झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने ईडी को दी कानूनी कार्रवाई की चेतावनी

नई दिल्ली। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने ईडी को पत्र लिखकर अपने खिलाफ जारी सम्मन को वापस लेने के लिए कहा है ऐसा न होने पर उन्होंने एजेंसी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने की चेतावनी दी है।

केंद्रीय एजेंसी ने 14 अगस्त को मनी लॉड्रिंग के एक केस में उन्हें पूछताछ के लिए रांची स्थित अपने दफ्तर बुलाया था। लेकिन वह वहां नहीं गए। उन्होंने अंग्रेजी अखबार टेलीग्राफ को बताया कि सम्मन गलत मंशा से भेजा गया है। यह कुछ और नहीं बल्कि लोकतांत्रिक रूप से चुनी गयी सरकार को अस्थिर करने के लिए राजनीतिक षड्यंत्र का हिस्सा है।  

वेब पोर्टल वायर के मुताबिक सोरेन को रक्षा की जमीन से संबंधित एक कथित घोटाले में पूछताछ के लिए बुलाया गया था। वास्तव में एक साल के भीतर यह दूसरा मौका है जब केंद्रीय एजेंसी ने मनी लॉड्रिंग के केस में सोरेन को सम्मन किया है। इसके पहले राज्य में अवैध खनन से जुड़े मनी लांड्रिंग के एक केस में उन्हें पिछली नवंबर में ईडी ने पूछताछ के लिए बुलाया था।

सोरेन ने अपने पत्र में पूछताछ के लिए बुलाए जाने वाले समय पर सवाल उठाते हुए पूछा कि “पूछताछ के लिए आप के द्वारा तय की गयी तारीख अधोहस्ताक्षरी (सोरेन) के लिए कोई अचरज भरी नहीं है। आप और आपके राजनीतिक आका इस बात को पूरी तरह से जानते हैं कि मुख्यमंत्री होने के नाते अधोहस्ताक्षरी राष्ट्रीय झंडा फहराएगा……स्वतंत्रता दिवस की तैयारी एक सप्ताह पहले से शुरू हो जाती है और 14 अगस्त का दिन उसके लिहाज से बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है जब ढेर सारी बैठकें पहले से ही तय रहती हैं…..संबंधित सम्मन…..बिल्कुल जान-बूझ कर भेजा गया है और यह न केवल अधोहस्ताक्षरी बल्कि चुनी गयी सरकार की भी प्रतिष्ठा को चोट पहुंचाने की डिजाइन का हिस्सा है”। सोरेन ने यह पत्र रांची स्थित ईडी के असिस्टेंट डायरेक्टर देवव्रत झा को लिखा है।

इसके बाद उन्होंने सम्मन वापस नहीं होने पर जांच एजेंसी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की चेतावनी दी है। उन्होंने कहा कि “अधोहस्ताक्षरी आपको संबंधित सम्मन को वापस लेने के लिए कहता है ऐसा नहीं होने पर अधोहस्ताक्षरी कानूनी रास्ते पर जाने के लिए मजबूर होगा।”

बगैर किसी लाग-लपेट के मुख्यमंत्री ने सीधे-सीधे कहा कि उन्हें इसलिए निशाना बनाया जा रहा है क्योंकि उन्होंने केंद्र में सत्तारूढ़ पार्टी के साथ समझौता नहीं किया। उन्होंने कहा कि “वास्तव में अधोहस्ताक्षरी को केंद्रीय जांच एजेंसियां पिछले एक साल से केवल इसलिए निशाना बना रही हैं क्योंकि अधोहस्ताक्षरी ने उस राजनीतिक दल से सहयोग नहीं किया जो इस समय केंद्र में सत्तारूढ़ है।” 

पिछली नवंबर, 22 में जारी किए गए सम्मन का जिक्र करते हुए सोरेन ने इस बात को चिन्हित किया कि वह पहले ही अपनी और अपने परिवार के सदस्यों की स्थाई और अस्थाई संपत्तियों की डिटेल दे चुके हैं जिसमें उनके मालिकाने की डीड के सर्टिफाइड कॉपी भी शामिल हैं। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि वह पहले ही अपने बैंक और पैन कार्ड नंबर की डिटेल दे चुके हैं। पिछले साल ही नवंबर में राज्य के कथित खनन घोटाले के मामले में उनके साथ 10 घंटे की पूछताछ की जा चुकी है।

अपने पत्र में मुख्यमंत्री ने 2020 की एक घटना का जिक्र किया है जिसमें बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे की शिकायत के आधार पर लोकपाल ने सीबीआई को उनके पिता शिबू सोरेन के खिलाफ जांच करने का आदेश दिया था।

उन्होंने कहा कि “हालांकि इस तरह की जांच में सीबीआई ने अधोहस्ताक्षरी के मालिकाने वाले स्थाई संपत्ति की गलत और अवैध तरीके से जांच को संचालित की।”  

पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक 14 अगस्त को मुख्यमंत्री के दफ्तर का एक शख्स सोरेन की तरफ से रांची स्थित ईडी के रीजनल दफ्तर पर आया और वहां एक सीलबंद लिफाफा जमा कर दिया। 

(जनचौक डेस्क पर बनी खबर।)

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