बिहार में दलितों-गरीबों पर सामंती हमले के खिलाफ माले लेगा सीधा मोर्चा, कल राज्यव्यापी विरोध दिवस से होगी शुरुआत

पटना। राज्य में दलितों-गरीबों पर बढ़ते हमले, उनकी लगातार हो रही हत्याएं व जमीन से बेदखली के खिलाफ भाकपा-माले ने 5 जून को राज्यव्यापी विरोध दिवस आयोजित करने का फैसला किया है। पार्टी नेताओं का कहना है कि सूबे में लगातार हो रही हमलों की घटनाओं को लेकर पार्टी कतारों और दलित-उत्पीड़ित तबकों में बेहद रोष है। भाकपा-माले राज्य सचिव कुणाल और मिथिलांचल के पार्टी प्रभारी धीरेन्द्र झा ने संयुक्त बयान जारी करके कहा है कि मधुबनी नगर थाना के सुदंरपुर भिट्ठी गांव में विगत 3 जून को जमीन से दलित-गरीबों की बेदखली की नीयत से उन पर भाजपा समर्थित गिरोह द्वारा संगठित हमला किया गया। हमले में 30 वर्षीय ललन पासवान की गोली मारकर हत्या कर दी गई और आधा दर्जन से अधिक लोगों को घायल कर दिया गया। 

माले नेताओं ने कहा कि मुजफ्फरपुर से लेकर चंपारण तक दलित-गरीबों के खिलाफ सामंती-अपराधियों का तांडव लगातार जारी है लेकिन ऐसा लगता है बिहार में सरकार नाम की कोई चीज नहीं रह गई है, बल्कि आज बिहार पूरी तरह सामंती-अपराधियों के चंगुल में है। नीतीश सरकार के तथाकथित सुशासन का दावा पूरी तरह से बेनकाब हो गया है। ये सामंती-अपराधी बिहार को एक बार फिर से पुराने दिनों में ले जाने पर आतुर हैं, लेकिन यह होने वाला नहीं है।

माले नेताओं ने कहा कि रुपनचक जनसंहार के मुख्य अभियुक्त जदयू के बाहुबली विधायक पप्पू पांडेय के खिलाफ नीतीश कुमार द्वारा किसी भी प्रकार की कार्रवाई न किए जाने के कारण भी इन ताकतों का मनोबल लगातार बढ़ रहा है। 

मधुबनी की घटना को सीधे तौर पर भाजपा के संरक्षण में अंजाम दिया गया है। सुंदरपुर भिट्ठी में लंबे समय से दलित-गरीब गैरमजरुआ जमीन पर बसे हुए हैं। भाजपा समर्थित मुखिया अरुण झा ने इस इलाके में कुछ मध्यवर्गीय समर्थन हासिल करके एक गिरोह का निर्माण कर दिया है और विगत कुछ दिनों से जमीन खाली करने के लिए गरीबों पर दबाव बना रहा था। मामला प्रशासन के संज्ञान में भी था। एसडीओ के नेतृत्व में तीनों पक्ष की वार्ता हुई थी और यह तय हुआ था कि लाॅकडाउन के उपरांत नापी करवाई की जाएगी। अगर जमीन निजी मिल्कियत की होगी तो उसे मुक्त कर दिया जाएगा।

मधुबनी की घटना में मृत ललन पासवान।

लेकिन इसी बीच, सामंती-अपराधियों ने इस घटना को अंजाम दिया। घटना में ललन पासवान की हत्या के अलावा दीपक पासवान, गरीब पासवान, जगदीश पासवान और सत्या देवी बुरी तरह घायल हो गए हैं। भाकपा-माले जिला सचिव ध्रुव नारायण कर्ण के नेतृत्व में एक जिला स्तरीय जांच दल ने घटनास्थल का दौरा किया और घायलों के इलाज की उचित व्यवस्था की मांग की। जल्द ही भाकपा-माले की राज्य टीम भी जाएगी। भाकपा-माले ने इस हत्याकांड के अभियुक्तों को तत्काल गिरफ्तार करने, मृतक व घायलों के परिजनों को उचित मुआवजा देने तथा सरकारी जमीन से गरीबों की बेदखली पर रोक लगाने की मांग की है।

सामंती-अपराधियों के बढ़ते मनोबल का एक और नमूना मुजफ्फरपुर के बरुआरी गांव में देखा गया। जहां सामंती मिजाज के मनोज सिंह ने पेड़ के कुछ पत्ते चर जाने के आरोप में रविदास जाति से आने वाले दलित-गरीब अशोक राम की बकरी को बंधक बना लिया और 800 रुपये जुर्माना ठोक दिया। इतना ही नहीं, इसके बाद मनोज सिंह ने दलित टोले के रास्ते को जेसीबी से गड्ढा खोदवाकर पूरी तरह से ब्लाॅक कर दिया। शांति देवी के घर को पूरी तरह नष्ट कर दिया गया। दलित टोले पर कई बार हमले किए गए। हालत यह है कि उस गांव पर जनसंहार का खतरा मंडरा रहा है।

पश्चिम चंपारण में तो प्रशासन लगातार सामंती-अपराधियों की लठैती में उतरा हुआ है और दलितों-गरीबों की बेदखली का अभियान लगातार चलाया जा रहा है। मैनाटांड़ प्रखंड के चिउंटहा में गरीबों की कब्जे वाली जमीन को प्रशासन से मिलीभगत करके सामंती-अपराधियों ने एक तरह से अपने कब्जे में कर लिया है और वहां 3 एकड़ में पोखरा का निर्माण कार्य आरंभ कर दिया है। सामंती-अपराधी खुलेआम इस तरह के काम हथियारों के बल पर कर रहे हैं और प्रशासन का पूरा सहयोग उन्हें हासिल है।

विगत 29 मई को बेलवा टोला पर सीलिंग से फाजिल जमीन जो दलित-गरीबों के कब्जे में है, फायरिंग करके सामंती-अपराधियों ने उस जमीन पर लगे धान के बीज को उखाड़ फेंका और फिर अपना बीज बो दिया। सिंहपुर में भी गरीबों को लगातार बेदखल किया जा रहा है। चनपटिया के छवरिया टोला में भूमिहार जाति से आने वाले सामंती-अपराधियों का मनोबल आसमान छू रहा है। एक दलित युवक पप्पू राम की मोटरसाइकिल से एक भूमिहार जाति के नौजवान को ठोकर लग गई थी। उस नौजवान ने पप्पू राम पर हाथ चला दिया, पप्पू राम ने जब इसका विरोध किया तो सामंती-अपराधियों ने उनके घर तक को उजाड़ दिया। इतना ही नहीं, आधा एकड़ गन्ना की फसल को बर्बाद कर दिया। दलित टोला पर कई बार हमला किया और दलितों की पिटाई की। जिसके कारण दलित समुदाय के लोग टोला छोड़कर भाग गए हैं।

इस प्रकार आज पूरे बिहार में दलित-गरीबों के खिलाफ सामंती-अपराधियों के हमले संगठित किए जा रहे हैं।

(प्रेस विज्ञप्ति पर आधारित।)

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