हेमंत सोरेन से ईडी की पूछताछ के दौरान साथ आए सीआरपीएफ जवानों पर मामला दर्ज

रांची। झारखंड सरकार और ईडी के बीच टकराव बढ़ता जा रहा है। 20 जनवरी को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ईडी झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से पूछताछ करने के लिए गई थी। अब झारखंड पुलिस ने सीआरपीएफ के वरिष्ठ कर्मियों के खिलाफ सेक्शन 144 तोड़ने का मामला दर्ज किया है।

झामुमो ने आरोप लगाया था कि सीआरपीएफ के लगभग 500 जवानों ने बिना किसी अनुमति के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के घर में प्रवेश करने की कोशिश की थी, जब उनसे ईडी द्वारा पूछताछ की जा रही थी।

झारखंड पुलिस के मुताबिक सीएम हाउस से 500 मीटर के दायरे में धारा 144 लगी थी और वहां केवल वही सुरक्षाकर्मी ड्यूटी कर सकते थे जिन्हें प्रशासन ने तैनात किया था। उस समय सीआरपीएफ जवानों को अंदर जाने से रोका गया लेकिन वो नहीं माने। इसलिए झारखंड पुलिस ने सीआरपीएफ के जवानों के खिलाफ सेक्शन 144 तोड़ने का मामला दर्ज किया है।

बता दें कि 20 जनवरी को झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से ईडी के अधिकारियों ने मुख्यमंत्री आवास पर पूछताछ की थी। जमीन घोटाले से संबंधित मामले पर ईडी के अधिकारियों द्वारा यह पूछताछ सात घंटे से अधिक की अधिक समय तक चली थी। सुरक्षा के कड़े इंतजाम के बीच ईडी के अधिकारी मुख्यमंत्री आवास पहुंचे थे और हेमंत सोरेन से पूछताछ की थी।

ईडी की ओर से मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पूछताछ के लिए आठ समन भेजे गए। सात समन के बाद भी सीएम पूछताछ के लिए हाजिर नहीं हुए। ईडी ने आठवें समन में पूछताछ की तारीख और जगह बताने को कहा था। इसके बाद हेमंत सोरेन ने 20 जनवरी को मुख्यमंत्री आवास पर पूछताछ के लिए समय दिया, जिसके बाद उनसे पूछताछ हो सकी।

अब पुनः हेमंत सोरेन से ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) की टीम पूछताछ करेगी। इस बाबत ईडी ने उन्हें फिर समन भेजा है। भेजे गए समन में ईडी ने मुख्यमंत्री से 27 से 31 जनवरी के बीच पूछताछ की तारीख पूछा है। बताया जाता है कि ईडी के अधिकारी 20 जनवरी को हुई पूछताछ से संतुष्ट नहीं हैं।

पूछताछ के दौरान नारे लगा रहे थे झामुमों कार्यकर्ता

एक तरफ हेमंत सोरेन से सीएम आवास पर ईडी की पूछताछ हो रही थी, वहीं दूसरी ईडी की कार्रवाई के विरोध में झामुमो के कार्यकर्ता कांके रोड से रातू रोड जानेवाले रास्ते पर जिसे ऐहतियात के तौर पर पूरी तरह बंद कर दिया गया था, वहीं पर खड़े होकर नारे लगा रहे थे। सबके हाथों में झामुमो का झंडा सहित हेमंत सोरेन और शिबू सोरेन का पोस्टर था। वहीं कुछ कार्यकर्ता हेमंत सोरेन का मास्क भी लगा रखे थे।

ईडी की टीम के लौटने के बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपने समर्थकों को संबोधित किया था और कहा था आपलोग इतनी देर तक मेरे समर्थन में जुटे रहे इसके लिए मैं आपका शुक्रिया अदा करता हूं। आगे जो भी परीक्षा देनी पड़े, उसके लिए हम तैयार हैं। हमने झारखंड लड़कर लिया है। हम झारखंड को इन भ्रष्टाचारियों के हाथ में कभी जाने नहीं देंगे।

सोरेन ने कहा कि सरकार बहुत मुश्किल से बनी है। सरकार बनने के बाद से ही बीजेपी षड्यंत्र कर रही थी। राज्य के सर्वांगीण विकास के साथ हमने इन षड्यंत्रों को नाकाम किया है। इनके पर को कुतरकर ही हम आगे बढ़ रहे हैं। अब उनके ताबूत में हम आखिरी कील ठोंकेंगे। मैं सभी कार्यकर्ताओं को इस जज्बे के लिए धन्यवाद देता हूं।

झामुमो ने लगाए गंभीर सवाल

झामुमो के महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने आरोप लगाया है कि 20 जनवरी को सीएम ईडी को बयान दे रहे थे। इसी दौरान केंद्र सरकार सीआरपीएफ के माध्यम से सीएम आवास पर हमला कराने की तैयारी में थी। मुख्यमंत्री को गिरफ्तार करने की साजिश रची गयी थी। उन्होंने कहा कि इतनी भारी तादाद में सीआरपीएफ के जवानों को भेजकर केंद्र सरकार किसी भी हालत में सीएम को गिरफ्तार करना चाहती थी। ताकि राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाया जा सके।

उन्होंने कहा कि एक एयरक्राफ्ट भी रांची एयरपोर्ट में तैनात किया गया था, ताकि मुख्यमंत्री को गिरफ्तार कर उन्हें दिल्ली ले जाया जा सके। सीआरपीएफ के अधिकारी और जवान झामुमो के कार्यकर्ताओं को उकसा कर हिंसा भड़काना चाहते थे। परन्तु पार्टी के कार्यकर्ताओं ने धैर्य का परिचय दिया। जबकि दूसरी तरफ राज्यपाल राजभवन में राष्ट्रपति शासन की अनुशंसा के लिए तैयार बैठे थे।

उन्होंने कहा कि आखिर क्या आपदा आ गयी थी कि सीआरपीएफ को भेजना पड़ा? सीआरपीएफ अपनी जिम्मेवारी से भाग नहीं सकती।

भट्टाचार्य ने दावा किया है कि सीआरपीएफ की गलत कार्रवाई के सारे सबूत उपलब्ध हैं। उन्होंने सवाल उठाया कि क्यों सीआरपीएफ के जवान व अधिकारी सीएम आवास के दूसरे गेट की तरफ से प्रवेश करना चाहते थे? सीएम आवास के पिछले गेट पर सीआरपीएफ की टीम क्यों गयी? एक-एक स्थल की वीडियोग्राफी उपलब्ध है। क्या वजह है कि बगैर डीसी के बुलाये सीआरपीएफ आ गयी? यह एक साजिश है, इसका प्रमाण हमारे पास है।

बता दें कि जब ईडी के अधिकारी मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से उनके कांके रोड स्थित सरकारी आवास में पूछताछ कर रहे थे, तो कई बसों में भरकर सीआरपीएफ के जवान वहां पहुंचे थे। वे मुख्यमंत्री आवास में जाना चाहते थे, लेकिन जिला प्रशासन ने उन्हें वापस भेज दिया था।

सीआरपीेएफ अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग

सीएम से ईडी की पूछताछ के दौरान सीआरपीएफ की इंट्री को झामुमो ने गैर-कानूनी करार दिया है। पार्टी के केंद्रीय महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य और विनोद कुमार पांडेय ने सरकार से इस मामले की उच्चस्तरीय जांच कर सीआरपीएफ आईजी, कमांडेंट और अन्य दोषी अधिकारियों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई करने की मांग की।

दर्ज हुई एफआईआर

अब सीआरपीएफ के आईजी, कमांडेंट व पांच सौ अज्ञात सीआरपीएफ जवानों के खिलाफ रांची के गोंदा थाने में प्राथमिकी दर्ज करायी गयी है। सदर सीओ मुंशी राम की शिकायत पर ये प्राथमिकी दर्ज की गयी है। 20 जनवरी को ईडी की सीएम हेमंत सोरेन से आवास में पूछताछ के दौरान सीआरपीएफ के जवानों की मौजूदगी मामले में एफआईआर दर्ज करायी गयी है।

इसमें कहा गया है कि सीआरपीएफ के जवान सीएम हेमंत सोरेन के कांके रोड स्थित सरकारी आवास की ओर जाने का प्रयास करने लगे थे। उन्हें बैरिकेडिंग के अंदर जाने से रोका गया, तो वे उलझ गए। इस दौरान सीआरपीएफ की गाड़ियों के कारण चौक जाम हो गया था। काफी मशक्कत के बाद स्थिति संभाली गयी।

दर्ज करायी गयी प्राथमिकी के अनुसार सदर सीओ ने कहा है कि सीएम आवास और आसपास के क्षेत्र में सदर अनुमंडलाधिकारी के आदेश से धारा 144 लगायी गयी थी। इस कारण 500 मीटर क्षेत्र में हथियार के साथ जाने पर पाबंदी थी।

उन्होंने कहा कि सीआरपीएफ को डीसी-एसएसपी के संयुक्त आदेश का हवाला दिया गया। अनुरोध करने पर भी वे मानने को तैयार नहीं थे। अधिकारियों व पुलिसकर्मियों से सीआरपीएफ के लोग उलझते रहे। काफी प्रयास के बाद स्थिति संभाली गयी। इसलिए सीआरपीएफ के अधिकारियों व जवानों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर कानूनी कार्रवाई की जाए।

(विशद कुमार स्वतंत्र पत्रकार हैं।)

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