बैंक फ्रॉड में रिश्वतखोरी: सीबीआई के दो कर्मी निलंबित, दो डीएसपी के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश

बैंक धोखाधड़ी मामले में सीबीआई अधिकारियों पर बड़ी कार्रवाई की गई है। दो सीबीआई अधिकारियों, निरीक्षक कपिल धनखड़ और स्टेनोग्राफर समीर कुमार सिंह को निलंबित कर दिया गया है। इसके साथ ही सीबीआई के दो डीएसपी के खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई की गई है। एजेंसी ने धोखाधड़ी मामलों में जुड़े कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग को दो बड़े अधिकारियों, पुलिस उपाधीक्षकों आरके ऋषि और आरके सांगवान के खिलाफ प्रशासनिक कार्रवाई करने की सिफारिश की है। कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग सीबीआई के लिए नोडल मंत्रालय है।

पिछले दिनों आठ पृष्ठों की प्राथमिकी में लगाए गए आरोपों को एजेंसी द्वारा छापेमारी की कार्रवाई पूरी होने के बाद सार्वजनिक किया गया था, जिसमें कहा गया था कि इंस्पेक्टर कपिल धनखड़ को अपने उन वरिष्ठ अधिकारियों, पुलिस उपाधीक्षकों आरके सांगवान और आरके ऋषि से कम से कम 10-10 लाख रुपये प्राप्त हुए, जो 700 करोड़ रुपये की बैंक धोखाधड़ी की आरोपित श्री श्याम पल्प एंड बोर्ड मिल्स तथा 3,600 करोड़ रुपये की बैंक धोखाधड़ी की आरोपित फ्रास्ट इंटरनेशनल के पक्ष में काम कर रहे थे।

सांगवान, ऋषि, धनखड़ और स्टेनोग्राफर समीर कुमार सिंह अधिवक्ताओं अरविंद कुमार गुप्ता, मनोहर मलिक और कुछ अन्य आरोपितों के साथ मिलकर कुछ मामलों की जांच को प्रभावित कर रहे थे।

सीबीआई के अनुसार यह अधिकारी साल 2018 से बैंक फ्रॉड मामलों में आरोपी कंपनियों को केस से जुड़ी गोपनीय जानकारियां लीक कर राहत दिलाने के नाम पर रिश्वत का खेल खेल रहे थे। सीबीआई ने इस मामले में जो आरंभिक जांच की, उसमें आरोप के मुताबिक, सीबीआई में तैनात डीएसपी आरके ऋषि और इंस्पेक्टर कपिल धनखड़ को 55 लाख रुपये बतौर रिश्वत दिए गए थे, जिनमें से 30 लाख रुपये आरके ऋषि और 25 लाख रुपये कपिल धनखड़ को दिए गए थे। ये रिश्वत बैंकों के साथ धोखाधड़ी के मामले में फंसी 3 कंपनियों ने इन्हें केस की जांच से जुड़ी अहम जानकारियां मुहैया करवाने के नाम पर दी थीं।

सीबीआई ने इस रैकेट से जुड़े नौ लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी, जिनमें ग़ाज़ियाबाद में सीबीआई अकेडमी में तैनात डीएसपी आरके ऋषि, बैंक सिक्योरिटी एंड फ्रॉड सेल में तैनात इंस्पेक्टर कपिल धनखड़, स्पेशल क्राइम यूनिट में तैनात डीएसपी आरके सांगवान, बैंक सिक्योरिटी एंड फ्रॉड सेल में तैनात स्टेनोग्राफर समीर कुमार सिंह समेत दो वकीलों अरविंद कुमार गुप्ता, मनोहर मालिक समेत प्राइवेट कंपनियां और उनके मालिक शामिल हैं।

छापे के दौरान जिन 14 ठिकानों पर छापेमारी की गई थी, उनमें से अनेक ठिकानों पर नकदी और अहम दस्तावेज बरामद हुए हैं, जो दस्तावेज बरामद हुए हैं उनके आकलन का काम किया जा रहा है। मामले की गंभीरता को देखते हुए सीबीआई प्रशासन ने इंस्पेक्टर कपिल धनखड़ और बैंक सिक्योरिटी एंड फ्राड सेल में तैनात स्टेनोग्राफर समीर कुमार सिंह को आज देर शाम निलंबित कर दिया, जबकि इस मामले में शामिल दोनों डीएसपी आरके सांगवान और आरके ऋषि के खिलाफ कार्मिक मंत्रालय को पत्र लिख कर कार्रवाई करने को कहा गया है।

सीबीआई द्वारा अपने चार अधिकारियों के ख़िलाफ़ एफआईआर में बताया गया है कि एक आरोपी इंस्पेक्टर को उनके दो वरिष्ठ डिप्टी एसपी से कम से कम 10-10 लाख रुपये प्राप्त हुए, जो हज़ारों करोड़ रुपये से अधिक की बैंक धोखाधड़ी की आरोपी दो कंपनियों के लिए काम कर रहे थे। वे न केवल जांच से समझौता करने के लिए नियमित तौर पर रिश्वत प्राप्त कर रहे थे बल्कि बैंकों से जनता के करोड़ों रुपये का घपला करने की आरोपी कंपनियों से अपने साथियों को रिश्वत दिलाने के लिए माध्यम के रूप में भी काम कर रहे थे।

एफआईआर के अनुसार, इंस्पेक्टर कपिल धनखड़ को अपने उन वरिष्ठ अधिकारियों, पुलिस उपाधीक्षकों, आरके सांगवान और आरके ऋषि से कम से कम 10-10 लाख रुपये प्राप्त हुए, जो 700 करोड़ रुपये की बैंक धोखाधड़ी की आरोपी श्री श्याम पल्प एंड बोर्ड मिल्स तथा फ्रॉस्ट इंटरनेशनल के लिए समर्थन जुटा रहे थे, जिस पर 3,600 करोड़ रुपये के बैंक धोखाधड़ी का आरोप है।

केंद्रीय जांच ब्यूरो ने अपने चार अधिकारियों, सांगवान, ऋषि, धनकड़ और सिंह के अलावा मलिक और गुप्ता, अतिरिक्त निदेशक श्री श्याम पल्प एंड बोर्ड मिल्स मनदीप कौर ढिल्लों और फ्रॉस्ट इंटरनेशनल के निदेशकों सुजय देसाई और उदय देसाई के खिलाफ मामले दर्ज किए हैं।

प्राथमिकी में आरोप लगाया गया है कि ऋषि ने दो अधिवक्ताओं मनोहर मलिक और अरविंद गुप्ता (जिनका डिफेंस कॉलोनी में कार्यालय है) के जरिये दो बार 15 लाख रुपये चंडीगढ़ की कंपनी का पक्ष लेने के लिए प्राप्त किए, जिसके खिलाफ सीबीआई भ्रष्टाचार मामले की जांच कर रही है। यह भी आरोप लगाया गया है कि धनखड़ को ऋषि के माध्यम से सौदे के लिए दो बार गुप्ता से 2.5 लाख रुपये मिले।

सीबीआई ने इस मामले में दो दिन पहले अपने ही विभाग के चार अधिकारियों, कर्मचारियों समेत निजी कंपनियों के ठिकानों को मिलाकर कुल 14 जगहों पर छापेमारी की थी। इनमें से कई ठिकानों पर नकदी और अहम दस्तावेज मिले हैं।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं और इलाहाबाद में रहते हैं।)

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