ग्राउंड रिपोर्ट: सोनभद्र में मिलावटी कोयले का चल रहा अवैध कारोबार, उद्योगपतियों को बचाने में जुटी सरकार

सोनभद्र। कोयला के नाम पर चल रहे काले कारोबार का खुलासा होने के एक पखवाड़े बाद भी अभी तक किसी की गिरफ्तारी का ना होना बता रहा है कि मिलावटी कोयले के कारोबार के पीछे बड़े सिंडिकेट का हाथ है, और बड़े लोगों का इनको संरक्षण प्राप्त है। इस मामले में कार्रवाई की पूरी प्रक्रिया सवालों के घेरे में है। इस प्रकरण में सभी जिम्मेदार मुलाजिम एक दूसरे के पाले में गेंद फेंकते नजर आ रहे हैं।

अधिवक्ता विकास शाक्य दो टूक कहते हैं कि “सोनभद्र में मिलावटी कोयले के काले खेल में बड़े उद्योगपतियों को बचाने के लिए और अधिकारी अपनी जवाबदेही से बचने के लिए कार्रवाई का कोरमा पूरा कर रहे हैं। मिलावटी कोयले का यह कारोबार किसी एक की सह पर नहीं बल्कि कइयों की साठगांठ से फलता-फूलता नजर आ रहा है।” 

बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ की सीमाओं से लगा सोनभद्र, जंगलों-पहाड़ों से समृद्ध जनपद होने के साथ-साथ अवैध खनन के कारोबार के लिए भी मुफीद बना हुआ है। अवैध खनन के कारोबार की कड़ी में मिलावटी कोयले के अवैध काले कारोबार का भी नाम जुड़ गया है। वैसे तो यह कोई नई बात नहीं है। सोनभद्र में खनन से लेकर कोयले का काला कारोबार लम्बे समय से फलता-फूलता आ रहा है।

कोयला के काले कारोबार का कनेक्शन सोनभद्र से लगे पड़ोसी जनपद चंदौली के चंदासी कोयला मंड़ी से होते हुए बरेली, झारखंड, कोलकाता तक जुड़ा हुआ है। जिनकी जड़ें कितनी मजबूत हैं और किससे जुड़ी हुई है, यह जांच का विषय तो ज़रूर है, लेकिन अभी तक की जांच में क्या सामने आया है, यह अभी दबा हुआ ही है। पूछे जाने पर संबंधित अधिकारी टका सा जवाब ‘जांच जारी है’ कहकर क़तरा जाते हैं।

कोयले का काला कारोबार।

मिलावटी कोयला के अवैध कारोबार से गुलजार है सलई बनवां 

सोनभद्र का सलई बनवां रेलवे स्टेशन जिला मुख्यालय से तकरीबन यही कोई 45 किमी दूर दक्षिण दिशा में स्थित है। यह ओबरा विधानसभा क्षेत्र, चोपन विकास खंड तथा चोपन थाना क्षेत्र अंतर्गत झारखंड राज्य की ओर जाने वाली रेलवे लाइन पर स्थित है। इस रेल लाइन से गुजरने वाली प्रमुख ट्रेन गोमो-चोपन पैसेंजर है जो दिन में दो फेरा लगाती है, सुबह-शाम। यहां दैनिक यात्रियों में अधिकांश मेहनतकश आदिवासी समाज के लोग ही दिखाई देते हैं।

सलई बनवां के बाद बिल्ली स्टेशन है जहां से झारखंड के लिए लाइन जाती है। सलई बनवां स्टेशन के एक छोर से दूसरे छोर तक माहौल बिल्कुल शांत नजर आता है। आसपास के कुछ ग्रामीणों की आवाजाही को छोड़ दिया जाए तो यहां कोई झांकना भी नहीं चाहता। जिसका भरपूर लाभ कोयला कारोबार से जुड़े लोगों को मिलता है। यही शांति उनके लिए मुफीद साबित होती आई है।

आसपास के ग्रामीण दबी जुबान में बताते हैं कि “बड़े बड़े ट्रक, हाईबा इत्यादि से कोयला लाकर यहां से मालगाड़ी पर लोड किया जाता है। इस दौरान यदि किसी भी ग्रामीण ने उधर जाने की जुर्रत की तो अवैध मिलावटी कोयला कारोबार में संलिप्त लोग ग्रामीणों पर बिफर पड़ते हैं, जिसकी वजह से कोई भी इस ओर झांकना भी नहीं चाहता।” 

सलई बनवां रेलवे स्टेशन।

यह है पूरा मामला?

सोनभद्र जनपद में कोयला व अन्य पदार्थों (ब्लैक स्टोन एंड ब्लेस, बैग फिल्टर डस्ट, डोलो चार (वेस्टेज), ईएसपी डस्ट) पर रोक लगाने के लिए जिलाधिकारी सोनभद्र चन्द्र विजय सिंह के निर्देशन में 25 अगस्त 2023 को जब कार्रवाई की गयी, तो सभी दंग रह गए। दरअसल, उप जिलाधिकारी ओबरा द्वारा सलई बनवां रेलवे साइडिंग के पास कोयला व अन्य पदार्थों से लदे वाहनों को आकस्मिक जांच के दौरान रोका गया और वाहनों में लदे खनिज पदार्थों की जांच अपर जिलाधिकारी (न्यायिक) सोनभद्र, उप जिलाधिकारी ओबरा व सुरक्षा में लगे पुलिस बल की उपस्थिति में किया गया।

जांच के दौरान 18 वाहन सड़क के किनारे खड़े पाये गये, जिसमें कोयले से इतर ब्लैक स्टोन एंड ब्लेस, बैग फिल्टर डस्ट, डोलो चार (वेस्टेज), ईएसपी डस्ट लदा हुआ था। पूछताछ करने पर यह तथ्य सामने में आया कि ट्रान्सपोर्टर के द्वारा कोयले को रेलवे रैक द्वारा विभिन्न गंतव्य स्थलों पर भेजा जाता है। बताया गया कि यह पदार्थ कोयले के रंगरूप जैसा है, जिसे सलई बनवां रेलवे साइडिंग पर लाया गया है।

सभी वाहनों के प्रपत्रों में गतव्य स्थल चन्दासी कोयला मंडी, जनपद चंदौली के भिन्न-भिन्न पिनकोड अंकित हैं। लेकिन सभी वाहन सलई बनवां रेलवे साइडिंग के पास व रेलवे साइडिंग के सम्मुख खड़े पाये गये, जिससे प्रतीत होता है कि इन पदार्थों को लाने का मुख्य उद्देश्य धोखाधड़ी कर कोयले में मिलावट कर अवैध व्यापार करना है।

रेलवे साइडिंग के पास खड़े ट्रक।

अपर जिलाधिकारी (न्यायिक) ने बताया कि सभी वाहनों को अपनी अभिरक्षा में लेते हुए वाहन स्वामी, चालक, कोयले से भिन्न पदार्थों की सप्लाई करने वाली विभिन्न कम्पनियों, ट्रान्सपोर्टरों व कोयले में धोखाधड़ी से मिलावट करने वाले अज्ञात व्यक्तियों के विरुद्ध भा.द.सं. की सुसंगत धाराओं के अन्तर्गत प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कर आवश्यक कार्रवाई की जा रही है।

दशकों से चल रहा है मिलावट का खेल

सोनभद्र के सलई बनवां रेलवे स्टेशन पर मिलावटी कोयले का कारोबार काफी लंबे समय से होता चला आ रहा है। जिसमें सफेदपोश लोगों से लेकर दबंग माफियाओं की भी संलिप्तता बताई जा रही है। बताया जाता है कि दुद्धी-चुआं से ट्रक और हाईवा दस बारह की संख्या में कोयला लद कर आगे के लिए रवाना होते हैं, जिनमें आधे वाहन तो सलई बनवां स्टेशन की राह पकड़ लेते हैं, तो शेष चंदौली के चंदासी कोयला मंड़ी की राह थाम लेते हैं। सलई बनवां स्टेशन पर मिलावट को अंजाम दिया जाता है। चारकोल-काला स्टोन की मिलावट कर कोयला में खपा दिया जाता है। स्थानीय नागरिक बताते हैं यदि इसकी जांच गहराई से हुई तो कई लोगों की गर्दन इसमें फंसती हुई नजर आएगी।

उद्योगपतियों को बचाने की कोशिश

सलई बनवां प्रकारण में दर्ज एफआईआर पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए सोनभद्र जिले में पर्यावरण संरक्षण से लेकर मानवीय मूल्यों की खातिर आवाज उठाते आए अधिवक्ता विकास शाक्य ‘जनचौक’ को बताते हैं कि “मिलावटी कोयले के काले खेल में बड़े उद्योगपतियों को बचाने और अधिकारी अपनी जवाबदेही से बचने के लिए कार्रवाई का महज कोरमा पूरा कर रहे हैं।” 

सलई बनवां एसीसी कोल प्रकरण पर एनजीटी में विचाराधीन याचिका के याचिकाकर्ता अधिवक्ता विकाश शाक्य कहते हैं कि “सलई बनवां रेलवे साइडिंग पर अवैध कोयले के भंडारण और उससे होने वाली पर्यावरण क्षति के संबंध में उच्च अधिकारियों को शिकायत भेजी गई थी, साथ ही एसीसी द्वारा प्राकृतिक जल स्रोतों को बाधित कर नष्ट करने का भी मामला अधिवक्ता अभिषेक चौबे ने एनजीटी नई दिल्ली में विकाश शाक्य बनाम यूनियन ऑफ इंडिया ओए नंबर 65/2023 दाखिल किया गया है।”

कोयले का काला कारोबार।

उन्होंने बताया कि “एनजीटी ने स्थलीय निरीक्षण के लिए कमेटी बनाई। जांच कमेटी को एसीसी द्वारा प्राकृतिक जल स्रोतों को नष्ट करने तथा कोयले के भंडारण स्थल सलई बनवां रेलवे साइडिंग का भौतिक सत्यापन कराया था। सलाई बनवां रेलवे साइडिंग पर अवैध कोल भंडारण की रिपोर्ट कमेटी ने एनजीटी में दाखिल की, जिस पर आदेश 17 मई को पारित करते हुए एनजीटी नई दिल्ली के प्रिंसिपल बेंच ने रेलवे को इसे रोकने के लिए जिम्मेदार ठहराया और उत्तर प्रदेश प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड को रेलवे के खिलाफ कार्रवाई करते हुए दो माह में हलफनामा दाखिल करने के लिए कहा।

अगली सुनवाई 16 अगस्त निर्धारित की गई, परंतु 16 अगस्त को क्रियान्वयन और सुनवाई में मोहलत मांगी गई। जिस पर अगली सुनवाई 23 नवंबर 2023 को निर्धारित की गई है। विकाश शाक्य खुले तौर पर कहते हैं कि “भारत सरकार एवं उत्तर प्रदेश सरकार ने अवैध कोल भंडारण पर खुलासा करने से बचते हुए बड़े उद्योगपतियों को बचाने के लिए वहां (सोनभद्र, सरईबनवा में) चालकों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर दिया, जो पर्याप्त नहीं कहा जाएगा। जब तक इसके पीछे किन किन लोगों का हाथ है? किसके आदेश पर यह मिलावटखोरी का खेल होता आया है? इस पर जांच कर कार्रवाई नहीं होती है।”

मीडिया को निशाना बना रहे कोयला माफिया

सलई बनवां रेलवे स्टेशन पर मिलावटी कोयले के खेल का खुलासा होने के बाद जांच की मांग से बौखलाहट में आए अवैध कोल माफियाओं द्वारा मीडिया के लोगों को निशाना बनाया जा रहा है। मिलावटी कोयला कारोबार का खुलासा होने के बाद 27 अगस्त को सलई बनवां रेलवे स्टेशन मास्टर से मिलने पहुंचे दैनिक समृद्धि न्यूज़ के सत्यदेव पांडेय, दैनिक भास्कर के चोपन संवाददाता अमलेश सोनकर, परफेक्ट मिशन के जिला संवाददाता प्रमोद कुमार भारती तथा आवाज 24 news के संवादाता कामेश्वर विश्वकर्मा पर कोल माफिया के गुर्गों ने हमला बोल दिया।

पत्रकारों पर हमला।

चारों पत्रकारों पर कोल माफियाओं द्वारा पाले गए गुर्गों ने हमला बोल कर न केवल घायल कर दिया, बल्कि अपशब्दों का प्रयोग करते हुए, रेलवे स्टेशन पर कैसे आये कहते हुए मोबाइल छीन लिया। दहशतगर्दी का आलम यह कि स्टेशन परिसर में अफरातफरी का माहौल व्याप्त हो गया।

कोल माफियाओं के गुर्गों के हमले से घायल हुए पत्रकार सत्यदेव पांडेय ने ‘जनचौक’ को बताया कि, “कुछ दिन पहले मिलावटी कोयले के काले कारोबार की जांच शासन स्तर से हुई थी, जिसमें कार्रवाई करते हुए खनिज विभाग की तरफ से मामला दर्ज कराया गया था। उसी मामले में हम सभी पत्रकार ग्राउंड रिपोर्टिंग करने सलाई बनवां गए हुए थे। हम सभी सलाई बनवां स्टेशन के नजदीक पहुंचे ही थे कि चारों तरफ से कोल माफियाओं के गुर्गों ने हमें घेर लिया। हम सभी किसी तरह सलाई बनवां स्टेशन पहुंचे इस उम्मीद के साथ कि हमें रेलवे स्टेशन मास्टर का संरक्षण मिल सकता है, लेकिन माफियाओं के बेखौफ गुर्गों ने हमें स्टेशन पर भी घेर लिया और पीछे से हमला कर दिया।”

सत्यदेव पांडेय बताते हैं कि “किसी तरह हम लोग बचकर रेलवे स्टेशन परिसर से निकले और चोपन की तरफ आने लगे तब भी उन लोगों ने हम लोगों की गाड़ियां रुकवाईं और पथराव किया। हमने पत्रकारों पर हुए हमले की लिखित शिकायत चोपन थाने में दी है। लेकिन जब रेलवे परिसर में हुए हमले के मामले में शिकायत देने की कोशिश की गई तो रेलवे प्रशासन ने मामले से ही पल्ला झाड़ लिया। ऐसे में थक-हार कर मिर्ज़ापुर जीआरपी थाने में तहरीर दी गई है।”

पत्रकारों द्वारा दी गई शिकायत।

सत्यदेव मांग करते हैं कि “लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहे जाने वाले पत्रकारों पर हमला करने वाले दोषियों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई हो, जिससे आने वाले समय में कोई भी पत्रकारों के ऊपर हमला करने की हिमाकत न करे।” वह सवाल उठाते हैं कि, यदि खबर संकलन के दौरान पत्रकारों के साथ कोई अप्रिय घटना घट जाती तो इसका जिम्मेदार कौन होता? 

खनिज संपदाओं से भरे सोनभद्र जिले में किसी भी तरह का खनन हो, उसमें बड़े पैमाने में अवैध खनन का खेल खेला जाता है। इस खेल में कुछ सफेद पोश नेता सम्मिलित होते हैं तो कुछ बड़े अधिकारी। इन्हीं की शह पर पूरा खेल खेला जाता है। कोल माइनिंग में भी बड़े सफेद पोश नेता व अधिकारियों की मिलीभगत है। तभी तो सोनभद्र में बड़े पैमाने पर कोयले का अवैध कारोबार चल रहा है। अब देखने वाली बात यह होगी कि पत्रकारों पर हुए हमले पर प्रशासन की तरफ से क्या कार्रवाई होती है?

दशकों से चलता आ रहा खेल

सोनभद्र के सलई बनवां रेलवे स्टेशन पर कई दशकों से मिलावटी कोयले का कारोबार होता आ रहा था। मजे कि बात यह है कि किसी भी जनप्रतिनिधि ने इस मामले को लेकर आवाज उठाना मुनासिब नहीं समझा। स्थानीय लोगों का कहना हैं कि कई सफेद पोश व समाज के पहरुए कहलाने वाले लोग भी इस खेल शामिल हैं। यदि सलई बनवां रेलवे स्टेशन का एक साल का लेखा-जोखा निकाल कर देखा जाए तो साफ हो जाएगा कि इस खेल में कौन-कौन से लोग सहभागिता सुनिश्चित कर रहे हैं।

(उत्तर प्रदेश के सोनभद्र, सलई बनवां से संतोष देव गिरि के साथ अजित कुमार की रिपोर्ट)

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Ñaveen mishra
Ñaveen mishra
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7 months ago

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