अराजक तत्वों के नेतृत्व में गोडसे वंश ने लगाए मुस्लिम जनसंहार के नारे

भाजपा नेता अश्विनी उपाध्याय के नेतृत्व में गोडसे वंशियों ने रविवार को जंतर-मंतर पर मुस्लिम समुदाय के जनसंहार के नारे लगाये। नारे का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल है।

बता दें कि कल 8 अगस्त रविवार को- “औपनिवेशिक युग के कानूनों के ख़िलाफ़” एक मार्च के दौरान मुस्लिम विरोधी नारे लगाये गये।

यह रैली “भारत जोड़ो अभियान” के बैनर तले सुप्रीम कोर्ट के वकील और दिल्ली बीजेपी के पूर्व प्रवक्ता अश्विनी उपाध्याय के आह्वान पर बुलाई गई थी, जिसमें सैकड़ों लोग शामिल हुए। और इस कार्यक्रम के लिये इजाज़त तक नहीं ली गयी थी।

पत्रकार से लगवाये सांप्रदायिक नारे

समारोह में कथित तौर पर भीड़ ने ‘नेशनल दस्तक’ यूट्यूब चैनल के पत्रकार अनमोल प्रीतम का पीछा किया था, जिसके बाद भीड़ ने उन्हें ‘जय श्री राम’ का नारा लगाने के लिए मजबूर किया। सोशल मीडिया पर वायरल हुए एक वीडियो में, रिपोर्टर अनमोल प्रीतम को भीड़ का विरोध करते हुए और यह कहते हुए सुना जा सकता है कि वह जब चाहें तभी नारा लगाएंगे, न कि किसी के कहने पर। भीड़ में से कुछ उसे “जिहादी” कहकर जवाब देते हैं।

भगवा गैंग की सफाई

भारत जोड़ो मूवमेंट की मीडिया इंचार्ज शिप्रा श्रीवास्तव ने बताया, “अंग्रेजों द्वारा भारतीयों को दबाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले औपनिवेशिक कानूनों का विरोध किया गया, जो अभी भी मौजूद हैं। हम वहां उन कानूनों और समान नागरिक संहिता के विरोध में थे क्योंकि हमारी मांग थी कि एक देश में एक नियम होना चाहिए।”

उन्होंने दावा किया, “मेरी जानकारी में ऐसा (भड़काऊ) नारा नहीं था। 5,000 लोग थे और अगर किसी कोने में पांच-छह लोग ऐसे नारे लगा रहे होंगे, तो हम उनसे खुद को अलग कर लेते हैं।” वहीं, नई दिल्ली जिला के एक वरिष्ठ पुलिस अफसर ने बताया कि डीडीएमए दिशा-निर्देशों के बारे में बताने के बाद हमने अनुमति देने से इन्कार कर दिया था। बाद में पता चला था कि उपाध्याय कहीं बंद जगह में इवेंट के लिए जगह खोज रहे हैं। पुलिस के इंताजामात पूरे थे, क्योंकि हमने सोचा था कि 50 लोग आएंगे, पर धीमे-धीमे छोटे-छोटे समूह जुटने लगे। वे शांतिपूर्ण ढंग से प्रदर्शन कर रहे थे, पर जब वे अलग-अलग हुए तो नारेबाजी करने लगे।

वहीं, विवादित नारेबाजी के मसले पर उन्होंने कहा कि वह उसको (नारेबाजी करने वाले) नहीं जानते हैं। कार्यक्रम का आयोजन करने वाले अश्विनी उपाध्याय ने इस मामले में कमिश्नर को चिट्ठी लिखी है और कहा है कि नारे लगाने वालों से उनका कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने कहा कि कुछ लोग मुझे बदनाम करने के लिए मेरा नाम लेकर यह वीडियो ट्विटर, फेसबुक और वाट्सएप पर शेयर कर रहे हैं जबकि वीडियो में दिख रहे लोगों को न तो मैं जानता हूं, न तो इनमें से किसी से मिला हूं और न तो इन्हें बुलाया गया था। कानून बहुत ही घटिया और कमजोर है इसीलिए प्रसिद्धि पाने के लिए भी कई बार लोग उन्मादी वीडियो जारी करते हैं।

पुलिस कार्रवाई

दिल्ली के कनॉट प्लेस पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज की गई है। पुलिस का कहना है कि वायरल वीडियो के आधार पर अब आरोपियों की पहचान की जा रही है।

दिल्ली डीसीपी दीपक यादव ने नारेबाजी से जुड़े सभी वीडियो को लेकर कहा, “हम क्लिप्स की जांच-पड़ताल में जुटे हैं।”

दिल्ली पुलिस अफसरों ने समाचार एजेंसी एएनआई को बताया, “कल दिल्ली में जंतर मंतर के पास “औपनिवेशिक कानून और एक समान कानून बनाओ” नामक एक कार्यक्रम के रूप में कथित तौर पर भड़काऊ नारे लगाने के बाद कानून की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया।”

तो क्या इसी लिये राकेश अस्थाना को दिल्ली पुलिस कमिश्नर बनाया गया

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने पूछा है कि “क्या राकेश अस्थाना को दिल्ली पुलिस कमिश्नर इसलिए बनाया गया है?”

इसी बीच, सोशल मीडिया पर नारेबाजी से जुड़े कुछ वीडियो शेयर करते हुए कुछ लोगों ने कहा कि दिल्ली को फिर से दंगों में झोकने की साजिश हो रही है। संसद मार्ग थाने के पास मुस्लिमों को लेकर जहरीले नारे लगाए गए। सबसे ख़तरनाक है कि पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं है। मीडिया भी चुप है।

एक्टिविस्ट साकेत गोखले ने लिखा है- “अश्विनी उपाध्याय जिन्होंने मुसलमानों के खिलाफ हिंसा की मांग करने वाली सांप्रदायिक भीड़ को संगठित किया, उन्हें तुरंत गिरफ्तार किया जाना चाहिए।

दिल्ली पुलिस इन भीड़ को चकमा देकर बहुत खतरनाक स्थिति पैदा कर रही है। जब तक यह राकेश अस्थाना की सोची समझी चाल नहीं है, तब तक गिरफ्तारी क्यों नहीं?”

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