मॉब लिंचिंग की घटनाओं पर मशहूर हस्तियों ने लिखा पीएम को खत, कहा-तत्काल लगाएं इन पैशाचिक घटनाओं पर रोक

देशभर में बढ़ रही मॉब लिचिंग की वारदातों को देखते हुए देश की कई मशहूर हस्तियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखी है। चिट्ठी पर 49 हस्तियों ने हस्ताक्षर किए हैं। इनमें श्याम बेनेगल, रामचंद्र गुहा, अनुराग कश्यप, कोंकणा सेन शर्मा, मणिरत्नम जैसे लोग शामिल हैं। 

इन लोगों ने पीएम मोदी से मांग की है कि देश में बढ़ती मॉब लिचिंग की घटनाओं को रोकने के लिए जल्द से जल्द कड़े कदम उठाए जाएं। चिट्ठी में राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों का भी जिक्र किया गया है।

हस्तियों ने लिखे गए लेटर में पीएम मोदी से मांग की है कि देश में दलितों और अल्पसंख्यकों के साथ हो रही इस तरह की घटनाओं को जल्द से जल्द रोकने के लिए सख्त कदम उठाए जाएं। 

49 मशहूर हस्तियों द्वारा हस्ताक्षरित चिट्ठी में लिखा गया है, “प्रिय प्रधानमंत्री…मुस्लिमों, दलितों और अन्य अल्पसंख्यकों की मॉब लिंचिंग जल्द से जल्द रोकी जानी चाहिए। हम नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (NCRB) की रिपोर्ट से ये जानकर हैरान हैं कि साल 2016 में दलितों के प्रति अत्याचार की कम से कम 840 वारदातें दर्ज़ हुई हैं। जबकि दोषी करार दिए जाने वालों की तादाद में कमी आई है।”

चिट्ठी में आगे लिखा गया है, “प्रधानमंत्री जी, आपने संसद में इस तरह की घटनाओं की निंदा की थी लेकिन वो काफी नहीं है। हम मानते हैं कि इस तरह के अपराधों को गैर-जमानती घोषित कर दिया जाना चाहिए।”

पीएम मोदी ने झारखंड में एक युवक को भीड़ द्वारा मार दिए जाने पर जून में संसद में निंदा की थी। पीएम मोदी ने जोर देकर कहा था कि हिंसा की घटनाओं से एक ही तरीके से निपटा जाना चाहिए और हिंसा फैलाने और उसकी साजिश रचने वालों को सबक मिलना चाहिए इस मुद्दे पर पूरा देश एकजुट है।

चिट्ठी में लिखा गया है, “अफसोस की बात है कि ‘जय श्री राम’ का नारा युद्ध की ललकार में तब्दील हो गया है। जिसकी वजह से क़ानून और व्यवस्था की समस्याएं पैदा होती हैं। राम के नाम से लिंचिंग की कई घटनाएं होती हैं। ये हैरान कर देता है कि धर्म के नाम पर इतनी ज़्यादा हिंसा फैलाई जा रही है। राम का नाम भारत के बहुसंख्यक समुदाय के लिए पवित्र है। देश के प्रधानमंत्री होने के नाते आपको राम के नाम को इस तरह अपमानित किए जाने पर रोक लगानी होगी।”

चिट्ठी में ये भी लिखा गया है, “सत्ताधारी दल की आलोचना करने का मतलब ये नहीं होता है देश की आलोचना की जा रही है। कोई भी सत्ताधारी दल सत्ता में रहने के दौरान देश का पर्यायवाची नहीं हो सकता है। वो तब भी देश में मौजूद राजनीतिक दलों में से एक ही होता है। इसलिए सरकार विरोधी रुख को देश विरोधी भावना नहीं बताया जा सकता। एक स्वतंत्र वातावरण में विरोध को दबाया नहीं जाता।”  

पिछले कुछ वक़्त में मॉब लिंचिंग की घटनाओं में काफी इजाफा हुआ है। चोरी, गौ-तस्करी और शक़ के बिना पर अभी तक कई लोगों की जान ली गई है। लेकिन पिछले दो महीनों में मॉब लिंचिंग की कई बड़ी घटनाएं सामने आई हैं।

हाल ही में बिहार के छपरा में मवेशी चोरी के आरोप में स्थानीय लोगों ने तीन लोगों की पीट-पीटकर हत्या कर दी। पुलिस के पहुंचने पर परिवार के लोग पैर पकड़कर इंसाफ की मांग करते नज़र आए। इससे पहले झारखंड में तबरेज अंसारी की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई थी। हस्ताक्षर करने वाले दूसरे लोगों में सामाजिक कार्यकर्ता अदिति बसु, फिल्म निर्माता अदूर गोपालकृष्णन, आथर अमित चौधरी, सिंगर-सांग राइटर अनुपम रॉय, फिल्म निर्माता अनुराग कश्यप, स्कालर आशीष नंदी, सामाजिक कार्यकर्ता बिनायक सेन, फिल्म निर्माता गौतम घोष आदि शामिल हैं।
(जनचौक डेस्क पर बनी खबर। कुछ इनपुट एशियाविल से लिया गया है।) 

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