क़ासिम सुलेमानी को श्रद्धांजलि, हज़ारों लोगों ने दिल्ली में जमा होकर शहीद को याद किया

नई दिल्ली। ईरान के इस्लामी रेवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प यानी आईआरजीसी के क़ुद्स फोर्स के प्रमुख कासिम सुलेमानी का चेहल्लुम दिल्ली के ईरान सांस्कृतिक केंद्र में आयोजित किया गया। आपको बता दें कि क़ासिम सुलेमानी और उरक के कमांडर मेहदी अलमुहंदिस की तीन जनवरी की बग़दाद में अमेरिका ने एक मिसाइल से हत्या कर दी थी।

कार्यक्रम में हजारों लोग शरीक हुए और उन्होंने अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद के विरुद्ध कासिम सुलेमानी और उनके साथ शहीद हुए इराक के मेहदी अल मुहँदिस की मृत्यु पर शोक प्रकट किया। यह कार्यक्रम ईरान के सुप्रीम लीडर आयतल्लाह अलखामनेई के कार्यक्रम की रूपरेखा में आयोजित हुआ जिसमें मुख्य अतिथि के तौर पर ईरान के कुम शहर के इस्लामी विश्वविद्यालय के पूर्व प्रमुख और धार्मिक शिक्षा के राष्ट्रीय प्रभारी आयतुल्लाह अली रज़ा अराफी ने शिरकत की। शेख ताहा शेरी ने कुरान का पाठ करके कार्यक्रम की शुरुआत की और प्रमुख कवि रज़ा सिरसीवी ने कासिम सुलेमानी और मेहदी अलमुहँदिस की याद में कविता पाठ किया। 

सुप्रीम लीडर के भारत में प्रतिनिधि हुज्जतुल इस्लाम मेहदी मेहदविपुर ने कार्यक्रम की रूपरेखा समझाते हुए कहा कि कासिम सुलेमानी की हत्या के बाद भारत के लोगों ने ईरान के साथ खड़े होकर अपने संबंधों का परिचय दिया है। ईरान के दुश्मन 41 सालों से लगातार हारते आए हैं और अब वे गुंडागर्दी पर उतर आए हैं।

दिल्ली की फतेहपुरी मस्जिद के इमाम मुफ्ती मुकर्रम अहमद ने कासिम सुलेमानी के प्रति श्रद्धांजलि प्रस्तुत करते हुए कहा कि कासिम सुलेमानी की हत्या के बाद पूरी दुनिया का मुस्लिम जगत चुप हो गया क्योंकि बगदाद में इस हरकत के पीछे अमेरिका है।

कुवैत से आए हुए हाजी मुस्तफा ने कहा कि यदि आप इमाम हुसैन के सच्चे प्रेमी हैं तो आप मानवता से भी प्यार करते हैं।

मुख्य अतिथि आयतुल्लाह अली रज़ा अराफी ने कहाकि शहीद सुलेमानी ने नैतिकता के उच्च मानदंड और मानवता के महान मूल्यों में विश्वास करते हुए आतंकवाद के खिलाफ हमेशा जंग की। वह बेहतर रणनीति विशेषज्ञ थे और एक बहादुर कमांडर के तौर पर घमंडी ताकतों से लड़ते हुए शहीद हो गए। अराफी ने कहा कि अगर अंतरराष्ट्रीय शक्तियां हमारे अधिकारों की रक्षा करने में सक्षम नहीं है तो यकीनन हिज्बुल्लाह और हमास जैसी शक्तियां अपने वैधानिक अधिकारों की रक्षा करने के लिए खड़ी हैं। उन्होंने अमेरिका की तरफ से पेश की गई ‘डील ऑफ द सेंचुरी’ के प्रतिक्रिया में कहाकि अमेरिका कभी भी फिलिस्तीन की पवित्र भूमि पर नापाक कब्जा करने में सफल नहीं हो पाएगा और अंततः उन्हें इस भूमि से जाना होगा।

भारत में ईरान के राजदूत डॉक्टर अली चगेनी ने इस मौके पर कहा कि कमांडर सुलेमानी ने कभी भी अंतरराष्ट्रीय नियमों की अवहेलना नहीं की। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय कानून के दायरे में रहते हुए इराक और सीरिया में आतंकवाद को नष्ट करने की कोशिश की जबकि अमेरिका ने हमारे कमांडर की हत्या करके अंतरराष्ट्रीय कानूनों की अवहेलना की है।

इसके अलावा मौलाना क़मर हसनैन और मौलाना मुमताज अली ने भी जनता को संबोधित किया। कार्यक्रम के अंत में मशहूर पत्रिका ‘द लीडर’ के फरवरी अंक को कासिम सुलेमानी और अन्य शहीदों के नाम जारी किया गया।

कार्यक्रम में पूरे भारत से हजारों लोग ईरान सांस्कृतिक केंद्र में भाग लेने के लिए दिल्ली पहुंचे और पूरा केंद्र आम जनता से खचाखच भर गया जिसमें महिलाओं और बच्चों की संख्या भी काफी अधिक थी।

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