टूट गयी माले में नक्सलबाड़ी की आखिरी कड़ी, नहीं रहे कॉमरेड बीबी पांडे

हल्द्वानी। अल्मोड़ा (पटिया कबाड़खाना) में जन्मे कॉमरेड बृज बिहारी पांडे का आज पटना में निधन हो गया। वे 76 वर्ष के थे।

अपने समय के सर्वश्रेष्ठ रिजनल इंजीनियरिंग कॉलेज, दुर्गापुर के प्रतिभावान छात्र के रूप में वह नक्सलबाड़ी आंदोलन से जुड़ गए थे। चमकदार कैरियर की राह को छोड़कर वे गरीब मजदूर-किसानों के भारत बनाने की लड़ाई में पूर्णकालिक कार्यकर्ता के रूप में शरीक हो गए।

भाकपा माले के दूसरे महासचिव कॉमरेड विनोद मिश्र के साथ इंजीनियरिंग की पढ़ाई छोड़ कर उन्होंने नक्सलबाड़ी आंदोलन में बिहार के दहकते खेत खलिहानों का रास्ता चुन लिया। माले के नक्सलबाड़ी के दौर से आज तक जनता की महान क्रान्तिकारी परम्परा की जीवित अंतिम कड़ियों में से वे एक थे।

बंगाल, झारखंड, बिहार के गांवों में संघर्षों को संवारते हुए वे भाकपा माले के केंद्रीय कमेटी सदस्य रहे। अंतिम समय में वे लोकयुद्ध पत्रिका के प्रधान संपादक थे। पत्रकारिता में वे आर्थिक विषयों पर लिखने वाले एक प्रतिष्ठित नाम रहे।

उनका जीवन बेहद सरल था। वे गम्भीर और गहन विषयों को भी बेहद आसान तरीके से पेश कर देते थे। गंभीर से गंभीर विषयों को अपने कष्ट साध्य प्रयासों के जरिये न्यूनतम समय में पूरा कर देना उनकी खासियत थी।

लंबे समय से गंभीर हृदय रोग से पीड़ित होने के वावजूद उनके पढ़ाई-लिखाई पर कोई ज्यादा फर्क नहीं पड़ा था। वे हिंदी, अंग्रेजी और बांग्ला भाषा में सिद्ध हस्त थे।

भाकपा माले के संगठनकर्ता के तौर पर उन्होंने अपनी भूमिका भी सफलता से निभाई। सालों अपने पैतृक गांव से दूर रहने के बावजूद वे पहाड़ी जानने वालों से कुमाउँनी में ही संवाद करते थे।

अच्छे पति के साथ वे अपनी पुत्रियों के एक बहुत अच्छे पिता भी साबित हुए। संघर्ष पूर्ण हालातों में अभावग्रस्त जीवन के बावजूद उन्होंने रचनात्मकता को आगे बढ़ाया।

कॉमरेड बीबी पांडे आप हमेशा यादों में बने रहेंगे। आप का संघर्ष जनता की लड़ाइयों में आगे बढ़ता रहेगा। हिमालय की कोख से निकले प्रिय हिन्द मातृभूमि के लाल बीबी पांडे को लाल सलाम।

(कॉमरेड केके बोरा उत्तराखंड में सीपीआई (एमएल) की कोर कमेटी के सदस्य हैं।)

इस बीच, माले महासचिव कॉ. दीपंकर भट्टाचार्य ने उन्हें अपनी श्रद्धांजलि दी है और उनकी अंतिम यात्रा में शामिल होेने के लिए दिल्ली से पटना रवाना हो चुके हैं। कॉ. बीबी पांडेय का पार्थिव शरीर अन्तिम दर्शन के लिए विधायक दल कार्यालय छज्जूबाग में रखा गया है। कल 3 बजे अपराह्न उनकी अंतिम यात्रा निकलेगी। उनकी मृत्यु की खबर मिलते ही विधायक दल कार्यालय में पार्टी राज्य सचिव कुणाल, धीरेन्द्र झा, अमर, मीना तिवारी, शशि यादव, संतोष सहर सरीखे पार्टी के सभी वरिष्ठ नेता पहुंच गए हैं।

हाल ही में उनके पेट की सर्जरी हुई थी, वे ठीक हो गए थे, लेकिन सर्जरी के बाद छाती में संक्रमण और अन्य जटिलताओं से पीड़ित हो गए और आज 26 अगस्त 2021 को अस्पताल में उनका निधन हो गया।

कॉ. बृजबिहारी पांडेय कानपुर में भाकपा-माले के पूर्व महासचिव कामरेड विनोद मिश्र के बचपन के मित्र थे। दोनों 1966 में आरईसी दुर्गापुर में मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने एक साथ गए थे, जहां उनकी मुलाकात धूर्जटी प्रसाद बख्शी और गौतम सेन से हुई। ये सभी युवक एक साथ नक्सलबाड़ी के उभार से गहरे तौर पर प्रभावित हुए, और कैंपस रेजिमेंटेशन के खिलाफ चल रहे युवा विद्रोह को मजदूर-किसानों के प्रतिरोध के साथ एकजुटता में बदलने में लग गए। पांडे जी के निधन के साथ, दुर्गापुर आरईसी के चार लोगों के समूह का आखिरी हिस्सा भी माले ने खो दिया है।

कॉमरेड वीएम और डीपी बख्षी के साथ एक पूर्णकालिक पार्टी कार्यकर्ता बनकर, पांडेजी ने विभिन्न भूमिकाओं और विभिन्न क्षेत्रों में कार्य किया। 1974 से, उन्होंने दिल्ली, पंजाब, बंगाल, झारखंड (जहां उन्होंने एक समय के लिए गिरिडीह सचिव के रूप में भी कार्य किया) के साथ-साथ पार्टी की केंद्रीय समिति और पार्टी के मुखपत्रों लिबरेशन और लोकयुद्ध सहित कई अन्य विभागों में काम किया। वह वर्तमान में पार्टी के केंद्रीय कंट्रोल कमीशन के चेयरमैन के रूप में कार्यरत थे।

पांडेजी एक बहुभाषाविद थे। उन्हें कई विषयों में महारत हासिल थी। अंग्रेजी, हिंदी और बंगाली के साथ-साथ वह काफी हद तक पंजाबी भी बोल सकते थे और कुछ तमिल भी समझ सकते थे। विज्ञान, साहित्य, संस्कृति से लेकर राजनीति और इतिहास तक – पाण्डेय जी की इन सभी क्षेत्रों में गहरी रुचि थी, और जिस भी विषय पर पर ध्यान देते, उस पर शीघ्र ही अधिकार कर लेते। उनके पास धैर्य जैसा दुर्लभ गुण था, जिसने उन्हें एक आदर्ष शिक्षक और संरक्षक बना दिया। असंख्य युवा साथियों – पार्टी प्रकाशनों के संपादकों से लेकर जन मोर्चों पर कार्यरत कार्यकर्ताओं तक – ने उनके उदारतापूर्ण संरक्षण का लाभ उठाया। वे खुशी-खुशी एक नौसिखिए को भी कंप्यूटर का उपयोग करने व सिखाने; या भौतिकी के छात्र के साथ क्वांटम भौतिकी पर चर्चा करने के लिए, या जन संस्कृति मंच के साथियों के साथ नवीनतम रोचक उपन्यास या कविता पर चर्चा करने; या फिर अपने दैनिक कार्यों में किसी कॉमरेड द्वारा सामने की जाने वाली जटिल समस्या पर चर्चा करने के लिए हमेशा तैयार रहते।
पार्टी ने पांडे जी की जीवन साथी कामरेड विभा गुप्ता (जिन्हें कॉमरेड झूमा के नाम से जाना जाता है) और उनकी बेटियों अदिति और रिया को इस अथाह दुख की घड़ी में उनको प्यार और समर्थन देने का संकल्प जाहिर किया है।

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