न बैंक खाता है, न ही पंजीकरण फिर आरएसएस ने कैसे की महामारी में इतनी धन उगाही?

नागपुर। नागपुर के एक कार्यकर्ता मोहनीश जबलपुरे ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और आयकर (आईटी) विभाग को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के ख़िलाफ़ शिक़ायत दर्ज़ करके संगठन के धन के स्रोत की जांच की मांग की है।

गौरतलब है कि पिछले साल जून में RSSने दावा किया था कि उसने 10 मिलियन लोगों को राशन प्रदान किया, 70 मिलियन लोगों को भोजन के पैकेट वितरित किए और 27 लाख प्रवासी मजदूरों को वित्तीय और अन्य प्रकार की सहायता प्रदान की है। आरएसएस के उपरोक्त दावों का हवाला देते हुये शिक़ायतकर्ता मोहनीश जबलपुरे ने यह जानने की कोशिश की कि आरएसएस कैसे बड़ी मात्रा में धन उत्पन्न करने में कामयाब रहा।
शिक़ायतकर्ता मोहनीश जबलपुरे ने शुरुआत में स्थानीय चैरिटी कमिश्नर और मुख्यमंत्री सचिवालय में शिक़ायत दर्ज़ करावायी थी। जिसके जवाब में असमर्थता जताते हुये स्थानीय चैरिटी कमिश्नर ने कहा था कि दक्षिणपंथी संगठन (RSS)एक पंजीकृत संस्था नहीं है इसलिए, वह कोई कार्रवाई शुरू करने में असमर्थ है।

इसके बाद शिक़ायतकर्ता मोहनीश जबलपुरे ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और आयकर (आईटी) विभाग को मंगलवार को लिखे पत्र में पूछा है – “चूंकि आरएसएस के पास कोई बैंक खाता नहीं है क्योंकि यह एक पंजीकृत संगठन नहीं है, इसने महामारी के दौरान इतनी बड़ी राशि कैसे उत्पन्न की …?”

आरएसएस के वरिष्ठ पदाधिकारी अरविंद कुकडे ने हिंदुस्तान टाइम्स को प्रतिक्रिया देते हुये कहा है कि जब भी कोई समन मिलेगा संगठन जवाब देगा। “हमारा संगठन देश के कानून में विश्वास करता है।”

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