कैप्टन को नहीं है भाजपा से कोई परहेज

मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के एक महीने बाद कैप्टन अमरिंदर सिंह ने अपने पत्ते खोलते हुए अपनी नई क्षेत्रीय पार्टी बनाने की बात कही है। उनके मुताबिक उनकी पार्टी एक नवंबर तक वजूद में आ जाएगी। कैप्टन का कहना है कि वह कांग्रेस तथा बादलों की सरपरस्ती वाले शिरोमणि अकाली दल को छोड़कर किसी भी अन्य राजनीतिक दल से गठजोड़ कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा से गठबंधन संभव है। किसान आंदोलन खत्म होने पर भाजपा से खुला तालमेल हो सकता है। कैप्टन ने कहा कि वह भाजपा को ‘अछूत’ नहीं मानते बल्कि राष्ट्रवादी मानते हैं। शिरोमणि अकाली दल (बादल) से अलहदा हुए सुखदेव सिंह ढींडसा (अध्यक्ष, संयुक्त अकाली दल) और टकसाली नेता रणजीत सिंह ब्रह्मपुरा के साथ मिलकर चुनाव लड़ने की संभावना जाहिर करते हुए कैप्टन ने कहा कि राज्य के हित में कांग्रेस और शिअद छोड़ चुके टकसाली नेताओं को एकजुट कर नया मंच बनाएंगे।

पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि भाजपा फिरकापरस्त पार्टी नहीं है। किसान आंदोलन से पहले उन्हें भाजपा की अगुवाई वाली केंद्र सरकार से बतौर कांग्रेसी मुख्यमंत्री कोई दिक्कत नहीं थी। कैप्टन को उम्मीद है कि किसान आंदोलन शीघ्र खत्म हो जाएगा। उनके मुताबिक किसान प्रतिनिधियों के साथ केंद्र की अप्रत्यक्ष बातचीत हो रही है। वह कहते हैं कि नई पार्टी बना कर भाजपा के साथ गठजोड़ करना कृषि कानून के खिलाफ किसान आंदोलन के संतोषजनक हल पर निर्भर करेगा। कैप्टन ने कहा कि किसान आंदोलन जल्द खत्म नहीं हुआ तो सूबे के नौजवानों को भारत विरोधी ताकतें गुमराह कर सकती हैं। इसे लेकर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल से दिल्ली में पिछले दिनों मुलाकात की थी। वैसे, इन दिनों भी कैप्टन दिल्ली में हैं और सूत्रों के मुताबिक आला भाजपा नेताओं से संपर्क में हैं।

कैप्टन अमरिंदर सिंह की नई पार्टी पर कुछ फौरी प्रतिक्रियाएं मिली हैं। शिरोमणि अकाली दल के नेता पूर्व मंत्री डॉक्टर दलजीत सिंह चीमा ने कहा है कि यह पूर्व मुख्यमंत्री का सियासी स्टंट है। भाजपा के साथ कैप्टन पहले से ही मिले हुए हैं। किसान आंदोलन खत्म करने के लिए मुख्यमंत्री होने के बावजूद वह कोई ठोस कदम नहीं उठा पाए। इसी वजह से पद छोड़ना पड़ा। संयुक्त शिरोमणि अकाली दल के वरिष्ठ नेता तथा पूर्व वित्त मंत्री परमिंदर सिंह ढींडसा का कहना है कि कैप्टन अभी भी कांग्रेसी हैं। पहले वह कांग्रेस छोड़ें।

उसके बाद आगे की बात हो सकती है। जिक्रेखास है कि कैप्टन संयुक्त शिरोमणि अकाली दल के साथ मिलकर चुनाव लड़ने की बात कह चुके हैं। लेकिन परमिंदर का कहना है कि फिलहाल उन्होंने हमसे संपर्क नहीं किया है। करेंगे तो कोई फैसला किया जाएगा। ‘आप’ के वरिष्ठ नेता तथा विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष हरपाल सिंह चीमा ने कहा, कैप्टन अमरिंदर, शिरोमणि अकाली दल और भाजपा के साथ मिले हुए हैं। उन्हीं के कारण बादल परिवार बेअदबी कांड में बचता रहा। नई पार्टी बनाने की घोषणा असल में कैप्टन की सियासी चाल है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता तथा पंजाब प्रभारी हरीश रावत कहते हैं कि कैप्टन एक भटके हुए व्यक्ति हैं।

जो हो, कैप्टन अमरिंदर सिंह द्वारा नई पार्टी गठित करने की घोषणा ने पंजाब में सियासी हलचल तेज कर दी है। कांग्रेस की पेशानी पर गहरे बल हैं। कैप्टन आने वाले दिनों में कांग्रेस में छोटी-मोटी बगावत करवा सकते हैं। बेशक अब वह मुख्यमंत्री नहीं रहे लेकिन राज्य कांग्रेस में उनके समर्थकों की कमी नहीं। उनका अपना खेमा तो कायम है ही। वह अपने तौर पर हिंदू तथा जट्ट वोट काटने की सामर्थ्य बखूबी रखते हैं। इसका एकसमान नुकसान बादलों की अगुवाई वाले शिरोमणि अकाली दल, कांग्रेस तथा आम आदमी पार्टी को हो सकता है।

इस बीच चर्चा है कि कैप्टन की नई पार्टी का नाम ‘पंजाब विकास पार्टी’ या ‘पंजाब पीपुल्स कांग्रेस पार्टी’ हो सकता है। बहरहाल, नई पार्टी के गठन की तरफ बढ़ रहे कैप्टन अमरिंदर सिंह की गतिविधियों पर भाजपा की भी पैनी निगाहें हैं।
(पंजाब से वरिष्ठ पत्रकार अमरीक सिंह की रिपोर्ट।)

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