गोरखपुर विश्वविद्यालय: कोरोना ग्रसित हुई प्रोफेसर कॉलोनी, खाली कराया जा रहा है छात्रावास! आंदोलन पर उतरे छात्र

मुख्यमंत्री आदित्यनाथ की कर्मभूमि गोरखपुर में कड़ाके की ठंड के बीच दीन दयाल उपाध्याय यूनिवर्सिटी गोरखपुर के करीब 300 छात्र खाना कपड़ा त्यागकर वीसी आवास के सामने धरने पर बैठे हैं।

आंदोलित छात्रों का आरोप है कि उन लोगों को कोरोना के नाम पर छात्रावास से भगाया जा रहा है। जबकि कोरोना के मामले प्रोफेसर कॉलोनी में निकले हैं। छात्रों का कहना है कि प्रोफेसर कॉलोनी में कई प्रोफेसर परिवार समेत कोरोना संक्रमित मिले हैं लेकिन फिर भी प्रोफेसर कॉलोनी नहीं खाली करवायी गई है। फिर कोरोना के नाम पर छात्रों को क्यों परेशान किया जा रहा है।

बता दें कि गोरखपुर यूनिवर्सिटी प्रशासन की ओर से छात्रों को छात्रावास खाली कराने के लिए अल्टीमेटम दिया गया है। छात्र कह रहे हैं कि उनकी पढ़ाई और तैयारी का पहले ही काफी नुकसान हो चुका है। कोरोना का इतना ही डर है तो छात्रावास को सैनिटाइज करवा दिया जाये। सारे छात्रों का कोरोना टेस्ट करवा दिया जाये जो संक्रमित पाया जाए उसे क्वारंटाइन कर दिया जाए। यही प्रॉपर तरीका है। लेकिन नहीं वीसी ने तानाशाही फरमान सुना दिया कि छात्रावास खाली करो।

यूनिवर्सिटी के छात्र दीपक कुमार का कहना है कि हम छात्रों से मेस का पूरा 8 महीने का चार्ज ले लिया गया लेकिन कोरोना के नाम पर मेस की सर्विस नहीं दी गई। अब हमें छात्रावास से भी भगाया जा रहा है। हम छात्र अपनी फरियाद लेकर मुख्यमंत्री कार्यालय तक गये लेकिन हमारी सुनवाई नहीं हुई। वीसी ने हुक्म सुना दिया है लेकिन अब वो हमसे बात नहीं कर रहे हैं, हमारी परेशानी सुनने तक के लिए भी बाहर नहीं आ रहे हैं। हम अपनी समस्या लेकर कहां किसके पास जायें?

सही है कोरोना महामारी के नाम पर इस देश में लोकतंत्र का गला घोटा जा रहा है। मजलूम कमज़ोर का हक़ मारा जा रहा है। सत्ताधारी पार्टी बिहार से बंगाल तक जनसभाएं और रोड शो कर रही है लेकिन संसद सत्र बुलाने में कोरोना का ख़तरा है। गोरखपुर यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर कॉलोनी में कोरोना संक्रमण के मामले निकल रहे हैं और खाली छात्रावास कराया जा रहा है।

लेकिन छात्र भी पीछे हटने वाले नहीं हैं वो यूनिवर्सिटी के वीसी राजेंद्र सिंह का आवास घेरकर बैठे हैं और वीसी मुर्दाबाद के नारे लगा रहे हैं। वीसी आवास के सामने बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात कर दिया गया है।

(जनचौक ब्यूरो की रिपोर्ट।) 

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