मेरी कभी भी हो सकती है हत्या:पत्रकार श्वेता रश्मि

नई दिल्ली। पत्रकार, एक्टिविस्ट और मानवाधिकार कार्यकर्ता श्वेता रश्मि ने वाराणसी पुलिस पर खुद के उत्पीड़न का आरोप लगाया है। उन्होंने यहां तक कहा है कि तमाम प्रशासनिक अधिकारियों के संरक्षण में पल रहे भूमाफिया उनकी जान तक ले सकते हैं। गौरतलब है कि कुछ साल पहले उनके बड़े भाई की हत्या कर दी गयी थी और हत्या की गुत्थी आज तक पुलिस नहीं सुलझा पायी है। रश्मि का कहना है कि उनके भाई की तरह उनकी भी किसी समय हत्या की जा सकती है। ये बातें उन्होंने सार्वजनिक तौर पर जारी एक पत्र में कही हैं।

उन्होंने कहा कि “मैं पत्रकारिता के सम्मानित पेशे में लगभग 20 सालों से सक्रिय हूं और देश के तमाम मीडिया संगठनों में अपनी सेवायें दे चुकी हूं। सरकार के फैसलों की रिपोर्टिंग करने और जनमानस के लिए खबरें लिखने और उनके मूलभूत अधिकार की लड़ाई लड़ने के दौरान मेरा उत्पीड़न वाराणसी पुलिस और उसके कुछ अधिकारियों के द्वारा किया जा रहा है क्योंकि मेरे द्वारा वाराणसी से लेकर लखनऊ और दिल्ली तक फैले शिक्षा के एक बड़े फर्ज़ीवाड़े को लेकर लड़ाई लड़ी जा रही है जिससे शहर के भू  माफ़िया और राजनैतिक दल के नेताओं के अलावा कुछ IAS और कुछ IPS की संलिप्तता उजागर हो रही है। नतीजतन उनके द्वारा किये गये भ्रष्टाचार और फर्ज़ीवाड़े की पोल खुल रही है”। 

पत्र में आगे वह कहती हैं, “इसी के कारण मेरे भाई की हत्या भी 10 फरवरी 2022 में करवाई गई थी और पुलिस की लीपापोती के कारण हम न्याय से वंचित हैं और अब मेरी हत्या और परिवार के लोगों की हत्या की कोशिश और तैयारी में वाराणसी की पुलिस षड्यंत्र कर रही है जिसमें भाजपा के नेता, चुनिंदा पुलिस अधिकारी हत्या आरोपी अजय सिंह, उसके परिवार के लोग उसके अधीन काम करने वाला एक प्रोफेसर और स्थानीय विश्वविद्यालय महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के कर्मचारी और शिक्षा के सिंडिकेट से जुड़े लोग शामिल हैं”। 

उन्होंने कहा कि “मेरे द्वारा इस फर्ज़ीवाड़े की स्वतंत्र एजेंसी से जांच निष्पक्ष तरीके से कराये जाने की मांग करने के कारण मेरे ऊपर लगातार दबाव बनाया जा रहा था और अब मेरे ऊपर फ़र्ज़ी FIR करवाये गए हैं। इसमें लगाये गये गंभीर धाराओं में मुझे पुलिस हिरासत में लेकर हत्या करना चाहती है क्योंकि मेरे भाई के अलावा मैं इस मामले में अहम गवाह हूं। मेरे भाई की हत्या हो चुकी है और अब मेरी भी हत्या हो सकती है। मेरी सुरक्षा की मांग को स्थानीय पुलिस और प्रशासन जानबूझकर कर लीपापोती कर रहा है। जनमानस के लिए खड़े होने और न्याय मांगने के लिए मुझे परेशान किया जा रहा है। एक पत्रकार होने के नाते मेरा काम भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियों और उनके द्वारा किये फर्ज़ीवाड़े को उजागर करने का मेरा दायित्व है”। 

इस सिलसिले में उन्होंने खुद द्वारा उजागर की गयी कुछ ऐसी खबरों का लिंक भी दिया है जिसमें संबंधित पक्ष के लोगों का उनके प्रति शत्रुतापूर्ण रुख भी होने की आशंका दिखती है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए उन्होंने प्रशासन से जल्द से जल्द सुरक्षा प्रदान करने की की मांग की है। 

उन्होंने बताया कि मेरे द्वारा सरकार के न्यायालय की कार्यशैली को नजदीक से देखा परखा और अपनी कलम से लिपिबद्ध किया जा चुका है।जिसमें कई ऐसी खबरें भी रही है जो जनमानस के लिए काफी उपयोगी और मार्गदर्शन देने वाली रही हैं। देश के मंत्रिमंडल और सदन में मेरी पहचान वरिष्ठ और अनुभवी पत्रकार की रही है। उत्तर प्रदेश पुलिस और दिल्ली पुलिस के लिए मैंने ट्रेनिंग देने का काम किया है सांस्कृतिक मंत्रालय केंद्र सरकार के अधीन रहकर। ऐसे में मेरी पहचान और गरिमा को लेकर दिया गया वक्तव्य गलत है। 

उन्होंने कहा कि मीना तिवारी के द्वारा मुझ पर लगाया गया आरोप गलत और बेबुनियाद है क्योंकि मैंने राजनैतिक पत्रकार की हैसियत से समाज में हमेशा अपनी बात रखी है और लोगों को दिशा देने का काम किया जो लोकतंत्र के चौथे स्तंभ के नाते मेरी जिम्मेदारी है। मैंने किसी भी मौके पर सरकार विरोधी और देश विरोधी बातें नहीं कि  जिसका जिक्र मीना तिवारी कर रही हैं। मीना तिवारी को आगे खड़ा करके मेरे भाई के हत्यारे बचना चाहते हैं और मुझे पुलिस से मिलकर मारना चाहते हैं क्योंकि मैं अपने भाई की हत्या के लिए न्याय की मांग कर रही हूं और इस लिए हत्यारे मुझे जिंदा नहीं देखना चाहते। 

उन्होंने कहा कि श्रीमती मीना तिवारी ने संघ प्रमुख मोहन भागवत का नाम लिया है बीजेपी का जिक्र किया है। बनारस के पुलिस कमिश्नर का हवाला दिया है क्या इनमें से किसी ने इनको मेरे खिलाफ अधिकृत किया है। मुकदमा कायम करवाने के लिए या इनको पैरवीकार बनाया है क्योंकि मीना तिवारी ने बीजेपी के जोर पर मुकदमा कायम करवाया है। इसकी पुष्टि समाचार पत्रों में प्रकाशित खबरें हैं। मेरे भाई की हत्या में बीजेपी के एक नेता की संलिप्तता है और इसके लिए पुलिस और प्रशासन मेरी हत्या करवाना चाहता है।

इस मामले में वाराणसी के प्रशासन से बात करने की कोशिश की गयी लेकिन कोई बातचीत नहीं हो सकी। इस सिलसिले में एक मेल भी भेजी जा चुकी है। अभी तक उसका कोई जवाब नहीं आया है। जवाब आने पर खबर को अपडेट कर दिया जाएगा।

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