इलाहाबाद हाईकोर्ट की रोक के बावजूद यूपी सरकार ने किया डॉ. कफील को बर्खास्त

डॉक्टर क़फील की बर्खास्तगी का फैसला उत्तर प्रदेश पब्लिक सर्विस कमीशन की मंजूरी के बाद लिया गया है। उनकी बर्खास्तगी के आदेश में कोई खास वजह नहीं बताई गई है, लेकिन यूपीपीएससी ने बर्खास्तगी के आदेश बीती रात मेडिकल शिक्षा विभाग को भेज दिए।

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने डॉ. कफील की बर्खास्तगी को राजनीति से प्रेरित कार्रवाई बताया है। उन्होंने कहा है कि- “उप्र सरकार द्वारा डॉ. कफील ख़ान की बर्खास्तगी दुर्भावना से प्रेरित है। नफ़रती एजेंडा से प्रेरित सरकार उनको प्रताड़ित करने के लिए ये सब कर रही है।

उन्होंने आगे कहा कि “लेकिन सरकार को ध्यान रखना चाहिए कि वो संविधान से ऊपर नहीं है। कांग्रेस पार्टी डॉ. कफील की न्याय की लड़ाई में उनके साथ है और हमेशा रहेगी।”

बता दें कि मेडिकल शिक्षा विभाग के प्रिंसिपल सेक्रेटरी आलोक कुमार ने कहा है कि डॉ. क़फील को बर्खास्त कर दिया गया है। जांच के बाद उन्हें दोषी पाया गया है। गौरतलब है कि गोरखपुर मेडिकल कॉलेज के ऑक्सीजन केस में डॉ. कफील बरी हो चुके हैं, लेकिन बाद में उन पर अन्य मामले दायर किए गए। डॉक्टर क़फील फिलहाल निलंबित चल रहे हैं और उन्हें मेडिकल शिक्षा विभाग के निदेशक के दफ्तर से संबद्ध किया गया है।

गौरतलब है कि अगस्त 2017 में गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज (गोरखपुर) में ऑक्सीजन की कमी से 60 से ज्यादा बच्चों की मौत हो गई थी, जिसके बाद इस मामले में डॉ. कफील खान को निलंबित कर दिया गया था।  तब गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन की कमी से हुई कई बच्चों की मौत का आरोप योगी सरकार ने डॉक्टर क़फील पर धर दिया था।

डॉक्टर क़फील ख़ान को 22 अगस्त 2017 को निलंबित किया गया था। उनके साथ ही 07 अन्य लोगों को भी उस वक्त निलंबित कर दिया गया था। तब अपना निलंबन खत्म कराने को लेकर डॉ. कफील ने इंडियन मेडिकल एसोसिएशन से भी मदद मांगी थी।

इसके बाद अप्रैल 2019 में डॉ. क़फील को चिकित्सीय लापरवाही के मामले से बरी कर दिया गया था, लेकिन 24 फरवरी को उत्तर प्रदेश सरकार ने फिर से इस मामले की जांच के आदेश दिए थे।

जांच के बाद अप्रैल 2019 में दाखिल जांच रिपोर्ट में जांच अधिकारी हिमांशु कुमार ने निम्नलिखित बातें कही थीं–

1- घटना के समय डॉ. क़फील सबसे जूनियर डॉक्टर थे और उन्होंने 08 अगस्त 2016 को ही बीआरडी मेडिकल कालेज में एक लेक्चरर के रूप में नौकरी शुरु की थी। घटना के समय वे प्रोबेशन पर थे।

2- रिपोर्ट में आगे कहा गया था कि 10 अगस्त 2017 में छुट्टी पर होने के बावजूद डॉ. खान घटना की सूचना मिलने पर मेडिकल कालेज पहुंचे थे और उन्होंने बच्चों की जान बचाने की कोशिश की थी। उन्होंने और उनकी टीम ने उन 54 घंटों के दौरान कम से कम 500 ऑक्सीजन सिलेंडर का इंतजाम किया था।

3- हिमांशु कुमार की रिपोर्ट में कहा गया था कि उन्होंने घटना वाले दिन बीआरडी मेडिकल कालेज के सभी अफसरों को कॉल किया था, इनमें गोरखपुर के जिलाधिकारी भी शामिल हैं।

4- रिपोर्ट में बताया गया था कि ऐसा कोई सबूत नहीं है जिससे डॉ. कफील पर भ्रष्टाचार करने की बात साबित होती हो।

5- ऑक्सीजन सप्लाई के लिए भुगतान, टेंडर या रखरखाव के लिए डॉ. क़फील जिम्मेदार नहीं थे।

6- वह एंसीफ्लाइटिस वार्ड के इंचार्ज नहीं थे।

7- ऐसा कोई सबूत नहीं है जिससे पता चलता हो कि वे प्राइवेट प्रैक्टिस कर रहे थे।

8- हिमांशु कुमार ने डॉ. कफील पर लगे मेडिकल लापरवाही के आरोप को बेबुनियाद बताया था।

वहीं अपनी बर्खास्तगी पर डॉ. क़फील ने ट्वीट करके कहा है कि – “इंसाफ़ की लड़ाई जारी रहनी चाहिए। न्याय करना एक बहुत बड़ी जिम्मेदारी हैं जिसे निर्वाह एक साधारण व्यक्ति नहीं कर सकता हैं।”

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