रेल सुरक्षा आयोग की रिपोर्ट: लोकेशन बॉक्स के वायरिंग में खराबी बना बालासोर दुर्घटना का कारण

नई दिल्ली। बालासोर रेल दुर्घटना के कारणों को हर कोई जानना चाहता है। रेल दुर्घटना के समय आतंकी साजिश से लेकर नक्सली साजिश तक के आरोप लगे। लेकिन अब रेल सुरक्षा आयोग की रिपोर्ट ने दुर्घटना के कारणों का खुलासा किया है वह विश्वास करने के काबिल नहीं है। रेल सुरक्षा आयोग की रिपोर्ट के अनुसार बहनागा बाजार रेलवे स्टेशन के पास लोकेशन बॉक्स के वायरिंग में एक अज्ञात खराबी, जिस पर पिछले पांच वर्षों में सिग्नल और टेलीकॉम (एस एंड टी) कर्मचारियों द्वारा ध्यान नहीं दिया गया था, जिसके कारण ओडिशा में घातक ट्रिपल ट्रेन टक्कर हुई, जिसमें कम से कम 291 लोगों की मौत हो गई और 100 से अधिक घायल। आमतौर पर दो से पांच किलोमीटर की दूरी पर स्थापित, एक लोकेशन बॉक्स में ‘केबल’ होते हैं जो पॉइंट, सिग्नल और ट्रैक सर्किट सहित सिग्नलिंग कार्यों को नियंत्रित करता है।

बालासोर में हुई ट्रेन दुर्घटना शायद किस्मत की एक विषात थी, ऐसा “रेल सुरक्षा आयोग की रिपोर्ट” में बताया गया है। बालासोर में हुई घटना का कारण लोकेशन बॉक्स है, जो कि पिछले पांच वर्षों से खराब था और इससे भी हैरानी वाली बात यह है कि इसपर किसी की नजर तक नहीं पड़ी थी। मतलब इस लोकेशन बॉक्स के खराब होने के बावजूद पिछले पांच साल में कोई एक्सीडेंट नहीं हुआ था, लेकिन अचानक से 2 जून को बालासोर में एक्सीडेंट होता है और 291 लोगों की मृत्यु हो जाती है।

द हिंदू पर प्रकाशित खबर के अनुसार रेल सुरक्षा आयोग (सीआरएस) की रिपोर्ट में एस एंड टी विभाग को दोषी माना गया है, जो दुर्घटना के दिन, 2 जून को मरम्मत कार्य कर रहा था। हादसे का अध्ययन कर रहे रेलवे अधिकारियों ने कहा कि इस दुर्घटना को टाला जा सकता था यदि रेल पटरियों पर बिंदु निर्धारित करने वाले सर्किट का जांच करके, लोकेशन बॉक्स को रिले या नियंत्रण कक्ष से जोड़ने के लिए उचित प्रक्रियाओं का पालन किया गया होता।

अगर सीआरएस रिपोर्ट की मानें तो, दोषी एस एंड टी विभाग के लोग हैं। लेकिन कुछ समय पहले इस ट्रेन एक्सीडेंट के पीछे जूनियर इंजीनियर आमिर खान का नाम आया था जिसके बारे में कहा जा रहा था कि वो फरार हो गया है। सोशल मीडिया पर लोगों ने और कुछ राजनीतिक पार्टियों ने बिना किसी गवाह और सबूत के आमिर खान को गुनहगार घोषित कर दिया। इसके बाद हर कोई मुस्लिमों को घेरने लगे और इसे देश विरोधी बताने लगे, हालांकि किसी को आमिर खान के खिलाफ कोई ऐसा सबूत नहीं मिला लेकिन एक बात जो इस देश में दिखी वो ये थी कि अगर आप अपनी गलती को छुपाना चाहते हैं तो उस गलती को किसी मुस्लिम के नाम से जोड़ दें, और शायद ऐसा ही कुछ आमिर खान का नाम बाहर लाकर किया गया था।

अधिकारियों ने कहा है कि “घटनाओं का ये पूरा सिलसिला, जो 2018 से एस एंड टी कर्मचारियों द्वारा की जा रही गलतियों से जुड़ा है, एक बड़ी दुर्घटना के होने के बाद प्रकाश में आया और लोगों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया है, जो ये बताता है कि ये सुरक्षा में एक बड़ी विफलता है।”

दुर्घटना होने के चार घंटे बाद ही रात करीब 11.30 बजे सीनियर सेक्शन इंजीनियर (सिग्नल प्रभारी) ए.के. महंत, जो दुर्घटनास्थल पर थे, उनको परीक्षण कक्ष से पता चला कि पॉइंट का संकेत अभी भी सामान्य दिख रहा था, जबकि साइट पर पॉइंट मशीनें क्षतिग्रस्त हो गई थीं। इससे उनकी जिज्ञासा बढ़ी और वह यह जांचने गए कि लेवल क्रॉसिंग गेट 94 पर वायरिंग में कोई गलती तो नहीं है, जहां उन्होंनें पाया कि इलेक्ट्रिक लिफ्टिंग बैरियर (ईएलबी) के लिए रखरखाव का काम शाम 4.20 बजे के बीच किया गया था।

रेलवे अधिकारियों ने द हिंदू को बताया  कि “एस एंड टी स्टाफ की पहली गलती यह थी कि जब उन्होंने सर्किट को स्थानांतरित किया, तो उन्होंने सर्किट डायग्राम पर लेबलिंग नहीं बदली और यह बहुत खतरनाक था।”

“उन्होंने आगे कहा कि एक लेबलिंग गलती जिस पर 2018 से ध्यान नहीं दिया गया था, उसकी कीमत 2 जून को रेलवे विभाग और देश को चुकानी पड़ी। जबकि ईएलबी के नियंत्रण संचालन पर वायरिंग का काम किया जा रहा था, एस एंड टी स्टाफ ने F23 और F24 टर्मिनलों को “अतिरिक्त” के रूप में सोचा।” और उन टर्मिनलों पर नए ईएलबी कनेक्शन को फिर से जोड़ा।

नियमित परीक्षण ना करना, पड़ा महंगा

एस एंड टी स्टाफ ने सीआरएस रिपोर्ट में यह गवाही दी है कि उन्हें इस बात की कोई जानकारी नहीं थी कि 17NWKR सर्किट को “स्पेयर” F23 और F24 टर्मिनलों में स्थानांतरित कर दिया गया था क्योंकि तार रैक के पीछे से खींचे गए थे और सामने दिखाई नहीं दे रहे थे इसलिए कभी इसपर ध्यान नहीं गया। लेकिन अधिकारियों ने तर्क दिया कि इस गलती पर ध्यान नहीं दिया गया क्योंकि एस एंड टी कर्मचारी “शॉर्टकट” अपना रहे थे और सर्किट पर नियमित जांच नहीं कर रहे थे जो कि प्रभावी रूप से हर छह महीने में होना चाहिए।

अधिकारियों ने कहा कि यह जांचने के लिए नियमित “केबल निरंतरता परीक्षण” आयोजित करने की आवश्यकता है जिससे हमेशा नजर रखा जाये की सभी सर्किट कार्यों को ठीक से सौंपे गए है और सभी सर्किट सही रुप से काम कर रहे हैं कि नहीं, जिसे करने के लिए उन्हें “लेबल” किया गया था। उन्होंने कहा, ”ऐसा लगता नहीं है कि ये मुमकिन है।”

गलती का परिणाम घातक था। शाम 6.14 बजे, टक्कर से कुछ मिनट पहले, अप लूप लाइन पर अप मालगाड़ी के स्वागत के लिए प्वाइंट को रिवर्स करने के लिए सेट किया गया था। बाद में अप लूप लाइन पर दूसरी मालगाड़ी मिली।

सीआरएस रिपोर्ट बताती है  कि “बिंदु की भौतिक स्थिति उलट थी, लेकिन रिले रूम और पैनल पर स्थिति सामान्य थी यह बहुत चौंका देने वाला था। क्रॉस ओवर (बिंदु) की भौतिक स्थिति इसके संकेत रिले के साथ पत्राचार (डीलिंक) से बाहर थी, और इसमें किसी अन्य सर्किट/स्रोत के माध्यम से पावर जा रहा था।”

अधिकारियों ने कहा “तब यह जानने का हमारे पास कोई रास्ता नहीं था कि “भौतिक बिंदु नहीं बदला गया था, क्योंकि यह ‘ऐसा माना’ जा रहा था कि बदल गया है, लेकिन वायरिंग से छेड़छाड़ की गई थी। सब कुछ स्पष्ट करने से पहले, यह जांचने के लिए एक केबल निरंतरता परीक्षण नहीं किया गया था कि सर्किट ठीक से काम कर रहा है या लेबलिंग गलत है, जो एस एंड टी कर्मचारियों की ओर से एक बड़ी विफलता है।”

पिछला ईएलबी कार्य

विफलता का पहला स्तर सर्किट की गलत लेबलिंग में था और दूसरा केबल निरंतरता या तथाकथित “बजर” परीक्षणों का संचालन करके यह जांचने में विफल रहा कि सर्किट सामान्य रूप से काम करता है या नहीं, जो एक बिंदु से दूसरे बिंदु तक सिग्नल भेजते हैं और इंतजार करते हैं यह देखने के लिए सिग्नल वापस प्राप्त करें कि क्या लूप पूरा हो गया है और अपने इच्छित तरीके से काम कर रहा है कि नहीं।

रेल आयोग के रिपोर्ट में कई बातों का खुलासा हुआ है, और रिपोर्ट जिस तरीके कि सामने आयी है उससे यही प्रतीत होता है कि बहनागा बाजार रेलवे स्टेशन भाग्य भरोसे चल रहा था, क्योंकि अगर ये घटना नहीं होती तो किसी को पता नहीं चलता की दिक्कत कहां और क्या है। 5 साल से जो गलती रेल विभाग के सामने नहीं आयी थी, वो एक ट्रेन हादसा होने के बाद सामने आ गयी और ये कहना गलत नहीं होगा की अगर ये हादसा नहीं होता तो इस कमी पर किसी की नजर नहीं जाती।

(द हिंदू की रिपोर्ट पर आधारित।)

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