5 राज्यों के विधानसभा चुनाव का ऐलान: छत्तीसगढ़ को छोड़ सभी राज्यों में एक चरण में मतदान

नई दिल्ली। चुनाव आयोग ने आज पिछले कई महीनों से बहुप्रतीक्षित 5 राज्यों के विधानसभा चुनावों का ऐलान कर दिया। मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार, चुनाव आयुक्त अनूप चंद्र पांडे और अरुण गोयल ने मिजोरम, मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना राज्यों के लिए गजट अधिसूचना, नामांकन, मतदान और मतगणना की तिथियों की घोषणा की।

चुनाव आयोग के अनुसार, मिजोरम राज्य की सभी 40 सीटों पर 7 नवंबर को मतदान किया जायेगा। इसके लिए गजट नोटिफिकेशन 13 अक्टूबर, नामांकन की अंतिम तारीख 20 अक्टूबर, मतगणना का काम 3 दिसंबर 2023 को किया जायेगा। छत्तीसगढ़ के पहले चरण के चुनावों में 20 विधानसभा सीटों की सारी प्रक्रिया भी मिजोरम के साथ की जानी है। शेष 70 सीटों के लिए चुनावी प्रक्रिया मध्य प्रदेश के साथ की जाएगी।

मध्य प्रदेश की सभी 230 सीटों और छत्तीसगढ़ के दूसरे चरण (70 सीट) के लिए मतदान 17 नवंबर को किया जाना है। इसके लिए गजट नोटिफिकेशन 21 अक्टूबर और नामांकन की अंतिम तारीख 30 अक्टूबर है।

राजस्थान की सभी 200 सीटों के लिए मतदान की तारीख 23 नवंबर निर्धारित की गई है। यहां गजट नोटिफिकेशन 30 अक्टूबर और अंतिम नामांकन की तारीख 6 नवंबर निर्धारित की गई है।

सबसे अंत में तेलंगाना राज्य की सभी 119 सीटों के लिए मतदान की तारीख 30 नवंबर घोषित की गई है। गजट नोटिफिकेशन 3 नवंबर और 10 नवंबर तक नामांकन की सुविधा प्रदान की गई है।

रविवार 3 नवंबर 2023 के दिन इन पांचों राज्यों की कुल 679 विधानसभा सीटों पर हजारों उम्मीदवारों और विभिन्न राजनीतिक पार्टियों के भाग्य का फैसला ईवीएम के माध्यम से सामने निकलने लगेगा। रविवार को ही करीब-करीब सभी मतों की गणना पूरी हो जाएगी, हालांकि चुनाव आयोग ने अंतिम घोषणा के लिए 5 नवंबर 2023 तक का समय अपने पास रखा है।

आइये, अब सिलसिलेवार एक-एक राज्यों पर नजर डालते हैं।

मिजोरम

मिजोरम विधानसभा की अवधि 17 दिसंबर 2023 तक है। कुल 40 विधानसभा सीटों वाले राज्य में 39 सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं, और सिर्फ एक सीट ही सामान्य वर्ग के लिए है। करीब 8.52 लाख मतदाताओं के साथ मिजोरम देश के सबसे छोटे राज्यों में से एक है। मिजोरम में मिज़ो नेशनल फ्रंट के जोरामथंगा राज्य के मुख्यमंत्री पद पर हैं। राज्य में अभी तक एमएनएफ और कांग्रेस का प्रभाव रहा है।

वर्ष 2023 में मणिपुर में हुई हिंसा के दौरान मैतेई और कुकी समुदाय में विभाजित राज्य ने समूचे पूर्वोत्तर के राज्यों को बुरी तरह से प्रभावित कर रखा है। इस हिंसा में कुकी-जो समुदाय सीधे प्रभावित हुआ है, और हजारों की संख्या में इस समुदाय के लोग मिजोरम सहित देश के अन्य हिस्सों में पलायन करने के लिए मजबूर हुए हैं।

ऐसा माना जा रहा है कि भाजपा-आरएसएस का मैतेई समुदाय के साथ गहरा संबंध, मिजोरम सहित कई पूर्वोत्तर के राज्य के नेताओं को केंद्र सरकार के साथ अपने संबंधों को पुनर्व्याख्यायित करने के लिए मजबूर करेगा। 

मिजोरम की सभी विधानसभा सीटों पर मतदान 7 नवंबर 2023 को होना है।

छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ विधानसभा का कार्यकाल 3 जनवरी 2024 तक है। 90 सीटों में से सामान्य वर्ग के लिए 51, अनुसूचित जाति के लिए 10 और अनुसूचित जनजाति के लिए राज्य में 29 सीटें आरक्षित हैं। करीब 2.09 करोड़ मतदाताओं वाले राज्य के चुनाव दो चरण में संपन्न कराए जायेंगे। चुनाव आयोग ने इसके पीछे नक्सल प्रभावित इलाकों में चुनाव को लेकर संवेदनशीलता को वजह बताया है। वर्तमान में राज्य में कांग्रेस पार्टी की सरकार है और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ को कांग्रेस का सबसे मजबूत किला माना जाने लगा है।

छत्तीसगढ़ में 7 नवंबर को पहले चरण की 20 सीटों और 17 नवंबर को शेष 70 सीटों पर मतदान होगा।

मध्य प्रदेश

मध्य प्रदेश विधानसभा का कार्यकाल 6 जनवरी 2024 तक है। राज्य में विधानसभा की कुल 230 सीटें हैं। करीब 5.6 करोड़ की आबादी वाले मध्य प्रदेश में 230 सीटों में सामान्य वर्ग के लिए 148 सीटें, अनुसूचित जाति के लिए 35 और अनुसूचित जनजाति के लिए 47 सीटें आरक्षित हैं। वर्तमान में भाजपा के शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री पद पर काबिज हैं।

हालांकि 2018 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को जीत हासिल हुई थी, लेकिन डेढ़ वर्ष बाद कांग्रेस में हुई टूट ने एक बार फिर से शिवराज सिंह को राज्य की बागडोर संभालने का मौका मिला। लेकिन इस बार ऐसा लगता है कि भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने चुनाव जीतने की स्थिति में शिवराज सिंह चौहान की जगह किसी नए व्यक्ति को आजमाने का मन बना लिया है।

फिलहाल, सामूहिक नेतृत्व के नाम पर प्रदेश में बड़ी संख्या में सांसदों, केंद्रीय मंत्रियों एवं भाजपा के राष्ट्रीय पदाधिकारियों को चुनावी समर में एक-एक कर उतारा जा रहा है, जो बताता है कि अपनी हार को जीत में बदलने के लिए भाजपा का शीर्ष नेतृत्व एक के बाद एक दांव आजमाने से गुरेज नहीं कर रहा है।

राज्य में कांग्रेस का पलड़ा भारी दिख रहा है, यदि शिवराज सिंह को लग गया कि उन्हें किनारे कर दिया गया है तो बहुत संभव है कि वे भितरघात कर भाजपा को बड़ी चोट पहुंचा सकते हैं।

मध्य प्रदेश की सभी 230 सीटों के लिए 17 नवंबर को मतदान किया जाना है।

राजस्थान

राजस्थान विधानसभा का कार्यकाल 14 जनवरी 2024 तक है। कुल 200 विधानसभा सीटों में सामान्य वर्ग के लिए 141 सीटें हैं। अनुसूचित जाति के लिए विधानसभा की 25 और अनुसूचित जनजाति के लिए 34 सीटें आरक्षित हैं। यहां पर करीब 5.25 करोड़ मतदाताओं के द्वारा अगली राज्य सरकार का चुनाव किया जाना है। वर्तमान में कांग्रेस के अशोक गहलोत मुख्यमंत्री पद संभाल रहे हैं।

राजस्थान पिछले कई दशकों से हर पांच साल में कांग्रेस और भाजपा के बीच में सत्ता की अदला-बदली करता आया है। लेकिन बहुत संभव है कि इस बार ऐसा न हो और लंबे अर्से बाद किसी पार्टी को दूसरी बार भी मतदाता राज्य की बागडोर सौंप दें। इसके पीछे सबसे बड़ी वजह भाजपा का शीर्ष नेतृत्व ही है, जिसने दो बार की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया को इस बार मुख्यमंत्री पद का चेहरा न बनाकर, कहीं न कहीं उन्हें किनारे करने की ठान रखी है।

इसके अलावा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा लीक से हटकर इस बार सामाजिक कल्याण से जुड़ी एक के बाद एक घोषणाओं और जमकर विज्ञापनों ने उनके पक्ष में माहौल बनाया है। सचिन पायलट के साथ पिछले 5 वर्षों से चल रहा विवाद भी फिलहाल शांत है, जबकि भाजपा के भीतर अंतर्कलह बढ़ी हुई है।

यही वह राज्य है, जहां भाजपा की जीत की सबसे प्रबल संभावना थी, लेकिन जैसे-जैसे चुनाव की तारीख नजदीक आ रही है, पार्टी के भीतर भितरघात और मनमुटाव न सिर्फ राज्य बल्कि 2024 के आम चुनाव को भी प्रभावित कर सकता है।

राजस्थान की सभी 200 विधानसभा सीटों के लिए 23 नवंबर को मतदान किया जाना है। 

तेलंगाना

तेलंगाना विधानसभा का कार्यकाल 16 जनवरी 2024 तक है। यहां कुल 119 विधानसभा सीटों में से 88 सीटें सामान्य वर्ग के लिए हैं। बाकी की 19 सीटें अनुसूचित जाति एवं 12 अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं। 2013 में आंध्र प्रदेश से अलग होकर तेलंगाना राज्य निर्माण के बाद से ही प्रदेश की बागडोर टीआरएस (अब बीआरएस) के चन्द्रशेखर राव के हाथों में है।

मई में हुए कर्नाटक विधानसभा चुनाव से पहले तक रही माना जा रहा था कि तीसरी बार भी बीआरएस ही राज्य की सता पर काबिज होने जा रही है। हालात ये थे कि आम धारणा में यह बैठ चुका था कि राज्य में अब चन्द्रशेखर राव के मुकाबले कांग्रेस की जगह भारतीय जनता पार्टी ने ले ली है। लेकिन कर्नाटक में मिली भारी जीत के बाद यदि किसी एक राज्य में कांग्रेस को इसका सीधा लाभ पहुंचा है तो वह तेलंगाना है।

विभिन्न सर्वेक्षणों एवं चुनावी समीक्षकों के अनुसार राज्य में कांग्रेस की सरकार बनने की प्रबल संभावना है। ऐसे में बहुत संभव है कि भाजपा, जो तेजी से राज्य में अपना प्रभाव खोती जा रही है, के द्वारा कांग्रेस के बढ़ते प्रभाव को रोकने के लिए बीआरएस के साथ गुप्त चुनावी समझौता हो जाये। यदि ऐसा नहीं हुआ और कांग्रेस 5 में से 3-4 राज्यों के चुनाव जीतने में सफल रही तो 2024 लोकसभा चुनावों में उसके मोदी के नेतृत्व में बीजेपी के समक्ष एक मजबूत विकल्प के रूप में चुनौती पेश करने का सुनहरा अवसर मिल सकता है। 

तेलंगाना की सभी 119 विधानसभा की सीटों के लिए 30 नवंबर के दिन मतदान होना है।

कांग्रेस और बीजेपी ने किए जीत के दावे

चुनाव आयोग द्वारा 5 राज्यों में विधानसभा चुनावों की घोषणा के तत्काल बाद कांग्रेस ने X पर लिखा है कि “छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, राजस्थान, तेलंगाना और मिजोरम में चुनाव की घोषणा हो चुकी है। कांग्रेस पर जनता के विश्वास और समर्थन के बूते हम इन सभी राज्यों में भारी बहुमत से जीत दर्ज करेंगे। ये किसानों, मजदूरों, युवाओं, महिलाओं के अधिकारों की जीत होगी। नफरत के खिलाफ मोहब्बत की जीत होगी। कांग्रेस की जीत होगी।”

वहीं भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा ने X पर अपनी टिप्पणी में लिखा है, “चुनाव आयोग द्वारा विधानसभा चुनावों की घोषणा का स्वागत करता हूं। पीएम मोदी के नेतृत्व में भाजपा भारी बहुमत से सभी राज्यों में सरकार बनाएगी, और आगामी 5 वर्षों के लिए जन आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए कटिबद्ध भाव से काम करेगी।”

इन पांचों राज्यों में पिछली बार भाजपा को एक भी राज्य में सफलता हासिल नहीं हुई थी। मध्य प्रदेश में सरकार बनाने के लिए उसे कांग्रेस में तोड़फोड़ का सहारा लेना पड़ा था। ऐसे में सभी पांचों राज्यों में जीत का दावा, वो भी पीएम नरेंद्र मोदी के आसरे रखना, कहीं न कहीं भाजपा के संगठनात्मक स्वरूप को ही खत्म करने जैसा है। नड्डा की घोषणा का जवाब अब रविवार, 3 नवंबर 2023 तक सामने आ जायेगा। यदि उनके दावे गलत हुए तो लोकसभा चुनाव में वे किसके भरोसे जीत के दावे करेंगे, इस बारे में चुनावी पंडितों को सुनना दिलचस्प होगा।

(रविंद्र पटवाल जनचौक की संपादकीय टीम के सदस्य हैं।)

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