बिहार विधानसभा चुनाव के लिए भाकपा-माले ने घोषणापत्र जारी कर दिया है। इसमें भूमि और कृषि सुधार और रोजगार पर जोर दिया गया है। इसके साथ ही रोजगारोन्मुख औद्योगिक विकास, बंद पड़ी सरकारी मिलों को चालू करने, बेरोजगारी भत्ता, पलायन रोकने, मोहल्ला क्लिनिक, मुफ्त दवा और जांच को भी प्राथमिकता पर रखा गया है। दोहरी शिक्षा नीति को खत्म करने की बात भी घोषणा पत्र में शामिल है।
भाकपा-माले के महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने बिहार विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी का घोषणापत्र जारी कर दिया। इस अवसर पर दीपंकर ने कहा कि नीतीश सरकार अब भी विकास और सुशासन का दावा करते नहीं अघाती, लेकिन लोकतंत्र के बुनियादी सिद्धांतों से इनका कोई लेना-देना नहीं रह गया है। डबल इंजन का दावा करने वाली सरकार की सच्चाई यह है कि ये डबल बुलडोजर की सरकार है। जनता ने इस सरकार को उखाड़ फेंकने का मन बना लिया है।
उन्होंने कहा कि 2015 के विधनसभा चुनाव में जनता ने भाजपा के खिलाफ स्पष्ट जनादेश दिया था, लेकिन भाजपा द्वारा किसी भी कीमत पर सत्ता हासिल करने के लालच और नीतीश कुमार के बेशर्म राजनीतिक अवसरवाद ने इस जनादेश का मजाक बना दिया। बिहार की जनता और जनादेश का यह अभूतपूर्व अपमान था। उन्होंने कहा कि भाजपा की सत्ता हड़पने की भूख ने अब उनके अपने गठबंधन में ही सेंध लगा दी है और लोक जनशक्ति पार्टी राजग गठबंधन से अलग हो गई है। साथ ही दर्जनों भाजपा नेता लोजपा का टिकट लेकर जदयू के खिलाफ चुनाव मैदान में उतर चुके हैं।
सत्ता के केंद्रीकरण के साथ ही चरम अहंकार और जनता और लोकतंत्र पर हमले लगातार तेज हो रहे हैं। इस बार का चुनाव डबल इंजन के नाम पर बिहार को रौंद रही डबल बुलडोजर की इस सरकार को सत्ता से बेदखल करने का निर्णायक अवसर है। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के समय भाजपा और जदयू के लोग गायब थे, लेकिन आज चुनाव में प्रचार कर रहे हैं कि वे प्रवासी मजदूरों की घर वापसी के लिए चिंतित थे, इससे हास्यास्पद क्या होगा। पलायन की हकीकत आज सबके सामने है।
घोषणापत्र के मुख्य बिंदु-
घोषणापत्र जारी किए जाने के मौके पर ऐपवा नेता कविता कृष्णन, राजाराम सिंह, केडी यादव आदि भी उपस्थित रहे।
(पटना से स्वतंत्र पत्रकार जितेंद्र उपाध्याय की रिपोर्ट।)