गंगा में लाशें बहाने की पुष्टि करके मोदी सरकार के नौकरशाहों ने यूपी सीएम योगी पर साधा निशाना

नमामि गंगे प्रोजेक्ट यानि गंगा की सफाई परियोजना के बहाने यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सरकार पर मोदी सरकार के नौकरशाहों ने निशाना साधा है। नमामि गंगे प्रोजेक्ट यानि गंगा की सफाई परियोजना पर यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का रिपोर्ट कार्ड एक किताब के रूप में मोदी सरकार के कारिंदों ने जारी कर दिया है, जिसमें लाशों को गंगा में बहाने के आरोपों को योगी सरकार द्वारा ख़ारिज करने के दावों की हवा निकाल दी गयी है।

दरअसल पिछले साल उत्तर प्रदेश और बिहार से कई सारी तस्वीरें वायरल हुई थीं, जहां दावा किया गया था कि लोग कोरोना से मौत के बाद लाशों को गंगा (Ganga) में बहा रहे हैं। हालांकि योगी सरकार ने इन दावों को खारिज कर दिया था। यूपी में अगले तीन महीने के भीतर विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं और ऐसे में मुख्यमंत्री के दावों को केन्द्रीय एजेंसियों द्वारा खंडित किये जाने का एक ही निहीतार्थ है कि केंद्र की सरकार किसी भी कीमत पर उनकी दुबारा वापसी नहीं चाहती।

गुरुवार को लॉन्च हुई एक नई किताब में दावा किया गया है कि इस साल कोरोना की दूसरी लहर  के दौरान गंगा नदी में लाशें बहाई गई थीं। साथ ही लिखा गया है कि उत्तर प्रदेश में लाशों को फेंकने के लिए ये एक आसान जगह बन गई थी। इस किताब का शीर्षक है- गंगा: रीइमेजिनिंग, रिजुवेनेटिंग, रीकनेक्टिंग। इस किताब के लेखक हैं राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के महानिदेशक और नमामि गंगे के प्रमुख राजीव रंजन मिश्रा और एनएमसीजी के साथ काम कर चुके आईडीएएस अधिकारी पुस्कल उपाध्याय। दरअसल पिछले साल उत्तर प्रदेश और बिहार से कई सारी तस्वीरें वायरल हुई थीं जहां दावा किया गया था कि लोग कोरोना से मौत के बाद लाशों को गंगा में बहा रहे हैं। हालांकि यूपी सरकार ने इन दावों को खारिज कर दिया था।

अब किताब के लेखक मोदी जी के ड्रीम प्रोजेक्ट राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के महानिदेशक और नमामि गंगे के प्रमुख राजीव रंजन मिश्रा और एनएमसीजी के साथ काम कर चुके आईडीएएस अधिकारी पुस्कल उपाध्याय हों, किताब को प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष बिबेक देबरॉय ने लॉन्च किया हो,किताब यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ की सरकार के कुशासन को उजागर करती हो और प्रदेश में तीन माह के भीतर विधानसभा चुनाव होने हों, तो इसे डैमेज करने की कोशिश नहीं मानी जाएगी तो क्या माना जायेगा?

राजीव रंजन मिश्रा 1987-बैच के तेलंगाना-कैडर के आईएएस अधिकारी हैं और दो कार्यकालों के दौरान पांच साल से अधिक समय तक एनएमसीजी में सेवाएं दे चुके हैं और 31 दिसंबर, 2021 को रिटायर होने वाले हैं ।

अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित रिपोर्ट में कहा गया है कि किताब के एक चैप्टर में गंगा पर कोरोना महामारी के प्रभाव को बताते हुए लिखा है, ‘जैसे-जैसे कोविड -19 महामारी के चलते शवों की संख्या बढ़ी अंतिम संस्कार करने के लिए जगह का दायरा भी बढ़ता गया। यूपी और बिहार के श्मशान घाटों पर जलती चिताओं के बीच, गंगा नदी शवों के लिए एक ‘आसान डंपिंग ग्राउंड’ बन गई । जिलों द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों का हवाला देते हुए लिखा गया है कि 300 से ज्यादा शव नदी में फेंके गए थे, हालांकि 1000 शवों को बहाने की बात कही गई थी।

किताब में लेखक ने कहा है कि  मई के महीने में जब मैंने पवित्र गंगा में तैरती लावारिस और अधजली लाशों के बारे में सुना तो मैं उस वक्त गुरुग्राम स्थित मेदांता, अस्पताल में कोरोना से उबर रहा था। टेलीविज़न चैनल, पत्रिकाएं, समाचार पत्र और सोशल मीडिया साइट्स भयानक तस्वीरों और शवों को नदी में फेंके जाने की कहानियों से भर गए थे। ये मेरे लिए एक दर्दनाक और दिल तोड़ने वाला अनुभव था। एनएमसीजी के महानिदेशक के रूप में, मेरा काम गंगा को साफ रखना था ।

11 मई को, जब दूसरी लहर पीक पर थी, मिश्रा के नेतृत्व में एनएमसीजी ने सभी 59 जिला गंगा समितियों को तैरते हुए शवों के बारे में रिपोर्ट मांगी थी । कुछ दिनों बाद, इसने यूपी और बिहार को इस मुद्दे पर एक विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए कहा, जिसके बाद यूपी ने गंगा और उसकी सहायक नदियों से लावारिस लाशों के जिले-वार डेटा का मिलान करना शुरू कर दिया । बाद में, यूपी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने एक बैठक में केंद्रीय अधिकारियों को बताया कि राज्य के मध्य और पूर्वी क्षेत्रों में नदियों में शव मिले थे।

कोरोना की विनाशकारी दूसरी लहर के दौरान उत्तर प्रदेश में गंगा नदी लाशों को फेंकने की आसान जगह  बन गई थी। कोरोना की दूसरी लहर के दौरान गंगा में तैरती लाशों के कारण यूपी की भाजपा सरकार की काफी आलोचना हुई थी, लेकिन सरकार इससे बार-बार इनकार करती रही है।कोरोना वायरस महामारी की दूसरी लहर ने पूरे देश में तबाही मचाई थी। उत्तर प्रदेश में भी इस महामारी की चपेट में आने से हजारों लोगों की मौत हुई थी। इस दौरान अनगिनत लाशें गंगा में बहती नजर आई थीं, माना जा रहा था कि ये शव कोविड से मरने वालों के हैं जिन्हें इस तरह नदी में बहा दिया है, हालांकि, सरकार इससे बार-बार इनकार करती रही है।

(जेपी सिंह वरिष्ठ पत्रकार हैं और आजकल इलाहाबाद में रहते हैं।)

जेपी सिंह
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