ट्रम्प देश के लिये योग्य राष्ट्रपति नहीं हैंः मिशेल ओबामा

(अमेरिका की पूर्व फर्स्ट लेडी मिशेल ओबामा ने डेमोक्रेटिक नेशनल कन्वेंशन में एक भाषण दिया है। राष्ट्रपति चुनाव से पहले हुए इस कन्वेंशन में उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की जमकर आलोचना की है। उनका यह भाषण पहले न्यूयार्क टाइम्स में उसके बाद 20 अगस्त, 2020 को भारत के ‘द टेलीग्राफ’ में प्रकाशित हुआ। ‘द टेलीग्राफ’ ने मिशेल के इस भाषण के साथ एक नोटिस चस्पा किया थाः ‘भारत के साथ इसकी साम्यता संयोगवश है।’ पूंजी की साम्राज्यवादी अर्थव्यवस्था जितनी ग्लोबल हुई है उससे भला राजनीति कितनी दूर रह सकती है। खासकर भारत जैसे देश में, जिसकी अर्थव्यवस्था साम्राज्यवाद पर ही टिकी हुई है। राजनीति की साम्यता संयोगवश नहीं बल्कि परिणाम वश है। इसी का नतीजा है कि इसको पढ़ते हुए अमेरिका नहीं आपको भारत याद आएगा। इसका हिंदी अनुवाद लेखक और एक्टिविस्ट अंजनी कुमार ने किया है। पेश है मिशेल ओबामा का पूरा भाषण-संपादक)

मैं यहां रात से हूं क्योंकि मैं अपने देश को दिल से प्यार करती हूं। यह देखना पीड़ादायी है कि बहुत से लोग घायल हैं। उन लोगों में से कई लोगों से मैं मिली। मैंने आप लागों को सुना। आप लोगों के माध्यम से ही मैंने देश के वादे को देखा है। उन बहुत से लोगों को शुक्रिया जो मेरे सामने आये। उनकी मेहनत, पसीना और खून को शुक्रिया जिसकी बदौलत उन वादों के साथ जी सकूंगीं। 

यही अमेरीका की कहानी है। वह लोग जिन्होंने कुर्बानी दी और अपने समय पर काबू पा लिया। क्योंकि, वे कुछ और चाहते थे और, अपने बच्चों के लिए कुछ बेहतर चाहते थे। 

क्या करने की जरूरत है 

मैं उन मुट्ठी भर जिंदा लोगों में से हूं जिसने सीधे-सीधे राष्ट्रपति पद की लाजवाब ताकत और उसके भीषण वजन को देखा है। मुझे एक बार फिर आपको बताने दीजियेः यह काम बहुत कठिन है। इसके लिए साफ सुथरे दिमाग से निर्णय की जरूरत होती है। इसके लिए जटिल और उलझे मसलों पर मास्टरी की जरूरत होती है। अपने इतिहास और तथ्य के प्रति निष्ठा की जरूरत होती है। इसके लिए एक नैतिक दृष्टि और सुनने की क्षमता की जरूरत होती है। और भरोसे वाले उस लगाव की दरकार होती है कि इस देश की 330,000,000 जिंदगियों में से हर किसी का मतलब है और वह कीमती है। 

राष्ट्रपति के शब्द वह ताकत रखते हैं कि जो बाजार में गति पैदा कर दें। ये युद्ध शुरू कर सकते हैं या शांति के वाहक हो सकते हैं। ये हमारी अच्छाइयों को सामने ला सकते हैं या फिर हमारी बुराइयों को भड़का सकते हैं। आप इस पद पर रहते हुए महज उल्लू नहीं बना सकते। 

अमेरिका की हालत

आज चार साल बाद इस राष्ट्र के हालात एकदम अलग हैं। डेढ़ लाख लोग मर चुके हैं। और हमारी अर्थव्यवस्था चरमराई हुई है। यह सब उस वायरस के कारण हुआ जिसको लंबे समय तक राष्ट्रपति दरकिनार करते रहे। इसने लाखों लोगों को बेरोजगार बना दिया है। बहुत सारे लोग अपने स्वास्थ्य सुविधाओं से वंचित हो गये हैं। बहुत से लोग न्यूनतम जरूरतों जैसे भोजन और किराया चुकाने की समस्या से जूझ रहे हैं। बहुत से समुदाय इस बात के लिए संघर्ष कर रहे हैं कि कैसे हमारे स्कूलों को सुरक्षित रूप से खोला जाए। अंतर्राष्ट्रीय मामलों की तरफ हमने पीठ कर लिया है। न सिर्फ उन समझौतों से जिसे मेरे पति ने किया था बल्कि उन गठबंधनों से भी जिन्हें रीगन और आइजनहाॅवर ने अंजाम दिए थे। 

सहानुभूति की अथाह कमी 

और यहां अपने देश में जाॅर्ज फ्लाॅयड, ब्रियोन्ना टेलर (आपातकालीन मेडिकल तकनीशियन जिसे पुलिस ने गोली से खत्म कर दिया), और इसी श्रृंखला में अनगिनत मासूम अश्वेत लोगों की सूची है जिनकी हत्या होती जा रही है। एक साधारण सा तथ्य कि काले लोगों की जिंदगी की कीमत है, अभी भी देश के सबसे ऊंची सत्ता ने तवज्जो के लायक़ ही नहीं समझा। 

क्योंकि जब हम इस व्हाइट हाउस की तरफ किसी नेतृत्व या सांत्वना या किसी दृढ़ता की जरूरत के लिहाज से देखते हैं तब इसकी बजाय हमें वहां अराजकता, विभाजन और एक पूरी तरह से गहराई से जुड़ाव का अभाव दिखता है। 

जुड़ाव- यह ऐसी कोई चीज है जिस पर मैंने बहुत देर तक खूब सोचा। किसी दूसरे के जूते में चल सकने की क्षमता; किसी दूसरे के भी अनुभव की भी कीमत होती है इस बात की मान्यता देना। हम में से ज्यादा लोग बगैर हिचके ऐसा ही करते हैं। अगर हम देखते हैं कि कोई परेशान है या संघर्ष कर रहा है तो हम कोई फैसला नहीं सुनाते। हम वहां तक पहुंचते हैं क्योंकि, ‘ईश्वर की कृपा से मुझे जाना है’। यह कोई ऐसी कठिन अवधारणा नहीं है जिसे आत्मसात न किया जा सके। यही बात तो हम अपने बच्चों को सिखाते हैं। 

आप में से बहुत सारे लोगों की तरह बराक और मैंने अपनी बच्चियों को एक मजबूत नैतिक आधार प्रदान करने का प्रयास किया है जिससे वो उन मूल्यों को आगे ले जा सकें जिसे हमारे दादा-दादियों ने हमारे भीतर डाला है। लेकिन आज, देश के बच्चे उन चीजों को होते देख रहे हैं जब हम एक दूसरे के प्रति जरूरी जुड़ावों को रोक देते हैं। वे आसपास देखकर भौचक्के हैं कि इन समयों में कहीं हम उनसे झूठ तो नहीं बोल रहे हैं कि हम कौन हैं और हमारे कौन से सच्चे मूल्य हैं। 

…वे लोगों को अपना काम कर रहे लोगों के खिलाफ उनकी त्वचा के रंग के कारण पुलिस बुलाते देखते हैं। वे देखते हैं कि यहां चंद लोगों की ही हकदारी है, यह लालच  अच्छी है और जीत जाना ही सब कुछ है क्योंकि जब हासिल करते हुए आप सबसे ऊपर होते हैं तब इस बात का वहां कोई अर्थ ही नहीं रह जाता कि और लोगों के साथ क्या हुआ। और वो देखते हैं कि क्या होता है जब वह प्रेम की कमी तिरस्कार को और बढ़ा देती है।

राज्य के दुश्मन 

वे देख रहे हैं कि हमारे नेता अपनी जनता को देश का दुश्मन बता रहे हैं जबकि गोरी सर्वोच्चता के मुखियाओं को प्रोत्साहित किया जा रहा है। वे इसे डरी नजरों से देख रहे हैं। जैसा कि बच्चे अपने परिवारों से कट गए हैं और दड़बों में फेंक दिये गए हैं। और केवल फोटो अप के लिए शांतिपूर्ण प्रदर्शनों पर पेपर स्प्रे और रबर बुलेट का इस्तेमाल किया जा रहा है। 

दुर्भाग्य से, यही अमेरीका है जिसे हमारी अगली पीढ़ी के लिए प्रदर्शित किया जा रहा है। एक राष्ट्र न सिर्फ अपनी नीतियों के मामले में गिरावट पर है बल्कि चरित्र के मामलों में भी यही बात सच है। यह सिर्फ निराशाजनक नहीं है। यह सर्वथा गुस्सा पैदा करने वाला है क्योंकि मैं उस अच्छाई और प्रतिष्ठा को जानती हूं जो पूरे देश में हमारे घरों और पड़ोस में दिखता है।

मैं यह बात अपने नस्ल, उम्र, धर्म या राजनीति के बिना भी जानती हूं। जब हम शोर और डर के करीब पहुंचते हैं, और सच्चे मायने में अपना दिल खोलते हैं तब हम जानते हैं कि जो देश में चल रहा है वह अच्छा नहीं है। यह वह नहीं है जो हम बनना चाहते हैं। 

ऊपर बढ़ो, नीचे नहीं 

तो, अब हम क्या करें? हमारी रणनीति क्या हो? पिछले चार सालों में बहुत सारे लोगों ने मुझसे पूछा, ‘जब दूसरे लोग इतना नीचे गिर रहे हैं, तब क्या अब भी ऊपर बढ़ना काम करेगा?’ मेरा जवाब थाः ऊपर जाना ही केवल ऐसी चीज है जो काम करती है। क्योंकि, जब हम नीचे जाते हैं, जब हम उसी तरह से दूसरों को नीचा दिखाने और उनके साथ अमानवीय व्यवहार करने की नीति अपनाते हैं तब हम उस घटिया शोर शराबे का ही हिस्सा हो जाते हैं जिससे सब कुछ डूब जाने का खतरा है। हम खुद को भी गिरा लेते हैं। हम अपने उन उद्देश्यों को भी गिरा देते हैं जिनके लिए हम लड़ते हैं। 

लेकिन हमें साफ हो जाना चाहिए: ऊपर जाने का मतलब चेहरे पर मुस्कान लाना और अच्छी बातें करना नहीं है खास कर ऐसे समय में जब लोग घटियापन और क्रूरता का सामना कर रहे हैं। ऊपर बढ़ने का अर्थ एक कठिन रास्ता लेना है। पहाड़ की ऊंचाई तक खुरचते और साफ करते जाना है। ऊपर बढ़ने का अर्थ मजबूती के साथ नफरत के खिलाफ खड़ा होना है। साथ ही हमें याद करना होगा कि हम ईश्वर की छत्रछाया में एक राष्ट्र हैं। और यदि हम जिंदा रहना चाहते हैं तो हमें एक साथ मिलकर जीवन जीने का रास्ता तलाश करना होगा। और अपने सारे मतभेदों के साथ हमें मिलकर काम करना होगा। 

ऊपर जाने का मतलब झूठ और अविश्वास की जंजीरों को खोलना होगा। यही वह चीज है जो हमें आजाद कर सकती है। एक ठंडी लेकिन कठिन सच्चाई। 

गलत राष्ट्रपति 

तो, मुझे उतना ईमानदार और स्पष्ट होने दीजिए जितना कि मैं हो सकती हूं। डोनाल्ड ट्रंप हमारे देश के लिए गलत राष्ट्रपति हैं। उनको आवश्यकता से अधिक समय मिला जिसमें वह साबित कर सकते थे कि वह इस काम के योग्य हैं। लेकिन वह बिल्कुल साफ तौर पर अपने सिर से ऊपर हैं। वह इन क्षणों की चुनौतियों को हल नहीं कर सकते। वो यह नहीं हो सकते जिसकी कि हम लोगों को इस मौके पर जरूरत है। ये वही है इसी तरह से है। 

क्या और भी बुरा हो सकता है? 

आप जानते हैं कि मैंने आपको वही बताया जो मैं महसूस कर रही हूं। आप जानते हैं मैं राजनीति से नफरत करती हूं। लेकिन आप यह भी जानते हैं कि मुझे राष्ट्र की चिंता है। आप यह भी जानते हैं कि मैं अपने सभी बच्चों का कितना ख्याल रखती हूं। 

इसलिए, आज की रात आप अगर मुझसे एक शब्द लेते हैं, तो वह यह हैः यदि आप सोचते हैं कि और भी ज्यादा बुरा होना संभव नहीं है तो मुझ पर भरोसा करिए, ऐसा बिल्कुल संभव है। और यदि हमने इस चुनाव में परिवर्तन नहीं लाया तो निश्चित तौर पर ऐसा होगा। अगर हमारे पास इस बदइंतजामी को खत्म करने की कोई उम्मीद है तो हमें बिडेन को वोट करना होगा। जैसे इसी पर हम सभी की जिंदगी टिकी हुई है …। 

उनकी जिंदगी फिर से खड़े होने का दस्तावेज है। वह हम सभी को उसी तरह की क्षमता और उत्साह से जोड़ेंगे। वही हम सभी को आगे बढ़ने में संबल और सीख देंगे। 

लेकिन, जो बिडेन पूर्ण नहीं हैं। और वह पहले शख्स होंगे जो इसे आपको बताएंगे। लेकिन कोई भी पूर्ण उम्मीदवार नहीं है और न ही पूर्ण राष्ट्रपति। और उनकी सीखने और आगे बढ़ने की क्षमता- मैंने उनमें इस तरह की विनम्रता और परिपक्वता देखी है। जिसे हम में से बहुत सारे लोगों में अभी मौजूद है। ज़ो बिडेन ने इस राष्ट्र की अपनी पूरी जिंदगी सेवा की है बगैर इस बात को भूले कि वह क्या हैं। लेकिन उससे भी ज्यादा उन्होंने इस बात को कभी ओझल नहीं होने दिया कि हम कौन हैं, हम सभी लोग। 

अब भी जो अमेरिका है 

आप में से बहुत से लोग बहुत आगे बढ़ चुके हैं। यहां तक कि जब आप थक गए हैं तब आप अकल्पनीय साहस जुटा कर उन्हें सहलाते हुए अपने प्यारे लोगों को संघर्ष का मौका दे रहे हैं। यहां तक कि जब आप चिंतित हैं तब आप उन डिब्बों को पहुंचा रहे हैं, उसे इकट्ठा कर रहे हैं और वह सारे जरूरी काम कर रहे हैं जिससे कि हम आगे बढ़ते रहें। 

यहां तक कि जब यह सब इतना भारी लगता है तब कामकाजी मां बाप बच्चे की परवाह किए बगैर सब कुछ एक साथ कर रहे हैं। अध्यापक बहुत सर्जनात्मक होते जा रहे हैं जिससे हमारे बच्चे अब भी सीखते हुए बड़े हो सकें । हमारी युवा पीढ़ी अपने सपनों को पूरा करने के लिए पूरी जी जान से जुटी हुई है। 

और जब व्यवस्थित नस्लवाद की भयावहता ने हमारे देश और हमारी संवेदनाओं को झकझोर दिया था तब हर उम्र, हर पृष्ठभूमि के लाखों अमेरिकी एक दूसरे के साथ मार्च के लिए खड़े हो गये। न्याय और प्रगति के लिए चिल्ला उठे। ये अभी भी हमीं लोग हैं : दयालु, विनम्र, इज्जतदार लोग जिनके भविष्य एक दूसरे के साथ जुड़े हुए हैं। और यही बात बीते समय में हमारे नेतृत्व के साथ भी थी। हमारी सच्चाई के साथ एक बार फिर यही बात परिलक्षित होनी चाहिए। 

इसलिए, यह अब हमारे ऊपर है कि हम इतिहास के रास्ते में अपनी आवाज और अपना वोट मिलाएं, हम नागरिक अधिकारों के नायकों, मसलन जाॅन लेविस की आवाज बुलंद करेंः जब आप देखते हैं जो हो रहा है वह ठीक नहीं है, तब आपको ज़रूर कुछ बोलना चाहिए। आपको ज़रूर कुछ करना चाहिए।’ यह जुड़ाव की सबसे सच्ची अभिव्यक्ति है। सिर्फ महसूस करने के स्तर पर नहीं, करने के लिए भी। न सिर्फ अपने बच्चों के लिए बल्कि सबके लिए, हमारे सभी बच्चों के लिए। 

यदि हम प्रगति की संभावना को अपने समय में जिंदा रखना चाहते हैं। यदि हम चुनाव के बाद अपने बच्चों की आंखों में देखने की क्षमता रखना चाहते हैं तो हमें अमेरिकी इतिहास में अपनी जगह का पूरी मजबूती के साथ दावा करना होगा। 

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