दलित-अल्पसंख्यकों की आवाज एक्टिविस्ट मनीष शर्मा को यूपी एटीएस ने उठाया

वाराणसी। वाराणसी समेत पूर्वांचल के जनपदों में दलित, आदिवासी, पसमांदा और हाशिये पर रहने वाले समाज के लिए कार्य करने वाले व कम्युनिस्ट फ्रंट के संयोजक मनीष शर्मा से यूपी की सत्ता डर रही है। हाल के कुछ वर्षों में मुहिम चलाकर रोजगार, गरीबो के विस्थापन, गरीबों के भूमि अधिग्रहण, आरक्षण, जाति आधारित जनगणना, बुनकरों की समस्या और दलितों और महिलाओं के अधिकारों की आवाज बुलंद करने में मनीष शर्मा ने अहम भूमिका निभाई है।

मनीष का संघर्ष जमीन पर हाशिये के लोगों में दिख भी रहा है। मनीष के नेतृत्व में राजघाट स्थित किला कोहना के दलित और अल्पसंख्यक समाज के लोग विस्थापन से पहले उचित पुनर्वास की मांग पर आंदोलन पर हैं लेकिन आंदोलनरत लोगों को स्थानीय प्रशासन और सत्ता द्वारा डराया-धमकाया जा रहा है, न मानने पर जेल में डाल देने की धमकी दी जा रही है।

किला कोहना बस्ती उजाड़ने के खिलाफ प्रतिवाद मार्च में मनीष शर्मा

कम्युनिस्ट फ्रंट के संयोजक मनीष शर्मा ने “जनचौक” को बताया कि “दिन सोमवार, 15 मई को दोपहर लगभग 3:30 बजे पीडब्ल्यूडी के पास से सादी वर्दी में एटीएस वाले बिना किसी वारंट के उन्हें उठा ले गये, जिसकी सूचना किसी को नहीं दिए और मोबाइल जब्त कर फोन को स्विच ऑफ कर दिया। परिवारवालों द्वारा खोजबीन करने पर पता चला कि एटीएस वाराणसी अपने अशोक विहार स्थित कार्यालय ले गई है। इसके बाद तमाम आंदोलनकारियों, नागरिकों, चिंतकों का हुज़ूम एटीएस दफ़्तर का रुख किया। भारी जन दबाव के चलते रात करीब दस बजे मनीष को एटीएस ने इस शर्त पर रिहा किया कि मंगलवार यानी आज एक बजे पुनः एटीएस कार्यालय पर उपस्थित होना है। खबर लिखे जाने तक पूछताछ जारी है।”

विदित हो कि मनीष शर्मा की सक्रियता पिछले दो दशकों से बनारस और आसपास के इलाकों में रही है। खासकर वरुणा कॉरिडोर, स्लाटर आंदोलन, बुनकरों की बिजली की लड़ाई, किसान आंदोलन, एनआरसी का आंदोलन, पिछले डेढ़ वर्षों से चल रहे जाति जनगणना आंदोलन और खास तौर पर नट व मुसहर समाज की बेहतरी व उनकी जमीनों पर टिकी शासन संरक्षित भू-माफियाओं के खिलाफ मुहिम में मनीष शर्मा अहम भूमिका में रहे हैं।

जाति जनगणना सम्मेलन में बोलते मनीष शर्मा

जनआंदोलन और जनसरोकार के सवालों पर लगातार सरकार और बनारस प्रशासन को चुनौती देने व सत्ता से सवाल करने का कार्य भी मनीष शर्मा करते आये हैं। बहरहाल, इस दौर में बेहद चंद लोग और संगठन विपक्ष की भूमिका में खड़े नजर आते हैं। अगर उनका भी इस तरह सत्ता प्रायोजित दमन होगा तो जनता के सवाल मूक बने रह जायेंगे।

रिहाई मंच महासचिव राजीव यादव मनीष शर्मा की गिरफ्तारी के संदर्भ में कहा कि ‘वाराणसी के कम्युनिस्ट फ्रंट के नेता मनीष शर्मा को जिस तरह से दिनदहाड़े सरेराह एटीएस द्वारा उठा लिया जाता है और देर रात उनकी पत्नी को सूचित किया जाता है, यह कार्रवाई बताती है कि सरकार लोकतांत्रिक तरीके से चल रहे आंदोलनों की आवाजों का दमन करना चाहती है। पिछले दिनों रिहाई मंच अध्यक्ष एडवोकेट मोहम्मद शोएब को एटीएस ने ऐसे ही उठाया था। राजीव ने कहा कि 24 दिसंबर 2022 को वाराणसी से आजमगढ़ जब वह आ रहे थे तो रास्ते से कथित एसटीएफ क्राइम ब्रांच ने उठाया था तो किसान आंदोलन और अन्य लोकतांत्रिक आंदोलनों के बारे में पूछताछ कर रहे थे। इसके बाद 2 फरवरी को जब आजमगढ़ जिलाधिकारी कार्यालय से वार्ता कर खिरिया बाग लौट रहे थे तो अपहरण की फिर से कोशिश हुई पर आंदोलन की महिलाओं के आ जाने की वजह से अपहरणकर्ता भाग गए। पुलिस के स्पेशल दस्तों द्वारा ये गैरकानूनी करवाइयां दबाव बनाने की कोशिश होती हैं कि आप आंदोलन से हट जाएं।’

उन्होंने आगे कहा कि ‘वाराणसी के सामाजिक कार्यकर्ता मनीष शर्मा से पूछताछ हो या फिर मानवाधिकार कार्यकर्ता नवशरन को मनी लांड्रिंग केस के सम्मन या फिर विरेंद्र यादव किसान नेता के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की कार्रवाई सरकार द्वारा लोकतांत्रिक आवाजों खास तौर से किसान आंदोलन से जुड़े लोगों के खिलाफ कार्रवाई करके डर का माहौल बनाने की साजिश है। जिससे वह इंसाफ के सवाल नहीं उठा सकें।’

ऐसे में जरूरत है कि ऐसे मामलों में तमाम संगठनों को एकजुटता दिखाते हुए मनीष शर्मा जैसे लोगों के समर्थन में आवाज बुलंद किया जाए। मौजूदा वक्त में पूर्वांचल बहुजन मोर्चा, कम्युनिस्ट फ्रंट, जाति जनगणना संयुक्त मोर्चा, नट समुदाय संघर्ष समिति, स्टूडेंट फ्रंट, बुनकर साझा मंच, भगत सिंह यूथ फ्रंट, रिदम मंच एवं बनारस का नागरिक समाज का मनीष को पूर्ण समर्थन मिल रहा है। इन संस्थाओं ने मांग की है कि बेवजह राजनीतिक कार्यकर्ताओं का दमन बंद हो। साथ ही प्रशासन मनीष शर्मा का पूछताछ के नाम पर मानसिक उत्पीड़न करना बंद करे।

(वाराणसी से जनचौक ब्यूरो की रिपोर्ट।)

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