हरियाणा में कांग्रेस की अगुआई हासिल करने के लिए हुडा ने गर्म किए हैं तेवर

हरियाणा प्रदेश में 14वीं विधान सभा के चुनाव करीब आते ही राजनीतिक करवटें बढ़ने लगी हैं! 16 अगस्त को जींद में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की रैली, 18 अगस्त को भूपेंदर हुडा की रोहतक में रैली से चुनाव की तयारियां तेज हो गई हैं!

वर्तमान भाजपा सरकार अपने लगभग 5 वर्षों के कार्यों की सफलता के आसरे एक बार फिर से सरकार बनाने के लिए उत्साहित व आश्वस्त  है। वहीं अन्य पार्टियां अपने अस्तित्व को बचाने लिए खुद को तैयार कर रही हैं ! हालांकि हरियाणा के राजनीतिक पटल पर 2014 से पहले भाजपा का कभी कोई आधार रहा नहीं है लेकिन 2014 के लोक सभा चुनाव में मिली अभूतपूर्व जीत के प्रभाव में हरियाणा भी अछूता नहीं रहा और कुछ महीने बाद हुए प्रदेश विधान सभा  चुनाव में पहली बार भाजपा पूर्ण  बहुमत हासिल कर सरकार बनाने में सफल हुयी!

1966 में हरियाणा के अस्तित्व में आने के बाद प्रदेश में मुख्यता दो ही राजनैतिक विचारधारों का बोलबाला रहा!

एक ओर कांग्रेस का मजबूत आधार था जिसे बंसी लाल, भजन लाल सरीखे  नेताओं ने आगे बढ़ाया तो विपक्ष में उपेक्षितों, किसानों, सामाजिक कमजोर वर्गों की राजनीति करने वाले देवी लाल का लोक दल जो बाद में इनेलो बना !

हरियाणा में सत्ता परिवर्तन निरन्तर होता रहा है! पिछले चुनावों में कांग्रेस की हार के अनेक कारण रहे, आपसी गुटबाजी, पुराने वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं की उपेक्षा, प्रदेश में योजनाओं के किर्यान्वयन में क्षेत्रवाद, कर्मचारी संगठनों का असंतोष, सरकारी नौकरियों में पक्षपात व सबसे मत्वपूर्ण भूपेंदर सिंह हुडा की महत्वाकांक्षा से कांग्रेस के प्रति आक्रोश! अन्य मुख्य विपक्षी दल  इनेलो सुप्रीमो ओम प्रकाश चौटाला के भ्रष्टाचार के तहत जेल जाने से भाजपा की राह आसान हो गई !

हरियणा में इस बार मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच ही होगा, क्योंकि इनेलो के गृह क्लेश ने पार्टी पर ग्रहण लगा दिया और पार्टी टूटने के बाद इनेलो के ज्यादतर पुराने समर्थक व विधायक ओम प्रकाश चौटाला की विरासत संभाले अभय चौटाला के साथ भविष्य को अंधकार में देख पलायन कर भाजपा में शामिल हो गए हैं, वहीं चौटाला परिवार के सांसद युवा नेता दुष्यंत चौटाला ने अपनी महत्वकांक्षा के चलते नयी पार्टी जेजेपी का गठन कर लिया जिसका अभी संगठन कहीं धरताल पर बना नहीं है और उसकी मूल राजनैतिक विचारधारा भी भ्रमित ही है!

भाजपा के इस बार 75 पार के संकल्प के सामने कांग्रेस अपनी अंदरूनी गुटबंदी के रहते बहुत कमजोर स्थिति में है लेकिन भूपेंदर हुडा कांग्रेस की राजनैतिक विरासत को स्थापित करने में लगे हैं! कांग्रेस के अन्य गुट जहां अलग-अलग क्षत्रों तक सीमित हैं और पूरे प्रदेश में हर विधानसभा में पर्याप्त समर्थन में भी कमजोर ही हैं !

वहीं भूपेंदर सिंह हुडा अपने समर्थकों और विधायकों को एक जुट कर अपनी ताकत के बल पर कांग्रेस को मुकाबले में लाने और सम्मानजनक परिणामों के लिए हाई कमान को आश्वस्त करने में लगे हैं! भूपेंदर सिंह हुडा लगतार दो बार मुख्यमंत्री रह चुके हैं! कांग्रेस  के अन्य गुट जिसमें कुमारी शैलजा, रणदीप सुरजेवाला, अशोक तंवर ज्यादातर केंद्र की राजनीति में ही रहे हैं! हालांकि भूपेंदर हुडा के नयी पार्टी बनाने की अटकलें भी प्रदेश में चल रही हैं लेकिन फिलहाल हुडा कांग्रेस में ही अपनी भूमिका को मजबूत करने में लगे हैं !

कांग्रेस प्रदेश में जातीय समीकरण व संतुलन बनाने का प्रयास कर रही है और आनेवाले चुनावों में भाजपा की रणनीति जाट बनाम गैर जाट की और चुनाव को ले जाने की काट के लिए भी चिंतित है! कांग्रेस के सामने चुनौती बड़ी है क्योंकि प्रदेश में भले ही सरकार न बना पाए परन्तु सम्मानजनक विपक्ष की भूमिका तक पहुंचना भी एक उपलब्धि ही होगी!

(जगदीप सिंह संधू वरिष्ठ पत्रकार हैं और हरियाणा की राजनीति पर पैनी नजर रखते हैं। आप आजकल गुड़गांव में रहते हैं।)

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