मनीष गुप्ता हत्याकांड में सीबीआई ने दर्ज की एफआईआर ,12 को सुप्रीमकोर्ट में सुनवाई

कानपुर के कारोबारी मनीष गुप्ता हत्याकांड के मामले में सीबीआई ने एफआईआर दर्ज की है।सीबीआई ने इस मामले को अपने हाथ में लेते हुए इंस्पेक्टर जगत नारायण सिंह , सब इंस्पेक्टर अक्षय मिश्रा, सब इंस्पेक्टर विजय यादव और तीन अज्ञात पुलिसकर्मियों के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज कर लिया। इसके पहले मनीष गुप्ता की पत्नी ने सीबीआई से जांच कराए जाने की मांग की थी। सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई और सरकार को नोटिस भी जारी किया है। इसी के बाद सीबीआई ने मामला दर्ज कर नए सिरे से जांच शुरू कर दी है। मनीष गुप्ता की गोरखपुर के होटल में हत्या कर दी गई थी।

गौरतलब है कि कानपुर के प्रॉपर्टी डीलर मनीष गुप्ता की 27 सितंबर की रात गोरखपुर के होटल में पिटाई की गई थी जिसमें उनकी मौत हो गई। पत्नी का आरोप है कि रात में पुलिस ने तलाशी के नाम पर उसके पति मनीष से बदसलूकी की। विरोध करने पर मनीष को बेरहमी से पीटा। इसमें उनकी मौके पर ही मौत हो गई। गोरखपुर पुलिस ने पहले पिटाई से मौत को खारिज किया, लेकिन जब मीनाक्षी गुप्ता ने इस पर विरोध दर्ज किया। शासन ने इस पर कार्रवाई की फिर पुलिस कर्मियों पर मुकदमा दर्ज हुआ था। इस मामले में पत्नी लगातार CBI जांच की मांग कर रही थी। अब सीबीआई की ओर से हत्या की एफआईआर दर्ज करने के बाद मीनाक्षी गुप्ता ने न्याय मिलने की उम्मीद जताई है।

उल्लेखनीय है कि मामले के तूल पकड़ने के बाद राज्य सरकार ने मनीष गुप्ता की पत्नी को सरकारी नौकरी के साथ ही आर्थिक सहायता भी दी थी। साथ ही केंद्र सरकार से सीबीआई जांच की अनुशंसा भी की थी,जिसके बाद सीबीआई ने मामले में जांच शुरू की। अब सीबीआई ने मामले की प्रारंभिक जांच के बाद एफआईआर दर्ज कर पड़ताल को आगे बढ़ाया है। बताया जा रहा है कि जल्द ही मामले में कुछ गिरफ्तारियां भी संभव हैं। साथ ही सीसीटीवी फुटेज से सीबीआई को कुछ और महत्वपूर्ण सुराग भी मिले हैं, जिनके आधार पर अब कार्रवाई की जाएगी।

गोरखपुर में पुलिस पिटाई में मारे गए प्रॉपर्टी डीलर मनीष गुप्ता के मामले में सुप्रीम कोर्ट में उनकी पत्नी मीनाक्षी गुप्ता द्वारा दाखिल याचिका पर 12 नवम्बर को सुनवाई होगी। याचिका में मीनाक्षी की तरफ से उनके पति की हत्या के मामले में सीबीआई जांच की मांग की गई है।

गोरखपुर में दोस्तों के साथ गए बर्रा 3 निवासी मनीष गुप्ता के होटल के कमरे में 27 सितम्बर की देर रात पुलिस इंस्पेक्टर जेके सिंह टीम के साथ जांच के नाम पर घुसे थे। उस दौरान मनीष अपने दो और दोस्तों के साथ कमरे में मौजूद थे। पुलिस से थोड़ी कहासुनी में पुलिस ने उनकी बेरमही से पीटकर हत्या कर दी थी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आदेश पर मामले की जांच के लिए कानपुर पुलिस कमिश्रेट में एसआईटी का गठन हुआ। इसके बाद इंस्पेक्टर समेत छह पुलिस र्किमयों को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया।

याचिका में स्टेट ऑफ उत्तर प्रदेश द्वारा चीफ सेक्रेटरी, गृह सचिव उत्तर प्रदेश, सीबीआई और कार्मिक लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय को पार्टी बनाया गया है। केस के लिस्टेड होने की जानकारी शासन से कानपुर पुलिस कमिश्रेट और प्रशासनिक अधिकारियों को भी दी गई है।

मनीष की पत्नी मीनाक्षी गुप्ता घटना के बाद से ही सीबीआई जांच की मांग कर रही थीं। उन्होंने मुख्यमंत्री से मुलाकात के दौरान भी यह मांग रखी थी। जिस पर मुख्यमंत्री ने संस्तुति देकर फाइल को आगे बढ़ा दिया था। मगर सीबीआई ने इस केस को अब तक टेकओवर नहीं किया था। लेकिन उच्चतम न्यायालय में 12 नवम्बर को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध होते ही सीबीआई ने एफआईआर दर्ज़ करके जाँच शुरू कर दी है ताकि उच्चतम न्यायालय से कोई प्रतिकूल आदेश न पारित हो सके।

इसके पहले मनीष की पत्नी मीनाक्षी गुप्ता की तरफ से वकील अमित जॉर्ज ने जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और बी वी नागरत्ना की बेंच में दलील रखी । उन्होंने जजों को बताया कि मुख्यमंत्री ने सिर्फ घोषणा नहीं की थी। यूपी सरकार ने औपचारिक रूप से सीबीआई जांच की सिफारिश केंद्र सरकार को भेजी थी । 36 साल के व्यापारी की हत्या की गई है। 4 साल के बच्चे को अनाथ कर दिया गया है।

पीठ ने थोड़ी देर तक दलीलें सुनने के बाद मामले पर नोटिस जारी कर दिया। पीठ ने केंद्र और यूपी सरकार से जवाब दाखिल करने को कहा है। 12 नवंबर को मामले पर अगली सुनवाई होगी।
(वरिष्ठ पत्रकार जेपी सिंह की रिपोर्ट।)

जेपी सिंह
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