सरकार का काम है लोगों की सेवा करना, ‘आपदा में कमाई का अवसर’ ढूंढना नहीं: एआईकेएमएस

अखिल भारतीय किसान मजदूर सभा की केंद्रीय कार्यकारिणी ने आरएसएस के इस बयान पर कि महामारी के दौरान ‘भारत विरोधी’ ताकतें ‘नकारात्मकता’ और ‘अविश्वास’ का माहौल पैदा करने का प्रयास करेंगी’ पर गहरी चिन्ता व्यक्त की है। इस बयान द्वारा वह सरकार के खराब प्रबन्धन की आलोचना करने वालों पर निशाना साध रहे हैं।

एआईकेएमएस के महासचिव डॉक्टर मित्तल ने कहा, “जाहिरा तौर पर आरएसएस, मोदी व योगी सरकार की आलोचना से नाखुश है और इस आलोचना से ध्यान हटाने के लिए उसके सरकार्यवाह, श्री दत्तात्रेय होशबोले ने आलोचकों को ‘भारत विरोधी’ घोषित करते हुए कहा कि ये नकारात्मकता तथा अविश्वास का माहौल पैदा कर रहे हैं। वे समझते हैं कि इस महामारी में जनता की दुर्दशा और कालाबाजारी पैदा करने में उनकी सरकार की कोई भूमिका नहीं है। उन्होंने कहा कि आज इस दूसरी लहर में सरकारी प्रबंधन की दुर्दशा को देख कर विभिन्न उच्च न्यायालय भी सरकार की कमियों को, बिस्तर, ऑक्सीजन और दवाएं उपलब्ध न करा पाने की कमी को चिन्हित कर सरकार को फटकार लगा रहे हैं।

अखिल भारतीय किसान मजदूर सभा के महासचिव डॉ. आशीष मित्तल ने बयान जारी करके कहा, “देश के इतिहास में आज बहुत दुख का दिन है कि इस कोरोना महामारी के लिए उचित प्रबन्ध सरकार ने नहीं किया है, जबकि पिछले साल अक्तूबर में ही इस दूसरी लहर के आने के बारे में वैज्ञानिकों ने अगाह किया था। वैसे भी सब जानते हैं कि 1918-1920 के इन्फ्लूएंजा महामारी में तीन लहरें आई थीं और दूसरी लहर सबसे ज्यादा घातक थी। इसके बावजूद भारत सरकार ने लापरवाही बरती है।

कोरोना महामारी की दूसरी लहर के बीच ऑक्सीजन, जीवनरक्षक दवाइयो, बेड और वैंटिलेटर की कमी के लिये मोदी सरकार की कॉरपोरेट नीति को जिम्मेदार बताते हुए एआईकेएमएस ने कहा, “भारत सरकार व राज्य सरकारों ने सरकारी अस्तपालों में कोई नया बिस्तर नही बढ़ाया है, सुविधाएं मुख्यतः निजी और कॉरपोरेट अस्पतालों पर छोड़ दी है और ऑक्सीजन व दवाओं की आपूर्ति का भी प्रबन्ध नहीं किया है।”

उत्तर प्रदेश सरकार ने तो बने हुए एल 1, 2 और 3 दर्जे के बिस्तर लगभग आधे घटा दिये हैं। उदाहरण के लिए पिछले साल मई में इलाहाबाद में कुल 4110 बिस्तर उपलब्ध थे, पर इस साल ये घट कर केवल 1532 रह गए हैं। इनमें से कई निजी क्षेत्र में हैं और जो सरकारी हैं वे वही हैं, जिनको आम इलाज से हटाकर कोरोना पूल में डाल दिया है। जो सरकार मेलों के सफल आयोजन के दावे करने से नहीं थकती, आज वह इस महामारी की जिम्मेदारियों को निभाने में पूरी तरह विफल है। आज भी निजी क्षेत्र में महंगे दाम पर बिस्तर बेचे जा रहे हैं और ऑक्सीजन व दवाओं की भारी कालाबाजारी की जा रही है, कुछ 100 गुना ज्यादा रेट पर।

एआईकेएमएस ने अनुरोध किया है कि आरएसएस को इस संकट की घड़ी में सकारात्मक रवैया अपनाना चाहिये और आवश्यक वस्तुओं की काला बाजारी पर रोक लगाकर अस्पतालों में ऑक्सीजन व दवाओं की जरूरी आपूर्ति करानी चाहिए, साथ में सभी कॉरपोरेट अस्पतालों और बड़े होटलों को अधिग्रहीत करके उनमें कोरोना देखभाल की सुविधाएं विकसित करनी चाहिये।

उन्होंने कहा कि सरकार से देखभाल की मांग उठाना नकारात्कता नहीं है, पर शायद आरएसएस यह नहीं समझ सकती कि सरकार का काम लोगों की सेवा करना होता है, ‘आपदा में कमाई का अवसर’ ढूंढना नहीं।

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