अरुणाचल प्रदेश: एलएसी पर चीनी सैनिकों का जमावड़ा, सैटेलाइट तस्वीरों में दिखी सच्चाई

नई दिल्ली। अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में यांग्त्ज़ी के सामने एलएसी पर चीन ने बड़ी संख्या में अपनी सेना तैनात कर दी है। इस बात की जानकारी सुरक्षा प्रतिष्ठान के सूत्रों ने सोमवार को द टेलीग्राफ को दी। इसी इलाके में पिछले साल दिसंबर में चीनी सेना ने घुसपैठ की थी।

चीन की ओर से किये गए इस दुस्साहस को लेकर सैन्य दिग्गजों ने पहले ही संदेह जताया था। अब इस घटना के बाद उनका ये संदेह और मजबूत हो गया कि चीन अरुणाचल में स्थिति को बदलने का इरादा रखता है, जैसा कि उसने पूर्वी लद्दाख में किया है, जहां उसने मई 2020 से भारत की ओर से दावा किए गए क्षेत्र के लगभग 2,000 वर्ग किमी पर कब्जा कर लिया है। यानि की चीन वास्तविक नियंत्रण रेखा पर अपना कब्जा जमाने की कोशिश में है।

केंद्रीय गृह मंत्रालय से जुड़े एक सुरक्षा अधिकारी ने बताया कि, “हाल ही में उपग्रह इमेजरी से पता चलता है कि चीन ने कई गहराई वाले इलाकों में, खास तौर पर एलएसी के साथ तवांग सेक्टर में यांग्त्ज़ी में बड़े पैमाने पर अपनी सेना तैनात कर दी है। इतना ही नहीं चीन इस इलाके में सड़क निर्माण भी कर रहा है और साथ ही उसने प्रमुख बुनियादी ढांचा विकास परियोजनाएं भी शुरू कर दी हैं।”

अधिकारी ने इस पर चिंता जताते हुए कहा कि इस इलाके में लगातार चीनी घुसपैठ देखी जा रही है। उन्होंने कहा कि “यह हमारे लिए बड़ी चिंता का विषय है, हालांकि भारतीय सेना ने भी पर्याप्त तैनाती की है।”

वहीं सैटेलाइट द्वारा दिखाई गई नई तस्वीरों पर रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों ने कुछ भी कहने से इनकार कर दिया। हालांकि, उन्होंने कहा कि वे चीनियों पर “कड़ी नजर” रख रहे हैं।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पिछले हफ्ते अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर का दौरा किया था, जिसे चीन अपना क्षेत्र मानता है। उन्होंने सेना प्रमुख मनोज पांडे और सैनिकों के साथ बातचीत की और एलएसी पर भारत की सैन्य तैयारियों की समीक्षा की।

सेना ने सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश में एलएसी पर सैनिकों और हथियारों की तैनाती काफी बढ़ा दी है। अरुणाचल के 25 जिलों में से 12 जिले चीन के साथ 1,126 किमी लंबी सीमा से जुड़े हुए हैं।

पिछले साल दिसंबर में, पश्चिमी अरुणाचल के तवांग से 35 किमी उत्तर-पूर्व में 17,000 फीट की ऊंचाई पर यांग्त्ज़ी में दोनों देशों के सैनिकों के बीच झड़प में 15 से 20 भारतीय सैनिक घायल हो गए थे। यह झड़प तब हुई जब 500 से अधिक चीनी सैनिकों ने कथित तौर पर एलएसी पार की और भारतीय सैन्य चौकियों में तोड़फोड़ शुरू कर दी।

राजनाथ सिंह ने संसद को बताया था कि चीनी सैनिकों ने एलएसी का “अतिक्रमण” करने और यांग्त्ज़ी में “एकतरफा यथास्थिति बदलने” की कोशिश की, लेकिन भारतीय सेना ने उनकी इस नापाक कोशिश को नाकाम कर दिया।

वहीं इस साल अगस्त में, बीजिंग ने अपने “मानक मानचित्र” का 2023 संस्करण जारी किया था जिसमें अरुणाचल के विवादित दक्षिण चीन सागर और 1962 के युद्ध के बाद से कब्जे वाले अक्साई चिन क्षेत्र को चीन के नक्शे में दिखाया गया है। भारत का कहना है कि उसने “राजनयिक चैनलों के माध्यम से कड़ा विरोध दर्ज कराया।“

(‘द टेलिग्राफ’ में प्रकाशित खबर पर आधारित।)

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