नई दिल्ली। बोरिस जॉहन्सन ब्रिटेन के अगले प्रधानमंत्री होंगे। वह थेरेसा मे का स्थान लेंगे। उन्होंने अपने प्रतिद्वंद्वी जर्मी हंट को कंजर्वेटिव पार्टी के सदस्यों के भीतर हुए चुनाव में भारी मतों से हरा दिया। ब्रेक्सिट के चेहरे बन चुके जॉहन्सन को कंजर्वेटिव पार्टी के 92153 सदस्यों का वोट मिला जबकि उनके प्रतिद्वंद्वी हंट केवल 46656 वोट ही हासिल कर सके। बोरिस जॉहन्सन को अब ब्रेक्सिट के फ्रंट पर काम करने के लिए केवल तीन महीने का ही समय मिला है। और उम्मीद की जा रही है कि वह इसमें अपनी पूरी ताकत लगा देंगे।
नतीजे घोषित होने के बाद अपने पहले बयान में जॉहन्सन ने कहा कि प्रधानमंत्री के रूप में वह देश को एकताबद्ध करेंगे और ब्रेक्सिट को पूरी तरह से लागू करेंगे और विपक्षी लेबर पार्टी की हार को सुनिश्चित करेंगे।
औपचारिक रूप से शपथग्रहण समारोह का आयोजन बुधवार को होगा। 55 वर्षीय जॉहन्सन के लिए यह बड़ी जीत है। एक ऐसे शख्स के लिए यह और बड़ी हो जाती है जो राजनीति में हमेशा किनारे रहा हो।
जॉहन्सन की जीत के दो असर पड़ेंगे। यह इंग्लैंड को यूरोपीय यूनियन के साथ ब्रेक्सिट शो डाउन की तरफ ले जाएगा यानी यूनियन से ब्रिटेन के अलग होने की गति को और तेज करेगा। दूसरा घर में एक तरह का संवैधानिक संकट भी खड़ा होगा। क्योंकि ब्रिटेन के कानून निर्माताओं ने इस बात की शपथ ले रखी है कि वह ऐसी किसी भी सरकार को गिराने के लिए अपनी पूरी ताकत लगा देंगे जो बगैर किसी औपचारिक तलाक संबंधी डील किए ब्लाक यानी यूरोपीय यूनियन को छोड़ने का प्रयास करेगी।
जॉहन्सन की जीत ने एक हार्डकोर ब्रेक्सिट समर्थक को सरकार में बैठा दिया है। 2016 के जनमत संग्रह के बाद यूरोपियन यूनियन छोड़ने के बाद ऐसा पहली बार हुआ है।