नवनिर्मित झारखंड विधानसभा के चार हिस्से आग से जलकर खाक, कंस्ट्रक्शन कंपनी ने लगाया साजिश का आरोप

रांची। झारखंड की राजधानी रांची के नगड़ी थाना क्षेत्र स्थित कुटे में 465 करोड़ रुपये की लागत से बना झारखंड विधानसभा का नया भवन में 4 नवंबर शाम लगभग 7:30 बजे आग लग गयी, जिसमें करोड़ों रुपये की क्षति हुई है।

रिपोर्ट के मुताबिक, काफी मशक्कत के बाद दमकल विभाग की कई गाड़ियों ने आग पर काबू पाई। वेस्ट विंग के फर्स्ट फ्लोर व सेकेंड फ्लोर में चार जगहों में एक साथ आग लग गई। बताया जाता है कि जहां आग लगी वहां बैंक, पोस्ट ऑफिस, विपक्ष के सदस्यों के बैठने की जगह और सभापति का कक्ष था। आग से कुर्सी, टेबल, फॉल सीलिंग समेत मौके पर मौजूद अन्य सभी फर्निशिंग जलकर खाक हो गए। अब तक आग लगने की वजह साफ नहीं हो सकी है। कंस्ट्रक्शन कंपनी ने कहा है कि आग शार्ट सर्किट से नहीं लगी है, यह कोई बड़ी साजिश है।

बताते चलें कि झारखंड राज्य को 19 साल बाद विधानसभा भवन की सौगात मिली है। इस नवनिर्मित विधानसभा भवन का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 12 सितंबर को किया था। 10 दिसंबर को इसे विधानसभा सचिवालय को हैंडओवर किया जाने वाला था। 162 विधायकों के बैठने की क्षमता वाला यह विधानसभा भवन 39 एकड़ भूमि पर फैला हुआ है और यह 465 करोड़ रुपये की लागत से बनाया गया है। झारखंड राज्य के गठन से लेकर अब तक झारखंड विधानसभा किराए पर एचईसी के लेनिन हॉल में संचालित होती थी। नए विधानसभा भवन के उद्घाटन के बाद 13 सितंबर को विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया गया था। पीएम मोदी ने विधानसभा के नए भवन के उद्घाटन के अलावा 68 एकड़ भूमि पर 1,238 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाले नए सचिवालय का भी शिलान्यास किया था।

बता दें कि पांच चरणों में चल रहे झारखंड विधानसभा चुनाव के जरिये पांचवीं विधानसभा का गठन पांच जनवरी तक होना है। इसके लिए चुनाव की प्रक्रिया चल रही है। विधानसभा भवन का निर्माण करने वाली कंपनी रामकृपाल कंस्ट्रक्शन के अधिकारी सोनू के मुताबिक एक साथ चार स्थानों पर आग लगना साजिश प्रतीत हो रही है। हालांकि उन्होंने साजिश की वजह नहीं बताई। जब मीडियाकर्मी आग बुझने के बाद पहले तल्ले की ओर जाने लगे तो निर्माण कंपनी रामकृपाल कंस्ट्रक्शन के कर्मियों ने उन्हें जबरन रोकने की कोशिश की।

आग पर काबू पाते दमकल कर्मी।

आग लगने की सूचना मिलने के बाद विधानसभा के सचिव महेंद्र प्रसाद मौके पर पहुंचे और उन्होंने मौजूद पदाधिकारियों से वस्तुस्थिति की जानकारी ली।

आग की लपटें 4 नवंबर की रात करीब साढ़े आठ बजे दिखीं। वहां काम कर रहे लोगों ने इसे सबसे पहले देखा। कयास लगाया जा रहा है कि बेल्डिंग के काम के दौरान आग फैली। आग लगने की सही वजह पता नहीं चल पाई है। जिन हिस्सों में आ लगी, वे पूरी तरह खाक हो चुके हैं। अग्निशमन दस्ते की 10 गाड़ि‍यों को आग बुझाने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ी। आग पर रात 10 बजे काबू पाने में सफलता मिली। भवन निर्माण विभाग के सचिव सुनील कुमार ने बताया कि आग पर काबू पा लिया गया है।

उल्लेखनीय है कि धुर्वा में 39 एकड़ भूखंड पर बनकर तैयार हुआ विधानसभा के नये भवन की खासियतों में तीन मंजिला भवन, सभी प्रकार की आधुनिक सुविधाएं, देश की पहली पेपरलेस विधानसभा, जल और ऊर्जा संरक्षण का मॉडल, 37 मीटर ऊंचे गुंबद के साथ देश में सबसे अनोखी विधानसभा का गौरव,आगंतुकों के लिए गैलरी, कांफ्रेंस हाल में 400 लोगों के बैठने की व्यवस्था, सौर ऊर्जा से बिजली की आपूर्ति, छत का बूंद-बूंद वर्षा जल संरक्षित होगा।

वहीं सेंट्रल विंग में एसेंबली हॉल (150 लोगों के बैठने की व्यवस्था), मुख्यमंत्री का चैंबर, स्पीकर का कक्ष, डिप्टी स्पीकर का कक्ष, कांफ्रेंस हॉल (400 लोगों के बैठने की व्यवस्था), एसेंबली सेक्रेटरी का कक्ष, मुख्य सचिव का कार्यालय, प्रधान सचिव का कार्यालय, एमएलए लॉबी, वीआईपी विजिटर गैलरी, मीडिया गैलरी, लाइब्रेरी, कैंटीन आदि स्थित है।।

पूर्वी विंग में मंत्रियों के कक्ष (22), कमेटी रूम (6), चीफ ह्विप का कक्ष (1), संयुक्त सचिव, अपर सचिव, उप सचिव व अंडर सेक्रेटरी का कक्ष एवं कार्यालय स्थित है।

पश्चिमी विंग में नेता प्रतिपक्ष का कार्यालय, कमेटी रूम (5), कमेटी के चेयरमैन का कक्ष (25), मान्यताप्राप्त राजनीतिक दलों के नेता का कक्ष (5), विपक्ष के चीफ ह्वीप का कक्ष (1), ह्विप (5) और अन्य कार्यालय समेत बैंक व पोस्ट ऑफिस जैसी सेवाओं के लिए जगह है।

सात लाइन में गोलाकार रूप में विधायकों का सीटिंग अरेंजमेंट है। भवन के ईस्ट और वेस्ट विंग में विधानसभा के पदाधिकारियों और कर्मचारियों के कार्यालय हैं। तीसरे तल्ले पर कैंटीन की सुविधा है। इसमें खपत होने वाली बिजली का 15 प्रतिशत हिस्सा पार्किंग पर लगे सोलर पैनल से मिलती है। 57,220 वर्ग मीटर क्षेत्र में बने इस भवन पर 37 मीटर ऊंचा गुंबद है, जिस पर अंदर से झारखंड की कला संस्कृति की तस्वीरें बनी हुई हैं। जल, जंगल और जमीन की थीम पर बनी सोहराय चित्रकारी से इसे सजाया गया है। इसमें दो भागों में 162 सदस्यों के बैठने की व्यवस्था है। 22 मंत्री कक्ष, 17 विधान सभा समिति कक्ष, मुख्य सचेतक, विधानसभा के पदाधिकारियों, कर्मचारियों के लिए अलग-अलग व्यवस्था की गयी है।

इस घटना पर कई सवाल मुंह बाये खड़े हैं कि आखिर इतनी बड़ी चूक हुई कैसे? क्या सुरक्षा मानकों का ख्याल नहीं रखा गया था? फायर फाइटिंग सिस्टम की क्या व्यवस्था थी? क्या बेल्डिंग करने वाले कर्मी सतर्कता नहीं बरत रहे थे? यह अगर साजिश है तो फिर किसकी है?

(रांची से जनचौक संवाददाता विशद कुमार की रिपोर्ट।)

विशद कुमार
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