अनाज न मिलने पर मेंढक खाकर गुज़ारा कर रहे हैं जहानाबाद के बच्चे

नई दिल्ली। बिहार के जहानाबाद से एक बेहद परेशान करने वाला और पीड़ादायक वीडियो सामने आया है। पेट में लगी आग को शांत करने के लिए लोग किन-किन चीजों का सहारा ले रहे हैं उसको देख और सुनकर किसी का भी कलेजा मुँह को आ जाएगा। इसमें कुछ बच्चे हैं जिनसे इलेक्ट्रानिक मीडिया के कुछ रिपोर्टर बात कर रहे हैं। उनके हाथों में छोटे-छोटे मेंढक और उनके बच्चे हैं। बच्चों का कहना है कि उनके घरों में अनाज बिल्कुल ख़त्म हो गया है। और कहीं से अनाज की कोई व्यवस्था नहीं हो पा रही है।

लॉक डाउन के चलते कोई कुछ काम भी नहीं सकता है जिससे आय का कोई ज़रिया बन सके। लिहाज़ा पेट की भूख मिटाने के लिए उन्हें अब इन मेंढकों का ही सहारा है। उनका कहना है कि दिन में वो इन मेंढकों को पकड़ते हैं और फिर उनको भूनकर खाते हैं। कैमरे के सामने वो पकाने की पूरी विधि भी बताते देखे जा सकते हैं। लॉकडाउन के चलते उनके स्कूल बंद हैं लिहाज़ा वो दिन भर इसी काम में लगे होते हैं।

हालाँकि जहानाबाद के डीएम ने इस ख़बर का खंडन किया है और उनका कहना है कि मामले की जाँच करायी गयी तो पता चला कि बच्चों के घरों में पर्याप्त मात्रा में अनाज मौजूद है। उन्होंने मीडिया पर मामले को तोड़-मरोड़ कर पेश करने का आरोप भी लगाया।

यह उस सूबे की बात है जिसके मुख्यमंत्री को जाना ही सुशासन बाबू के नाम से जाता है। ख़ुद को कर्पूरी ठाकुर और लोहिया का चेला बताने वाले नीतीश के राज में ग़रीबों की यह तस्वीर है। और दिलचस्प बात यह है कि देश के खाद्य मंत्री राम विलास पासवान जिनके ज़िम्मे अनाज की सप्लाई की पूरी व्यवस्था है वह इसी सूबे से आते हैं। बावजूद इसके ग़रीबों को अनाज नहीं मिल रहा है। न तो सप्लाई की कोई व्यवस्था की गयी है और न ही खाने का दूसरा कोई इंतज़ाम।

जबकि अभी कुछ दिनों पहले ही सूबे के लोगों ने थाली बजाकर अपनी पीड़ा देश के हुक्मरानों के सामने रखने की कोशिश की थी। लेकिन उनकी कहीं कोई सुनवाई नहीं हुई। और उससे भी बड़ी बात यह है कि अनाज के भंडार भरे पड़े हैं और उनसे अगले 20 सालों तक आने वाली किसी आपदा के दौरान आए खाद्य संकट से निपटा जा सकता है। लेकिन सरकार मौजूदा महामारी के दौर में भी उसे खोलने के लिए तैयार नहीं है।

देश के विभिन्न हिस्सों में रहने वाले प्रवासी मज़दूरों का एक बड़ा हिस्सा बिहार से ही है। वह अपनी-अपनी जगहों पर फँसा हुआ है। और उसे निकालने की बात तो दूर नीतीश ने अपने से भाग कर गए मज़दूरों के बिहार में प्रवेश पर एतराज़ जताया था। कोटा में इंजीनियरिंग और मेडिकल की तैयारी करने वाले छात्रों को यूपी सरकार बसों के ज़रिये उनके घरों तक पहुँचा चुकी है लेकिन नीतीश इस मसले पर चुप्पी साधे हुए हैं। जबकि वहाँ भी बिहार के छात्रों का एक बड़ा हिस्सा फँसा है।

हालाँकि सरकारों को ये परेशानियाँ दिख ही नहीं रही हैं। उनकी मानें तो सारी व्यवस्थाएँ दुरुस्त हैं और कहीं किसी तरह की परेशानी नहीं है। लेकिन देश के भीतर बच्चों के मेढक खाने वाले ये वीडियो बताते हैं कि हम सुपर पावर नहीं बल्कि मेंढक खोर देश हैं।


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