किसान आंदोलन-2: फिर टला किसानों का दिल्ली कूच; फैसला शीघ्र

पंजाब के आंदोलनरत किसानों का प्रस्तावित दिल्ली कूच एकबारगी फिर टल गया है। अब इस बाबत शुक्रवार या शनिवार को निर्णय लिया जाएगा। किसान संगठनों पर आधारित किसान फोरम ने 29 फरवरी को हजारों किसानों के साथ दिल्ली कूच करने की घोषणा की थी लेकिन 21 फरवरी को खनौरी में हरियाणा पुलिस की गोली का शिकार होकर मारे गए युवा किसान शुभकरण सिंह के संस्कार तथा अंतिम रस्मों के चलते फौरी तौर पर इसे एक-दो दिन के लिए स्थगित कर दिया गया। बड़ी तादाद में किसान शंभू और खनौरी बॉर्डर पर दिल्ली जाने की तैयारी में बैठे हैं।

इस बीच युवा किसान शुभकरण सिंह अंतिम संस्कार बठिंडा स्थित उसके गांव बल्लो में कर दिया गया। इस मौके पर हजारों किसानों के साथ विभिन्न किसान संगठनों के नेता तथा आम आदमी पार्टी (आप), कांग्रेस व शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के वरिष्ठ नेता मौजूद थे। मृतक किसान शुभकरण सिंह की दोनों बहनों ने अपने भाई के सिर पर सेहरा बांधकर अंतिम विदाई दी। तीन मार्च को गांव बल्लो में शुभकरण के भोग की रस्म होगी।

संयुक्त किसान मोर्चा (गैर राजनीतिक) के नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने कहा कि सभी किसान संगठन भोग पर आएंगे। कयास लगाए जा रहे हैं कि किसानों के दिल्ली कूच की घोषणा शुभकरण के भोग तक टल सकती है। किसान फोरम के सहयोगी किसान संगठनों की साझा बैठक शंभू बॉर्डर पर हुई। इस बैठक में पंजाब के अलावा हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और मध्य प्रदेश के किसान नेताओं ने भी शिरकत की। आदिवासी नेता भी बैठक के लिए विशेष रूप से शंभू बॉर्डर पहुंचे।

किसान नेता सरवण सिंह पंधेर के अनुसार शुक्रवार को फिर बैठक होगी और आगे की रणनीति का ऐलान किया जाएगा। उन्होंने कहा कि आंदोलन यथावत जारी रहेगा और फिलहाल किसान बॉर्डर पर ही डटे रहेंगे। अन्य संगठनों को आंदोलन में साथ लेने के लिए 6 सदस्यीय तालमेल कमेटी बनाने की घोषणा भी किसान फोरम ने की है। उधर, संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) की अहम बैठक दो मार्च को लुधियाना में होगी। इसमें किसान आंदोलन और किसान संगठनों को एक मंच पर लाने पर विशेष विचार-विमर्श किया जाएगा। इस बैठक पर सूबे भर के किसानों की निगाहें लगी हुईं हैं।

फिलहाल किसान संगठनों में आपसी टकराव का माहौल है और आम किसानों का मानना है कि यह आंदोलन पर नागवार असर डाल रहा है। किसान चाहते हैं कि तमाम संगठन एकजुट आंदोलन को आगे बढ़ाएं और पहले आंदोलन सरीखी धार दें; ताकि केंद्र की नरेंद्र मोदी की अगवाई वाली की सरकार को मजबूती के साथ चुनौती दी जा सके। यह तभी संभव है, जब तमाम किसान संगठन एक हो जाएं।

इस बीच किसान आंदोलन-2 में पंजाब के युवा किसान शुभकरण सिंह की मौत के मामले में पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार को जमकर फटकार लगाते हुए कहा कि आप सरकार हैं, आतंकवादी नहीं जो इस तरह किसानों पर गोलियां चलवाएं। शुभकरण की मौत की न्यायिक जांच की मांग को लेकर दाखिल याचना पर हाईकोर्ट ने हरियाणा, पंजाब में अन्य प्रतिवादियों को नोटिस जारी करते हुए जवाब मांगा है।

किसान आंदोलन से जुड़ी विभिन्न याचिकाएं कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश जस्टिस गुरमीत सिंह संधावालिया व जस्टिस लपिता बनर्जी की खंडपीठ के समक्ष पहुंची थीं। सुनवाई के दौरान पीठ ने शुभकरण सिंह की मौत के बाद एफआईआर दर्ज करने में हुई हफ्ते की देरी के लिए हरियाणा व पंजाब सरकार से पूछा कि एक सप्ताह तक शव रखा गया और जांच आरंभ क्यों नहीं की गई? अदालत ने कहा की मौत प्राकृतिक नहीं थी तो ऐसे में क्यों पोस्टमार्टम व एफआईआर में इतनी देरी हुई। पीठ ने दोनों राज्यों में इंटरनेट सेवाएं बंद करने पर भी जवाब मांगा है।

(पंजाब से अमरीक की रिपोर्ट।

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