफ करीब 110 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी की एफआईआर दर्ज की। यह केस ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स (ओबीसी) की शिकायत पर दर्ज किया गया था। सीबीआई ने अपनी एफआईआर में कम्पनी के डिप्टी मैनेजिंग डायरेक्टर और पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के दामाद गुरपाल सिंह का नाम शामिल किया था। गुरपाल के अलावा घोटाले में करीब एक दर्जन अन्य लोगों के भी नाम हैं।

सिंभावली सुगर्स लिमिटेड पर आरोप है कि गन्ना किसानों को लोन देने के नाम पर उसने ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स को करोड़ों का चूना लगाया है। दर्ज एफ.आई.आर. के मुताबिक बैंक ने वर्ष 2012 में कम्पनी को 148.59 करोड़ का लोन दिया था जो कि 5762 किसानों को बांटा जाना था।

रिजर्व बैंक के निर्देश पर फरवरी 2018 में सीबीआई ने सिंभावली चीनी मिल के आठ ठिकानों पर छापा मार कर दस्तावेज जब्त कर गहन जांच पड़ताल की थी। उत्तर प्रदेश के हापुड़ में सिंभावली शुगर्स लिमिटेड ने किसानों को गन्ना का भुगतान करने के लिए 110 करोड़ रुपया लोन लेकर किसी अन्य काम में लगा दिया था।

इसी तरह अक्तूबर 2020 में ईडी ने रणिंदर सिंह से फेमा कानून का उल्लंघन करने के आरोप में पूछताछ किया था। रणिंदर सिंह कैप्टन अमरिंदर के पुत्र हैं। रणिंदर सिंह पर ये आरोप था कि उन्होंने अपनी कई ऐसी विदेशी संपत्तियों के बारे में इनकम टैक्स विभाग को लिखित तौर पर गलत जानकारी दी थी। कई विदेशी चल -अचल संपत्तियों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारियों को इनकम टैक्स द्वारा पूछे जाने के बाद भी सही जानकारी नहीं दी थी। लिहाजा इस मामले में इनकम टैक्स ने जो मामला दर्ज किया था , उसी को आधार बनाते हुए ईडी ने भी मामला दर्ज कर पूछताछ की थी।

गृह मंत्री अमित शाह के साथ पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की करीब 45 मिनट चली मुलाकात के बाद दिल्ली में अटकलों का बाजार फिलवक्त गर्म हो गया है। बुधवार शाम को बीजेपी नेता और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात करने अमरिंदर सिंह अचानक उनके आवास पहुंच गए। दोनों नेताओं के बीच मुलाकात के बाद कयास लगने लगे हैं कि क्या कैप्टन कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल होंगे?

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात के बाद पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने ट्वीट कर बताया कि किसान आंदोलन को लेकर चर्चा हुई। उन्होंने ट्ववीट कर बताया कि दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह जी से मुलाकात की। कृषि कानूनों के खिलाफ लंबे समय से चल रहे किसान आंदोलन पर चर्चा की और उनसे फसल विविधीकरण में पंजाब का समर्थन करने के अलावा, कृषि कानूनों को निरस्त करने और एमएसपी की गारंटी के साथ संकट को तत्काल हल करने का अनुरोध किया।
(जेपी सिंह वरिष्ठ पत्रकार हैं और आजकल इलाहाबाद में रहते हैं।)

जेपी सिंह
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