भारत-चीन सीमा झड़प में शहीद भारतीय सैनिकों की संख्या 20 हुई, वाम दलों ने की सरकार से बयान की मांग

नई दिल्ली। भारत-चीन सीमा पर झड़प में 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए हैं। इसके साथ ही कुछ भारतीय सैनिकों के अभी भी चीनी कब्जे में होने की बात कही जा रही है। जिसमें एक मेजर तक के शामिल होने की बात है। दोपहर मरने वाले सैनिकों की संख्या तीन थी जिसमें एक अफसर और दो सैनिक शामिल थे। लेकिन अब यह संख्या बढ़कर 20 हो गयी है। विभिन्न एजेंसियों और सूत्रों के हवाले से आ रही खबरों की मानें तो यह संख्या और बढ़ सकती है।

लद्दाख के पास सीमा पर स्थित गलवान घाटी संघर्ष का केंद्र बना हुआ है। बताया जाता है कि चीनी सैनिकों ने इस पूरे इलाके को अपने कब्जे में ले लिया है। इस तरह से एलएसी पर यथास्थिति बिल्कुल बदल चुकी है। घाटी में भारी तादाद में चीनी सैनिकों का जमावड़ा है।

सेना की तरफ से भी इस पर एक आधिकारिक बयान आया है। इसमें कहा गया है कि “भारतीय और चीनी सैनिक अब गलवान इलाके में अलग हो गए हैं जहां उनके बीच 15/16 जून, 2020 की रात में झड़प हुई थी”। इसमें आगे कहा गया है कि 17 भारतीय सैनिक जो ड्यूटी करते हुए गंभीर रूप से घायल हो गए थे ऊंचाई पर तापमान के शून्य से भी नीचे होने के चलते बाद में उनकी मौत हो गयी। इस तरह से मरने वाले सैनिकों की कुल संख्या 20 हो गयी है। इसके साथ ही बयान में कहा गया है कि भारतीय सेना अपनी भौगोलिक एकता और राष्ट्र की संप्रभुता की रक्षा के प्रति प्रतिबद्ध है। 

रक्षा विशेषज्ञ अजय शुक्ला ने एक बार फिर ट्वीट के जरिये कुछ बातें स्पष्ट की हैं। उन्होंने पूरे मसले पर भारत सरकार के रवैये पर सवाल उठाया है। उन्होंने कहा है कि 20 सैनिकों के शहीद होने की खबर आने के साथ ही भारत सरकार की स्पिन मशीन तुरंत इसको नया टर्न देने में जुट गयी है। इसके तहत चीनी पक्ष के 43 सैनिकों के हताहत होने की खबर चलायी जा रही है। उनका कहना है कि यह उस राजनीतिक गुणा-गणित से प्रेरित है जिसमें “अगर हम 43 सैनिकों के मरने का दावा करेंगे तो 20 भारतीय सैनिकों की मौत की बात कम मायने रखेगी।” 

आज तीन भारतीय सैनिकों के मारे जाने के बाद भी यही हुआ था जब कथित मुख्यधारा के मीडिया ने पांच चीनी सैनिकों के भी मारे जाने की खबर चलानी शुरू कर दी थी। और इस सिलसिले में उसने ग्लोबल टाइम्स का हवाला दिया था। हालांकि बाद में खुद ग्लोबल टाइम्स ने इसका खंडन किया और उसने कहा कि उसकी तरफ से ऐसी कोई संख्या नहीं जारी की गयी है।

बहरहाल इस घटना को लेकर पूरे देश में आक्रोश है। और इस मौके पर पीएम मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और गृहमंत्री अमित शाह की तरफ से कोई बयान न आने पर लोगों ने नाराजगी जाहिर की है। तमाम विपक्षी दलों की ओर से भी प्रतिक्रिया आयी है। कांग्रेस ने सरकार से चार सवाल पूछे हैं। और पूरे मामले पर गहरा क्षोभ जाहिर किया है। 

सीपीएम ने सीमा पर इस तनावपूर्ण स्थिति को बेहद दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया है। पोलित ब्यूरो के बयान में मारे गए सैनिकों को श्रद्धांजलि दी गयी है। इसके साथ ही कहा गया है कि मौजूदा समय में दोनों देशों के बीच जारी वार्ताओं के जरिये ही इसका शांतिपूर्ण समाधान निकालने की कोशिश की जानी चाहिए। पार्टी ने सरकार से इस पर तथ्यपरक आधिकारिक बयान जारी करने की मांग की है। उसका कहना है कि सरकार को पूरे देश के सामने स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए। 

सीपीआई एमएल की तरफ से आए बयान में कहा गया है कि मोदी सरकार, अपनी चीन नीति के मामले में स्पष्ट तौर पर जमीन खो रही है और इस विफलता की पूर्ति वह घरेलू राजनीति में चीन विरोधी लफ़्फ़ाज़ी को बढ़ावा दे कर करना चाहती है। साथ ही वास्तविक नियंत्रण रेखा की स्थिति के बारे में जनता को अंधेरे में रखने और जवाबदेही तथा पारदर्शिता के अभाव के मामले में मोदी सरकार, एक और नकारात्मक कीर्तिमान रच रही है।

पार्टी के महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य की ओर से जारी इस बयान में कहा गया है कि एक ऐसे समय में जब चीन और भारत दोनों को ही वैश्विक महामारी कोविड 19 के कारण व्यापक जन स्वास्थ्य और आर्थिक दुष्प्रभावों से निपटना है, इसे दोनों देशों का बेहद गैर जिम्मेदाराना और निंदनीय रवैया कहा जायेगा कि वे सीमा विवाद को जानलेवा झड़पों में तब्दील होने दें।

उन्होंने कहा कि हम जोर दे कर दोनों सरकारों से कहना चाहते हैं कि इस मसले का यथाशीघ्र राजनयिक हल निकाला जाए, सीमा पर तैनात सैन्य बलों की संख्या में कटौती की जाए और सारे मसलों का द्विपक्षीय समाधान वार्ता द्वारा, बिना किसी तीसरे पक्ष के हस्तक्षेप के किया जाए।

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