सरकार की जिद की भेंट चढ़े दो और किसान

कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली-हरियाणा बॉर्डर पर जारी आंदोलन के बीच दो किसानों ने खुदकुशी कर ली है। फिरोजपुर के ममदोट इलाके के गांव महिमा के गुरुद्वारा साहिब के ग्रंथी नसीब सिंह मान ने खुदकुशी कर ली। उन्होंने सुसाइड नोट लिखकर अपनी लाइसेंसी रिवाल्वर से गोली मार ली। वहीं जहर खाने वाले किसान की आज इलाज के दौरान मौत हो गई।

मरने से पहले ग्रंथी नसीब सिंह ने एक सुसाइड नोट लिखा है। सुसाइड नोट में उन्होंने लिखा है, ‘मुझ पर किसी तरह का कोई कर्जा नहीं है, लेकिन मोदी सरकार के काले कानूनों के कारण किसानों की दयनीय हालत देखकर परेशान हूं। मेरी मौत के लिए मोदी सरकार जिम्मेदार है।’

वहीं मामले की सूचना पाकर मौके पर पहुंची पुलिस ने मृतक किसान के शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए अस्पताल के शव गृह में रखवा दिया है। फिलहाल पुलिस मामले की जांच कर रही है।

आत्महत्या की कोशिश करने वाले किसान लाभ सिंह की मौत
वहीं कल सोमवार को कुंडली बार्डर पर जहरीला पदार्थ खाने वाले 49 वर्षीय किसान लाभ सिंह की अस्पताल में इलाज के दौरान आज सुबह मौत हो गई है। कल जहरीला पदार्थ खाने के बाद लाभ सिंह को तत्काल एंबुलेंस से शहर के निजी अस्पताल में ले जाया गया था, जहां चिकित्सकों ने उनका उपचार शुरू किया था। अस्पताल से मिली जानकारी के अनुसार जहर खाने वाले लाभ सिंह की इलाज के दौरान मंगलवार सुबह मौत हो गई।

लुधियाना निवासी लाभ सिंह पिछले कई दिनों से धरना स्थल पर मौजूद थे। देर शाम को उन्होंने स्टेज के पास जाकर जहर निगल लिया और जान दे दी। पुलिस ने मृतक किसान के शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए सिविल अस्पताल भिजवा दिया है। सिंघु बॉर्डर पर शनिवार को अमरिंदर सिंह नामक किसान ने भी जहर खा लिया था। गंभीर हालत में उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। 40 वर्षीय अमरिंदर सिंह पंजाब के फतेहगढ़ साहिब जिले के रहने वाले थे।

बता दें कि कुंडली धरना स्थल पर अब तक तीन किसान जहर खा चुके हैं, जिसमें 9 जनवरी को अमरिंदर की मौत हो गई थी, जबकि पंजाब के जिला तरनतारन के गांव पटलपाई के 65 वर्षीय किसान निरंजन सिंह ने 21 दिसंबर को दोपहर को धरना स्थल पर सल्फास खा लिया था। उन्हें अस्पताल में उपचार दिलाकर बचा लिया गया था।

अमरिंदर सिंह से पहले एडवोकेट किसान अमरजीत सिंह, बाबा राम सिंह, निरंजन सिंह, भीम सिंह, कुलबीर सिंह, गुर लाभ सिंह ने खुदकुशी की थी। वहीं अब तक 60 से अधिक किसानों की मौत हो चुकी है।

किसानों के लिए काउंसिलिंग सत्र
कड़ाके की ठंड में घर से दूर आंदोलन की वजह से तमाम किसान अवसाद का भी शिकार हो रहे हैं। इनके मानसिक बोझ को कम करने के लिए अमेरिकी एनजीओ ‘यूनाइटेड सिख’ ने सिंघु बॉर्डर पर हरियाणा की ओर स्थापित अपने शिविर में किसानों के लिए एक काउंसलिंग सत्र शुरू किया है। इस शिविर में एक मनोवैज्ञानिक और वोलंटियर्स हैं। सान्या कटारिया ने न्यूज एजेंसी भाषा से कहा है कि कई किसानों की इस आंदोलन के दौरान मृत्यु हो गई है और कुछ ने अपनी जान दे दी है। हो सकता है कि उनमें मजबूत दृढ़ संकल्प हो, लेकिन अत्यधिक ठंड, कठित परिस्थितियों के साथ ही खेतों में सक्रिय नहीं रहने के कारण जीवन शैली में बदलाव के चलते उनके अवसाद से ग्रस्त होने की आशंका है।

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