स्कूल शिक्षा बोर्ड में केजरीवाल की करीबी की नियुक्ति से गरमाई पंजाब की सियासत

पंजाब में एक बड़ी नियुक्ति पर छिड़े विवाद के बाद इन सरगोशियों ने जोर पकड़ लिया है कि भगवंत मान सरकार को ‘दिल्ली’ से चलाया जा रहा है। सूबे के मुख्यमंत्री भगवंत मान पर शुरू से ही आरोप लगते रहे हैं कि वह कोई भी कदम आप सुप्रीमो और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की हिदायत के बगैर नहीं उठाते। यहां तक कि विधानसभा चुनाव से पहले टिकट बंटवारे के वक्त भी ‘दिल्ली वालों’ की ज्यादा चली। मंत्रिमंडल गठन के वक्त भी अरविंद केजरीवाल ने सीधा हस्तक्षेप किया।

चुनाव से पहले पूर्व आईपीएस अधिकारी कुंवर विजय प्रताप सिंह सहित कई अन्य आम आदमी पार्टी नेताओं से सार्वजनिक मंचों पर कहा गया था कि जीत के बाद उन्हें मंत्री पद दिया जाएगा लेकिन भगवंत मान की बनाई सूची में कुछ नाम ऐन मौके पर काट दिए गए। यह भी आप सुप्रीमो के इशारे पर हुआ। नतीजतन अब कुछ विधायक, जिनमें कुंवर विजय प्रताप सिंह भी हैं, पार्टी से भीतर ही भीतर खफा हैं। उनका रोष कभी भी सतह पर आ सकता है। कुंवर विजय प्रताप सिंह ने तो बागी तेवर लगभग अख्तियार कर ही लिए हैं। साथ ही, पार्टी के अंदर मुख्यमंत्री भगवंत मान के खिलाफ बाकायदा एक ‘कॉकस’ भी जन्म ले चुका है और मान इससे बेखबर नहीं हैं।

खैर, पंजाब की सियासत एकाएक तब गरमा गई जब पंजाब स्कूल शिक्षा बोर्ड (पीएसईबी) के (महत्वपूर्ण समझे जाने वाले) अध्यक्ष पद पर दिल्ली की सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी डॉक्टर सतबीर बेदी को लगाया गया। दो दिन पहले ही उनकी ताजपोशी हुई है। पूर्व अध्यक्ष पंजाबी के विद्वान और प्रोफेसर रहे डॉ. योगराज से उनका कार्यकाल पूरा होने के छह महीने पहले ही इस्तीफा ले लिया गया था। जाहिरन डॉ. योगराज को इसलिए किनारे किया गया कि दिल्ली की सतबीर बेदी को नवाजा जाए।

वह आप सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल की बहुत करीबी बताई जाती हैं। इससे पहले भी दिल्ली के कुछ लोगों को पीछे के दरवाजे से रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी में नियुक्तियां दी गईं थीं। खुलासा होने पर विपक्ष और खुद आम आदमी पार्टी से वाबस्ता लोगों ने जमकर इसका विरोध किया था। विपक्ष के हाथ डॉ. सतबीर बेदी की एक महत्वपूर्ण पद पर ताजपोशी के बाद नया मुद्दा आ गया है। आप नेता भी इस नियुक्ति से नाखुश हैं। चौतरफा पूछा जा रहा है कि क्या पंजाब सरकार को राज्य में कोई भी काबिल विद्वान नहीं मिला जिसे स्कूल शिक्षा बोर्ड की कमान सौंपी जाती?

सतबीर बेदी की नियुक्ति के बाद विपक्ष मान सरकार के खिलाफ हमलावर हो गया है। कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वडिंग और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष प्रताप सिंह बाजवा ने ट्वीट कर इस पर गहरी आपत्ति जताई है और इसे शर्मनाक करार दिया है। दोनों ने लिखा है कि आप सुप्रीमो और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अपने ‘अहसानों’ के लिए पंजाब का इस्तेमाल कर रहे हैं। उन्होंने लिखा कि रियल स्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी की मानिंद पंजाब स्कूल एजुकेशन बोर्ड के चेयरमैन पद पर गैर पंजाबी डॉ. सतबीर बेदी की नियुक्ति यह स्पष्ट करती है कि पंजाब दिल्ली द्वारा चलाया जा रहा है।

नेता प्रतिपक्ष प्रताप सिंह बाजवा कहते हैं, “ऐसा लगता है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पंजाब सरकार के विभिन्न विभागों में अपना जाल पूरी तरह फैला लिया है। सतबीर बेदी की नियुक्ति तो यही बताती है। इससे पहले भी दिल्ली के दो आईएएस अधिकारियों को महत्वपूर्ण पदों पर रखा गया जबकि पंजाब की अफसरशाही में इस सबको लेकर गहरा रोष पाया जा रहा है। यह पंजाब के हित में नहीं।”

पूर्व मुख्यमंत्री और अब भाजपा नेता कैप्टन अमरिंदर सिंह के अनुसार, “राज्य में स्थानीय लोगों को तरजीह दी जानी चाहिए। एक ओर रोज बेरोजगार नौजवानों को धरना-प्रदर्शन के वक्त पुलिस के लाठीचार्ज का शिकार होना पड़ रहा है और दूसरी तरफ बाहरी लोगों को यहां तैनात किया जा रहा है।”

शिरोमणि अकाली दल अध्यक्ष एवं सांसद सुखबीर सिंह बादल ने भी पंजाब स्कूल शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष पद पर दिल्ली की सतबीर बेदी की नियुक्ति पर गहरा एतराज जताया है। उनकी पत्नी और पूर्व केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने कहा, “शिरोमणि अकाली दल इस नियुक्ति का कड़ा विरोध करता है। मैंने तो बेदी का कभी नाम तक नहीं सुना।”

आम आदमी पार्टी की ओर से खुलकर कोई कुछ कहने को तैयार नहीं है। एक विधायक ने नाम न देने की शर्त पर कहा कि अवाम के भीतर गलत संदेश जा रहा है कि पंजाब सरकार दिल्ली से संचालित की जा रही है और यह पार्टी के लिए अच्छे संकेत नहीं हैं।

पंजाब स्कूल शिक्षा बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष प्रोफेसर योगराज से बातचीत की गई तो उन्होंने इस पर कोई टिप्पणी करने से इंकार कर दिया। जबकि शिक्षा विभाग के कुछ आला अधिकारियों का कहना है कि डॉ. योगराज बेहतर काम कर रहे थे। उनको हटाकर दिल्ली की पूर्व आईएएस अधिकारी को विभाग की कमान देना सही नहीं है। इसलिए भी कि वे पंजाब के शैक्षणिक ढांचे से नावाकिफ हैं।

(वरिष्ठ पत्रकार अमरीक की रिपोर्ट।)

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