प्रदेश अध्यक्ष लल्लू की रिहाई के लिए प्रदर्शन करते सैकड़ों कांग्रेस कार्यकर्ता गिरफ्तार, जगह-जगह हुआ कार्यक्रम

लखनऊ। कांग्रेस ने अपने प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू की जेल से रिहाई के लिए आंदोलन छेड़ दिया है। इसके तहत आज सूबे में जगह-जगह धरना प्रदर्शन हो रहा है। लखनऊ और वाराणसी समेत कई जगहों पर कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारियां भी हुई हैं। 

कांग्रेस की प्रभारी महासचिव प्रियंका गांधी ने ट्वीट कर कहा है कि उप्र कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू को गरीबों, प्रवासी श्रमिकों को मदद करने के अपराध में पिछले 25 दिनों से योगी सरकार ने जेल में डाल रखा है। उनकी गिरफ्तारी राजनीतिक दुर्भावना से प्रेरित है।

उन्होंने कहा है कि उप्र सरकार इतनी भयभीत है कि उसे मौन प्रतिवाद से भी डर लगता है। बड़े पैमाने पर कांग्रेस कार्यकर्ताओं  नेताओं कि गिरफ्तारी हो रही है।

लखनऊ, वाराणसी, बिजनौर, गौतमबुद्धनगर, हापुड़, बुलन्दशहर, अमरोहा, फर्रूखाबाद, सुल्तानपुर, सहारनपुर इत्यादि शहरों में कार्यकर्ता गिरफ्तार हुए हैं। 

एक रिपोर्ट के मुताबिक वाराणसी में अजय राय समेत सैकड़ों कार्यकर्ता गिरफ्तार हैं। राजधानी लखनऊ में भी सैकड़ों कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी हुई है।

आपको बता दें कि लॉकडाउन के समय प्रवासी मजदूरों को उनके घरों तक पहुंचाने के लिए कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने सूबे की सरकार को बसें मुहैया कराने का प्रस्ताव दिया था। और इसके तहत उन्होंने 1000 वाहनों की सूची दी थी जिसमें 100-125 दूसरी गाड़ियां निकल जाने पर योगी सरकार ने सही सलामत 879 बसों को भी लेने से इंकार कर दिया था। जिसके खिलाफ कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू सड़कों पर उतर आए थे और उन्होंने धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया था। उसी दौरान पुलिस ने उन्हें लखनऊ से गिरफ्तार कर लिया। उसके बाद से ही वह जेल में हैं। और योगी सरकार उन्हें छोड़ नहीं रही है।

कांग्रेस के नेता इसके पहले भी उनकी रिहाई की मांग के लिए कई कार्यक्रमों का आयोजन कर चुके हैं। लेकिन सूबे की योगी सरकार के कान पर जूं तक नहीं रेंग रही है। एक ऐसे मौके पर जब पूरा देश संकट में है और खुद सु्प्रीम कोर्ट ने जेल में तमाम एहतियातों के मद्देनजर ज्यादा से ज्यादा कैदियों को रिहा करने की सरकारों को सलाह दी है। तब बीजेपी की सरकार राजनीतिक बदले की कार्रवाई के मकसद से नेताओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारियां कर जेल में डाल रही है।

इसके जरिये वह न केवल संविधान और कानून का वह खुला उल्लंघन कर रही है बल्कि इन नेताओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं की जान को भी जोखिम में डाल रही है। क्योंकि जेल में रहते कोरोना से संक्रमण का खतरा बहुत बढ़ गया है। ऐसे में यह बात साफ तौर पर कही जानी चाहिए कि अगर किसी भी नेता के साथ किसी तरह की अनहोनी होती है तो उसकी जिम्मेदारी सीधे सरकारों की होगी। और इस मामले में कम से कम हत्या का मुकदमा बनना चाहिए।

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