सिलगेर में सुरक्षा बलों द्वारा गिरफ्तार किए गए 8 ग्रामीणों की रिहाई की उठी मांग

बस्तर। कांकेर- बस्तर अधिकार शाला की संयोजक व अधिवक्ता बेला भाटिया ने उन 8 ग्रामीणों की तुरंत रिहाई की मांग की है, जिन्हें फोर्स ने सिलगेर की सभा से लौटने के दौरान गिरफ्तार कर लिया था। एक प्रेस नोट में बेला भाटिया में बताया है कि 1 नवंबर को मूलवासी बचाओ मंच ने सिलगेर में एक सभा का आयोजन किया था, जिसके बारे में सोशल मीडिया के माध्यम से आम लोगों को जानकारी मिली थी। कई शहरों से वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता, वकील और नागरिकों ने इसमें भाग लिया। सुकमा जिले के दूरदराज के गांवों से भी लोग पहुंचे थे। 2 नवंबर को सुबह 55 लोगों का एक समूह साइकिल से अपने खाने-पीने के सामानों के साथ घरों की ओर लौट रहा था। तभी सुबह 09 बजे मोरपल्ली के जंगल में 150 की संख्या में उपस्थित फोर्स ने उनको रोका और पूछताछ शुरू कर दी। उन्होंने बताया कि वे सब सभा में गए थे और अब घर वापस जा रहे हैं। इसके बावजूद फोर्स ने उनको चिंतलनार थाना जो वहां से 8 किलोमीटर दूर है ले गए। ये सभी दोपहर 2 बजे चिंतलनार थाना पहुंचे।

वहां सबको बैठा कर फोटो ली गई और एक साथ तथा अलग – अलग पूछताछ की गई। फोर्स के लोग जानना चाह रहे थे कि वे कहां गए थे, घर में क्या काम करते हैं और क्या वे नक्सलियों के लिए भी काम करते हैं ? पुलिस के अनुसार 55 लोगों में से दो ने बताया कि वह पहले नक्सलियों के लिए काम करते थे, पर अब छोड़ चुके हैं। चार पांच साल से गांव में ही रहते हैं और खेती किसानी करते हैं। इसके बाद से नक्सलियों से उनका कोई संपर्क नहीं है। भाटिया ने बताया है कि 3 नवंबर को इन 55 लोगों में से 43 को छोड़ दिया गया और 11 पुरुष तथा 1 महिला को सुकमा ले जाया गया। 4 नवंबर को फिर इन लोगों से पूछताछ हुई। 5 नवंबर को दोपहर में इन्हें अस्पताल और कोर्ट ले जाया गया। 11 पुरुषों में से 3 नाबालिगों को छोड़ दिया गया और 8 लोगों को सुकमा जेल भेज दिया गया।

साथ लाई गई उस एक महिला का पता नहीं है कि उसे छोड़ा गया है या नहीं। 5 नवंबर को पुलिस ने अपनी विज्ञप्ति में बताया कि इन लोगों को मोरपल्ली के जंगल से पकड़ा गया। उनके थैलों से विस्फोटक सामान बनाने की सामग्री मिली है। इन सभी पर 4-5 विस्फोटक पदार्थ अधिनियम के तहत अपराध पंजीबद्ध किया गया है। बेला भाटिया ने बताया कि मैं इन 8 लोगों से कल जेल में मिली और उनसे तथ्य प्राप्त किए। उन्होंने बताया कि 5 तारीख को उन्हें कोर्ट में मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश नहीं किया गया। उनको बस में बैठा कर रखा गया था, जो कानून का उल्लंघन है। उनको फर्जी केस में फंसाया गया है। भाटिया ने कहा कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में सभा और रैली में भाग लेना कोई अपराध नहीं है। नागरिकों पर फर्जी केस करना अपराध है। उन्होंने मांग की है कि सभी 8 ग्रामीणों को बाइज्जत रिहा किया जाए और पुलिस इस तरह की फर्जी कार्रवाई बंद करे।

बता दें कि छत्तीसगढ़ में 21वां राज्य स्थापना दिवस मनाया जा रहा है, इधर सिलगेर में मूल बचाओ आदिवासी मंच की ओर से हजारों की संख्या में आदिवासियों ने एकजुट होकर अपने अधिकारों की मांग करते हुए रैली और आम सभा के जरिये स्थापना दिवस मनाया था।

सिलगेर में हजारों की संख्या में आदिवासी ग्रामीण विगत 5 महीने से अपनी मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे हैं। इसमें अपनी मांगों के साथ सिलगेर में हुए गोलीकांड के न्यायिक जांच की मांग और जुड़ गयी है। उनका कहना है कि बगैर मांग पूरी हुए आदिवासी यहां से नहीं जाएंगे।

(बस्तर से जनचौक संवाददाता तामेश्वर सिन्हा की रिपोर्ट।)

तामेश्वर सिन्हा
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