गुजरात मॉडल के खिलाफ बिहार मॉडल सबसे कारगर: माले

पटना। भाकपा-माले का 11वां राष्ट्रीय महाधिवेशन, 15-20 फरवरी 2023, कल देर रात संपन्न हो गया। महाधिवेशन ने गुजरात मॉडल के मुकाबले बिहार मॉडल को मजबूती से पेश किया और इसे पूरे देश में फैला देने की जरूरत पर जोर दिया। इस बिहार मॉडल में जहां एक ओर मजदूर-किसानों व अन्य मेहनतकश समूहों की संघर्षशील एकता के साथ खड़ा किए जाने वाले जमीनी व प्रभावी जनांदोलनों के आधार पर संघ-भाजपा व अडानी-अंबानी के कारपोरेट-सांप्रदायिक-फासीवादी नीतियों का प्रतिरोध करना, और वहीं दूसरी ओर भाजपा के खिलाफ तमाम विपक्षी दलों व संगठनों की व्यापक विपक्षी एकता के आधार पर उसे चुनावों में शिकस्त देना शामिल है।

आज पटना में भाकपा-माले के लगातार पांचवीं बार महासचिव निर्वाचित हुए का. दीपंकर भट्टाचार्य ने कहा कि बिहार का महागठबंधन व्यापकतम सामाजिक-राजनीतिक व वैचारिक ताकतों का गठबंधन है। इसे व्यापक जनसमर्थन हासिल है। बिहार का यह बदलाव आने वाले दिनों में पूरे देश में दिखेगा। संवाददाता सम्मेलन में का. दीपंकर के अलावा राज्य सचिव कुणाल, धीरेन्द्र झा, राजाराम सिंह, वी. शंकर, क्लिफटन डी रोजेरिया, मीना तिवारी, मंजू प्रकाश और संदीप सौरभ उपस्थित थे।

महाधिवेशन ने 77 सदस्यीय केन्द्रीय कमेटी जिसमें नवनिर्वाचित केन्द्रीय कंट्रोल कमीशन के अध्यक्ष का. राजा बहुगुणा भी एसोसिएट सदस्य के बतौर शामिल हैं, का चुनाव किया। इसमें 13 नए सदस्य शामिल हैं। केन्द्रीय कमेटी में 5 नई महिला सदस्यों – फरहद बानू , राजस्थान; मंजू प्रकाश, बिहार; इंद्राणी दत्त पश्चिम बंगाल; श्वेता राज दिल्ली और मैत्रेयी कृष्णन कर्नाटक के शामिल किए जाने के साथ ही महिलाओं का औसत बढ़कर करीब 16 प्रतिशत हो गया है।

केन्द्रीय कमेटी ने नये चेहरों में बिहार से सत्यदेव राम, कुमार परवेज, संदीप सौरभ, नवीन कुमार व प्रकाश कुमार; नई दिल्ली से नीरज कुमार, उत्तराखंड से इंद्रेश मैखुरी व कैलाश पांडे शामिल हैं।

महाधिवेशन में प्रस्तुत सांगठनिक रिपोर्ट के मुताबिक भाकपा-माले का यह महाधिवेशन लगभग 2 लाख सदस्यता के साथ हुआ। इसमें कुल 27 राज्यों व केन्द्र शासित प्रदेशों से कुल 265 जिलों से निर्वाचित व मनोनीत होकर आए थे। रिपोर्ट के मुताबिक पूरे देश में 16 राज्यों में पार्टी का राज्य स्तरीय ढांचे हैं, 197 जिलों में जिला स्तरीय ढांचे हैं। करीब 1200 स्थानीय कमेटियों व 8000 पार्टी ब्रांचों समेत इन सभी नेतृत्वकारी ढांचों में 29 प्रतिशत महिलाएं हैं।

महाधिवेशन के प्रतिनिधित्व में महिलाओं की हिस्सेदारी भी पिछले की तुलना में बढ़कर 15 प्रतिशत हो गयी है। 41 प्रतिशत प्रतिनिधि स्नातक व परास्नातक थे। लगभग तीन चौथाई प्रतिनिधि मध्यम किसान, वर्किंग क्लास और खेत मजदूर पृष्ठभूमि से थे और प्रतिनिधियों में बड़ी संख्या लगभग 62 प्रतिशत पूर्णकालिक पार्टी कार्यकर्ताओं की थी।

(प्रेस विज्ञप्ति पर आधारित।)

Janchowk
Published by
Janchowk