राजदीप के खिलाफ अवमानना की अनुमति देने से एटार्नी जनरल का इंकार

नई दिल्ली। एटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने वरिष्ठ पत्रकार और एंकर राजदीप सरदेसाई के खिलाफ अवमानना का केस चलाने की अनुमति देने से इंकार कर दिया है। उन्होंने कहा है कि ट्वीट में ऐसा कुछ भी नहीं है जिससे अवमानना का कोई मामला बनता हो।

उन्होंने याचिकाकर्ता ओमप्रकाश परिहार को लिखे पत्र में कहा कि “मुझे राजदीप सरदेसाई के खिलाफ अवमानना के अपराध में कार्रवाई शुरू करने के लिए अनुमित का आवेदन मिला”।

उन्होंने कहा कि “मैंने उन सभी ट्वीट साथ ही उनके कंटेंट की गहरी नजर से छानबीन की जो आपके अवमानना याचिका में शामिल की गयी हैं। याचिका में पांच ट्वीट हैं जिन्हें कथित तौर पर राजदीप सरदेसाई द्वारा ट्वीट किया बताया गया है। मैं उसी आधार पर आगे बढ़ रहा हूं जिस तरह से ट्वीट को पेश किया गया है।”

एटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि “मैंने ट्वीट की गहराई से छानबीन की। मैंने पाया कि श्री सरदेसाई द्वारा दिए गये बयान प्रकृति में इतने गंभीर नहीं हैं कि वो सु्प्रीम कोर्ट की प्रतिष्ठा को नीचा दिखाते हों या फिर जनता की नजरों में उसके रुतबे को कम करते हों। लोकतंत्र के एक महान खंभे के तौर पर सुप्रीम कोर्ट की प्रतिष्ठा पिछले 70 सालों में तैयार हुई है। चलताऊ आलोचना या फिर छोटी टिप्पणियां जरूर स्वाद बिगाड़ सकती हैं लेकिन संस्थान की छवि को किसी भी रूप में चोट नहीं पहुंचा सकती हैं”।

उन्होंने आगे कहा कि “इन परिस्थितियों में मैं किसी भी इस तरह की जरूरत को महसूस नहीं करता कि उनके खिलाफ अवमानना का केस दर्ज किया जाए। लिहाजा उसके तहत में अपनी सहमति देने से इंकार करता हूं”।

गौरतलब है कि राजदीप सरदेसाई के कुछ ट्वीट को लेकर सुप्रीम कोर्ट में वकील ओम प्रकाश परिहार ने याचिका दायर की थी और सुप्रीम कोर्ट से उनके खिलाफ अवमानना का केस दर्ज करने के लिए एटार्नी जनरल वेणुगोपाल से इसकी अनुमति मांगी थी। आपको बता दें कि किसी के खिलाफ अवमानना का केस चलाने के लिए सबसे पहले एटार्नी जनरल की अनुमति लेनी आवश्यक होती है।

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