महुआ की जाएगी संसद सदस्यता? एथिक्स पैनल ने की सिफारिश, लोकपाल ने भेजी सीबीआई को शिकायत

नई दिल्ली। टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा के सितारे इन दिनों गर्दिश में चल रहे हैं। उन पर लगे आरोपों की जांच करने वाली लोकसभा की आचार समिति ने उन्हें 17वीं लोकसभा से निष्कासित करने की सिफारिश की है। महुआ के खिलाफ समिति ने 500 पन्नों की रिपोर्ट तैयार की है। मोइत्रा के खिलाफ भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने कैश-फॉर-क्वेरी का आरोप लगाया था, समिति जिसकी जांच कर रही थी। रिपोर्ट को अपनाने के लिए पैनल गुरुवार को बैठक करेगा। इसके बाद इसे लोकसभा अध्यक्ष के पास भेजा जाएगा।

महुआ की मुश्किलें और भी बढ़ सकती हैं। माना जा रहा है कि महुआ की सिर्फ संसद सदस्यता ही नहीं जाएगी बल्कि उनके खिलाफ पुलिस कार्रवाई भी की जा सकती है क्योंकि समिति ने अपनी सिफारिश में राष्ट्रीय सुरक्षा को मुख्य आधार बनाया है। समिति ने सिफारिश में कहा है कि महुआ ने अपनी संसदीय अकाउंट की लॉग-इन डिटेल अनाधिकृत लोगों के साथ शेयर की है, जिसका असर राष्ट्रीय सुरक्षा पर पड़ता है। इसलिए महुआ की संसद सदस्यता बर्खास्त होनी चाहिए।

कहा ये भी जा रहा है कि मसौदा रिपोर्ट में लोकसभा की प्रक्रिया और कामकाज के संचालन के नियमों के नियम 275 का उल्लंघन करने के लिए बसपा सांसद दानिश अली को भी चेतावनी दी गई है, जो संसदीय समितियों की कार्यवाही की गोपनीयता से संबंधित है।

रिपोर्ट में अली सहित विपक्षी सांसदों के नामों का जिक्र किया गया है, जिन्होंने इस महीने की शुरुआत में पिछली बैठक में पैनल के अध्यक्ष विनोद कुमार सोनकर के सवाल पूछने के तरीके पर आपत्ति जताई थी। पैनल में विपक्षी सदस्यों से अपेक्षा की जाती है कि वे 15-सदस्यीय पैनल की सिफारिशों से असहमत होकर असहमति नोट प्रस्तुत करेंगे, जिसमें सत्तारूढ़ एनडीए का बहुमत है।

मोइत्रा और विपक्ष के पांच सदस्य दानिश अली, कांग्रेस के उत्तम कुमार रेड्डी और वी वैथीलिंगम, सीपीएम के पीआर नटराजन और जेडी(यू) के गिरिधारी यादव, 2 नवंबर को पैनल की बैठक से बाहर चले गए थे।

नलगोंडा से कांग्रेस सांसद रेड्डी ने कहा कि उन्होंने पैनल के अध्यक्ष सोनकर को 9 नवंबर की बैठक स्थगित करने के लिए लिखा है क्योंकि उन्हें तेलंगाना में अपना नामांकन दाखिल करना है। मोइत्रा ने मंगलवार 7 नवंबर को ये दावा किया था कि जानबूझ कर पैनल की बैठक 6 नवंबर से 9 नवंबर तक पुनर्निर्धारित की गई थी ताकि विपक्ष की संख्या कम हो सके।

इसी बीच, दुबे ने दावा किया कि लोकपाल ने मोइत्रा के खिलाफ उनकी शिकायत सीबीआई को जांच के लिए भेज दी है। उन्होंने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि, “उन्होंने मुझे बताया कि उन्होंने इसे सीबीआई को भेज दिया है, जो जांच करने के लिए लोकपाल की एजेंसी है।”

इस पर मोइत्रा ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि, “मीडिया द्वारा मुझे बुलाए जाने पर – मेरा जवाब: 1. सीबीआई को पहले 13,000 करोड़ रुपये के अडानी कोयला घोटाले पर एफआईआर दर्ज करने की जरूरत है। 2. राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा यह है कि कैसे संदिग्ध FPI स्वामित्व वाली (चीनी और संयुक्त अरब अमीरात सहित) अडानी कंपनियां @HMOIndia की मंजूरी के साथ भारतीय बंदरगाहों और हवाई अड्डों को खरीद रही हैं। फिर सीबीआई आपका स्वागत है, आइए, मेरा जूता गिनिए।”

वहीं एक और एक्स पोस्ट में उन्होंने कहा कि, “लोकपाल अभी जिंदा है।”

मोइत्रा से जुड़े कैश-फॉर-क्वेरी के आरोप पिछले महीने तब सामने आए जब भाजपा नेता निशिकांत दुबे ने दो पत्र लिखे। उन्होंने एक पत्र लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को लिखा जिसमें दावा किया गया था कि मोइत्रा ने हीरानंदानी समूह के हितों की रक्षा के लिए रिश्वत ली थी, और दूसरे पत्र में उन्होंने आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव से अनुरोध किया कि वे लोकसभा के लिए मोइत्रा के लॉग-इन क्रेडेंशियल के आईपी पते की जांच करें ताकि यह पता लगाया जा सके कि क्या उन तक किसी और ने पहुंच बनाई है।

एथिक्स कमेटी ने मोइत्रा के खिलाफ शिकायत को लेकर दुबे और वकील जय अनंत देहाद्राई से पूछताछ की थी। दूसरी ओर, हीरानंदानी ने पैनल को दिए हलफनामे में दावा किया था कि मोइत्रा ने उन्हें अपना संसद लॉगिन और पासवर्ड दिया था ताकि वह जरुरत पड़ने पर उनकी ओर से सीधे “प्रश्न पोस्ट” कर सकें।

द इंडियन एक्सप्रेस को दिए एक साक्षात्कार में, मोइत्रा ने स्वीकार किया था कि उन्होंने हीरानंदानी को अपना संसद लॉगिन और पासवर्ड दिया था, लेकिन उनसे कोई नकद लेने से इनकार किया था, जैसा कि देहाद्राई ने सीबीआई को अपनी शिकायत में आरोप लगाया था।

(‘द इंडियन एक्सप्रेस’ में प्रकाशित खबर पर आधारित।)

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