ईसाइयों पर हो रहे हमलों के खिलाफ जगदलपुर में धरना-प्रदर्शन, मौलिक अधिकारों की रक्षा की मांग

बस्तर। छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग में लगातार ईसाई समुदाय पर हो रही हिंसा के खिलाफ सोमवार को लोगों ने जगदलपुर में धरना-प्रदर्शन किया। इस विरोध प्रदर्शन में हजारों लोगों ने हिस्सा लिया। इस कार्यक्रम में ईसाई समुदाय के अगुवा लोगों के अलावा आम जनता भी शामिल हुई।

बस्तर संभाग के अलग-अलग हिस्सों से पहुंचकर लोगों ने अपने साथ हो रहे अत्याचार के खिलाफ आवाज बुलंद की। हजारों की संख्या में आए लोगों ने प्लेकॉर्ड के जरिए अपने गुस्से का इजहार किया। जिनमें लिखा था “संविधान की हत्या बंद करो”, सामाजिक बहिष्कार बंद करो” “मौलिक अधिकार का हनन बंद करो”, “दफन संस्कार में प्रतिबंध बंद करो”।

गांव के लोग कर रहे हैं प्रताड़ित

विरोध प्रदर्शन सुबह शुरू होकर दोपहर तीन बजे तक चला। इसके बाद एडिशनल कमिश्नर को ज्ञापन सौंपा गया। जिसमें बताया गया कि बस्तर संभाग के जिला कांकेर, कोण्डागांव, नारायणपुर, दन्तेवाड़ा, सुकमा और बीजापुर में लगातार ईसाई समुदाय के लोगों पर हमले किए जा रहे हैं। स्थिति यह है कि धर्म के नाम पर गांव के कुछ लोगों को भड़काकर और भीड़ इकट्ठी कर ईसाइयों को प्रताड़ित किया जा रहा है। प्रशासन भी इस पर ध्यान नहीं दे रहा है। शिकायत करने पर पुलिस सिर्फ खानापूर्ति करके मामलों को दबा देती है। इसलिए जरूरी है कि बस्तर संभाग में ईसाइयों के मौलिक अधिकारों की रक्षा हो।

ईसाइयों के मौलिक अधिकारों का हनन बंद हो

कार्यक्रम के अध्यक्ष सीआर बघेल ने जनचौक से बात करते हुए बताया कि बस्तर संभाग में लगातार मसीही लोगों पर हो रहे अत्याचार के खिलाफ आज लोग सरकार और प्रशासन को जगाने आए हैं। उन्होंने बताया कि जगदलपुर और आस-पास के जिले से लगभग पांच हजार लोगों ने हिस्सा लिया है। जिनकी एक ही मांग है कि ईसाइयों के मौलिक अधिकारों का हनन बंद हो।

ईसाइयों पर हमलों के खिलाफ धरना-प्रदर्शन

बघेल के अनुसार पिछले दो साल से ईसाइयों पर अत्याचार बढ़े हैं। उनका कहना है कि ‘आज स्थिति ऐसी हो गई है कि हमें शवों को दफनाने नहीं दिया जा रहा है, जबकि किसी भी व्यक्ति का मृत्युपरांत उसके धर्म के अनुसार अंतिम संस्कार करना एक मौलिक अधिकार है। गांव में लोगों को मनरेगा में काम नहीं करने दिया जा रहा है, यहां तक कि नल से पानी भी नहीं लेने दिया जा रहा है।’

उन्होंने कहा कि ‘हालत यह है कि आज कई गांव में प्रार्थना सभाओं को रोका जा रहा है। इन सबके बारे में हम लोग प्रशासन से कई बार शिकायत कर चुके हैं लेकिन उनकी तरफ से वैसा सहयोग नहीं मिल पाता जैसा मिलना चाहिए। जिसके कारण आज इन परेशानियों से तंग आकर हम लोग धरना प्रदर्शन कर रहे हैं।’

सी.आर बघेल ने कहा कि ‘बस्तर में लंबे समय से ईसाई रह रहे हैं। कभी ऐसी प्रताड़ना की खबर नहीं आई। लेकिन पिछले डेढ़-दो साल से लगातार इस तरह की घटनाएं बढ़ रही हैं। पहले सभी लोग मिलकर रहते थे। यहां तक की साथ बैठकर खाना-पीना भी करते थे। लेकिन अभी कुछ उपद्रवियों के कारण ईसाइयों के खिलाफ ऐसा माहौल बना दिया है कि गांव के अपने लोग ही इनसे नफरत तक करने लगे हैं।

बघेल ने हिंदूवादी संगठनों का बिना नाम लिए कहा कि कुछ लोगों द्वारा गांव के लोगों को भड़काया जा रहा है। इन सबके पीछे की राजनीति के बारे में पूछे जाने पर वह कहते हैं कि ‘इन सबके पीछे किसका हाथ है यह किसी से छिपा नहीं है इसलिए जरूरी नहीं है कि हर बार नाम ही लिया जाए।’

धरना प्रदर्शन के बाद मसीह समाज, बस्तर संभाग द्वारा प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री को पत्र लिखा गया। साथ ही जगदलपुर के एडिशनल कमिश्नर हरीश मंडावी को ज्ञापन सौंपा गया। सी.आर बघेल ने बताया कि ज्ञापन सौंपने के बाद हमें आश्वासन दिया गया है कि ईसाइयों को उनके संवैधानिक अधिकार दिलाने के साथ गांव-गांव लोगों के बीच शांतिवार्ता की जाएगी।

धरना-प्रदर्शन में नारे लिखे प्लेकार्ड्स

नारायणपुर और कोंडागांव में ज्यादा होती हैं घटनाएं

धरना-प्रदर्शन में शामिल हुए अधिवक्ता सोन सिंह झाली ने जनचौक से बात करते हुए कहा कि ‘लंबे समय से ईसाइयों पर हमले हो रहे हैं। पुलिस प्रशासन को शिकायत करने के बाद भी इसकी जांच नहीं होती है। इन घटनाओं से तंग आकर ही अपने संवैधानिक अधिकारों की रक्षा के लिए लोगों ने यह धरना प्रदर्शन किया है।

उन्होंने बताया कि लगभग 100 पेजों के दस्तावेजों के साथ प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री को पत्र लिखा गया है। उनके अनुसार पिछले कुछ समय में सिर्फ नारायणपुर और कोण्डागांव से लगभग 200, बस्तर से 100, कांकेर से लगभग 25-30 शिकायतें आई हैं। बाकी अन्य जिलों में भी छिट-पुट शिकायतें मिली हैं। लगातार बढ़ती घटनाओं को देखते हुए आज हम लोग यहां प्रदर्शन कर रहे हैं।

आपको बता दें कि पिछले दिनों ईसाइयों पर हमले बढ़े हैं। जिसमें एक बड़ा मुद्दा मृत्युपरांत दफनाने का है। इसी साल मार्च के महीने में जगदलपुर के बेजरीपदर गांव में एक महिला को दफनाने को लेकर दो गुटों के बीच जमकर विवाद हुआ। यहां तक कि पत्थरबाजी भी हुई। अंत में पुलिस प्रशासन के हस्तक्षेप के बाद शव को निजी जमीन में दफनाया गया।

(बस्तर से पूनम मसीह की रिपोर्ट)

पूनम मसीह
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