छत्तीसगढ़: पुलिस ने टोडगट्टा को घेरा, लोहे की प्रस्तावित खदानों के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं आदिवासी

छत्तीसगढ़। आदिवासों गांवों में प्रस्तावित लोहे की खदानों के खिलाफ आंदोलन कर रहे आदिवासियों के मुख्य आंदोलन स्थल टोडगट्टा (सुरजागड़, गढ़चिरौली) को भारी पुलिस बल ने घेर लिया है। पुलिस बल आंदोलन के मुख्य कार्यकर्ताओं को खोज रही है और उन पर दमन किया जा रहा है।

250 दिनों से सुरजागड़, गडचिरौली के 70 से ज्यादा आदिवासी गांवों ने 6 प्रस्तावित लोहे की खदानों के खिलाफ आंदोलन जारी रखा है। यह खदाने जिंदल स्टील, लॉयड्स और अन्य कंपनियों की हैं।

‘दमकोंडावाही बचाओ संघर्ष समिति’ ने बताया कि आज सुबह-सुबह, कई थानों की पुलिस मुख्य आंदोलन स्थल तोडगट्टा पहुंची और सभी मुख्य कार्यकर्ताओं- जैसे प्रदीप खेड़े और मंगेश नरोटी को एक तरफ ले गई। पुलिस उनके सारे सामान की तलाशी ले रही है और वहां महिला पुलिस भी मौजूद है। समिति ने कहा कि यह एक बहुत ही चिंताजनक घटनाक्रम है, और पुलिस ‘दमकोंडावाही बचाओ आंदोलन’ का सख्ती से दमन कर रही है।

समिति ने कहा कि इसके अतिरिक्त पिछले दो दिनों से पुलिस क्षेत्र में ड्रोन कैमरे का इस्तेमाल कर रही है और टोडगट्टा के आसपास फिल्मांकन कर रही है। उन्हें यह भी पता था कि लालसू नोगोटी, सुशीला नरोटी, राकेश आलम, पूनम जेटी, वंदू उलके और साइनू हिचामी जैसे कुछ महत्वपूर्ण कार्यकर्ता वर्तमान में नई दिल्ली में एक कार्यक्रम के लिए गए हुए हैं।

‘दमकोंडावाही बचाओ संघर्ष समिति’ ने कहा कि पिछले 250 दिनों से कई समाचार रिपोर्टों और पत्रों के बावजूद टोडगट्टा आंदोलन के प्रति किसी भी राजनेता का लगभग शून्य समर्थन रहा है। आंदोलन की शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक प्रकृति के बावजूद अब अचानक भारी दमनात्मक कार्रवाई हो रही है। कुछ हफ़्तों पहले, लालसू नोगोटी ने यूएन मानवाधिकार परिषद में आंदोलन के बारे में वर्चुअली बात रखी थी, और अब आंदोलन पर यह दमन हो रहा है।

(‘दमकोंडावाही बचाओ संघर्ष समिति’ की विज्ञप्ति पर आधारित।)

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