लाशें गिनकर भाजपा में दिया जाता है प्रमोशन!

दिसंबर 2018, बुलंदशहर में सुनियोजित सांप्रदायिक हिंसा और इंस्पेक्टर सुबोध सिंह का हत्यारोपी शिखर अग्रवाल भाजपा में पदाधिकारी बना दिया गया है। उसे प्रधानमंत्री कल्याणकारी योजना जागरूकता अभियान कार्यक्रम का जिला महामंत्री बनाया गया है। जबकि वो इंस्पेक्टर सुबोध सिंह की हत्या के आरोप में जेल जा चुका था, जमानत पर बाहर रह रहे हत्यारोपी शिखर अग्रवाल को इस पद का सर्टिफिकेट खुद बीजेपी के बुलंदशहर जिला अध्यक्ष अनिल सिसोदिया ने दिया है। 

इससे पहले 26 अगस्त, 2019 को दरअसल बुलंदशहर हिंसा के आरोपी जीतू फौजी, शिखर अग्रवाल, हेमू, उपेंद्र सिंह राघव, सौरव और रोहित राघव शनिवार को कोर्ट से जमानत लेकर जैसे ही जेल से बाहर आए, हिन्दूवादी संगठन से जुड़े लोग फूल माला पहनाकर उनका स्वागत करने लगे।

इस दौरान भारत माता की जय, वन्दे मातरम और जय श्री राम के नारे लगाए गए। शिखर अग्रवाल भाजपा युवा मोर्चा के स्याना के पूर्व नगर अध्यक्ष हैं। जबकि उपेंद्र सिंह राघव अंतरराष्ट्रीय हिन्दू परिषद के विभाग अध्यक्ष हैं।

हत्यारों को नायकत्व प्रदान करती है भाजपा 

भाजपा लिंचिंग के आरोपियों, दंगाइयों और हत्यारों को नायकत्व प्रदान करती है। 6 जुलाई 2018 को जमानत पर छूटे अलीमुद्दीन अंसारी के हत्यारों को मोदी सरकार में केंद्रीय मंत्री जयंत सिन्हा ने फूल माला पहनाकर और अपने हाथों से मिठाई खिलाकर स्वागत किया। और वंदे मातरम और भारत माता की जय के नारे लगाए गए। जाहिर है हत्यारों का स्वागत सरकार के केंद्रीय मंत्री द्वारा किए जाने से हत्यारों में एक तरह का नायकत्व आरोपित किया गया। जिससे युवा समाज के ज़्यादा से ज़्यादा लोगों को हत्या, दंगा और लिंचिंग के लिए प्रेरित किया जाए। 

मुज़फ़्फ़र नगर दंगा अभियुक्तों के अच्छे दिन

साल 2019 में उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यानाथ सरकार ने मुज़फ़्फ़रनगर दंगा आरोपी भाजपा विधायक सुरेश राणा को कैबिनेट मंत्री बना दिया गया। बता दें कि सुरेश राणा को भड़काऊ भाषण देकर दंगा भड़काने के आरोप में सितम्बर 2013 में गिरफ़्तार किया गया था। उन पर 188,153 (ए),353 और 435 के अंतर्गत मुक़दमे दर्ज़ किए गए थे। 

सीएए-एनआरसी विरोधी आंदोलन में शामिल लोगों से हर्जाना वसूलने वाली योगी सरकार ने मुज़फ़्फ़रनगर में सांप्रदायिक माहौल ख़राब करने, सम्पत्ति को बर्बाद करने के अपराधी को कैबिनेट मंत्री बना दिया। जबकि इन धाराओं में सुरेश राणा को दो महीने बाद एक स्थानीय अदालत से ज़मानत मिली। उत्तर प्रदेश में जब साल 2017 में भाजपा की पूर्ण बहुमत से सरकार बनी उसी वक़्त दंगाई सुरेश राणा को भी सरकार में शामिल किया गया था। तब उनको राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) का पद दिया गया था। दो साल बाद सरकार का विस्तार हुआ तो उनको कैबिनेट में जगह दी गई।

वहीं दूसरी तरफ़ योगी आदित्यनाथ सरकार ने एक अन्य दंगाई भाजपा विधायक संगीत सोम के ख़िलाफ़ दर्ज मुज़फ़्फ़रनगर सांप्रदायिक दंगे समेत सात मुकदमे भी वापस लेने की प्रक्रिया शुरु कर दी। इस प्रक्रिया के तहत योगी सरकार के न्याय विभाग ने संगीत सोम के खिलाफ दर्ज मामलों के बारे मे चार जनपदों के जिला प्रशासन से आख्या मांगा। रिपोर्ट आने के बाद न्यायालय के जरिये मुकदमे वापस लेने की कार्यवाही होगी। बता दें कि संगीत सोम मेरठ के सरधना से सत्तारूढ़ बीजेपी विधायक हैं और उनके खिलाफ सहारनपुर के देवबंद, मुज़फ़्फ़रनगर के खतौली, कोतवाली, सिखेड़ा, मेरठ के सरधना तथा गौतमबुद्धनगर के थाना बिसाहड़ा में मामले दर्ज हैं।

उनके ऊपर चल रहे सात मुकदमों में से दो मुज़फ़्फ़रनगर के हैं जो कि साल 2013 के मुज़फ़्फ़रनगर सांप्रदायिक दंगों के भड़काने के आरोप से संबंधित हैं। बता दें कि इन दंगों में बीजेपी सांसद संजीव बलियान, कुंवर भारतेंद्र, विधायक सुरेश राणा, संगीत सोम, उमेश मलिक और साध्वी प्राची आरोपी हैं। 

अखलाक के 15 हत्यारों को भाजपा विधायक ने दिलवाई एनटीपीसी में नौकरी

28 सितंबर 2015 को नोएडा के बिसाहड़ा गांव में मोहम्मद अखलाक की हत्या के 15 आरोपियों को दादरी स्थित नेशनल थर्मल पावर कॉरपोरेशन (एनटीपीसी) में कॉन्ट्रैक्ट पर नौकरी मिली है। ‘द हिंदू’ की रिपोर्ट के मुताबिक भाजपा विधायक तेजपाल सिंह नागर ने एनटीपीसी के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ 9 अक्टूबर को एक बैठक में 15 युवाओं की भर्ती की व्यवस्था की। एनटीपीसी के प्रवक्ता ने नौकरी की पुष्टि करते हुए ‘द हिंदू’ को बताया कि हां हमने बिसाहड़ा के बेरोजगार युवाओं को नौकरी देने का फैसला किया है। इसका अखलाक के मामले से कोई लेना-देना नहीं है।

मालेगांव बम विस्फोट की मास्टरमाइंड को संसद में भेजा

भाजपा ने नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में वर्ष 2019 के चुनाव में मालेगांव बम विस्फोट की मास्टरमाइंड साध्वी प्रज्ञा को उतारकर उसे संसद पहुंचाया। संसद पहुंचते ही इस भगवा आतंकी ने सबसे पहले बापू के हत्यारे और देश के पहले आतंकी नाथूराम गोडसे को देशभक्त बताकर उसकी चरण वंदना की थी। 

24 अक्टूबर 2008 से 25 अप्रैल 2017 तक प्रज्ञा ठाकुर इस मामले में जेल में रही हैं। उनके साथ कर्नल पुरोहित और स्वामी असीमानंद सह अभियुक्त थे। 

खुद नरेंद्र मोदी का प्रमोशन गोधरा जनसंहार के चलते हुआ

लाल कृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, राजनाथ सिंह, सुषमा स्वराज, अरुण जेटली, नितिन गडकरी, शिवराज सिंह चौहान, जैसे दिग्गज भाजपा नेताओं को पीछे छोड़कर प्रधानमंत्री की कुर्सी पर मोदी काबिज हो सके तो उसके पीछे भी एक ही वजह थी, लाशों की गिनती में वो अपने दिग्गजों से बहुत आगे खड़े थे। बाबरी मस्जिद विध्वंस और उसमें हुई लाशों की कमाई का सत्तासुख अटल बिहारी वाजपेयी ने भोग लिया जबकि सांप्रदायिक विभाजन और नफ़रत को राजनीतिक हथियार बनाने वाले लाल कृष्ण आडवाणी प्राइम मिनिस्टर इन वेटिंग से सीधे मार्गदर्शक मंडल में सजा दिए गए। क्योंकि तब उनके बरअक्श खड़े होकर सत्ता की दावेदारी का दावा ठोंकने वाले के पास लाशों का आँकड़ा उनसे ज़्यादा था। 

नरेंद्र मोदी के जरिए आरएसएस ने वो सब किया जो उसके एजेंडे में शामिल था। फिर वो हिंदुओं का सैन्यीकरण करना हो या एनआरसी-सीएए के जरिए मुसलमानों को दोयम नागरिक बनाने का एजेंडा। 

कपिल मिश्रा यानि भाजपा का अगला नरेंद्र मोदी 

भाजपा में फिलवक्त कौन ज़्यादा जहरीला है? कौन ज़्यादा बड़े दंगों को अंजाम दे सकते हैं? मुसलमानों के खिलाफ़ कौन ज़्यादा आग उगल सकता है इस बात को लेकर प्रतिस्पर्धा है जिसमें नया जुड़ा नाम है- कपिल मिश्रा। हालांकि कपिल मिश्रा के लिए दिल्ली अभी दूर है। लेकिन हां वो गुजरात मॉडल का प्रयोग दिल्ली में सफलतापूर्वक अंजाम दिया है। 53 लाशों के साथ दिल्ली भाजपा मुखिया के पद पर दावेदारी में कपिल मिश्रा के आस-पास भी कोई नहीं दिख रहा है। भाजपा का अगला नरेंद्र मोदी कौन होगा? इस सवाल को लेकर आरएसएस में कशमकश ज़रूर होगा।  इस साल फरवरी में दिल्ली में हुई सुनियोजित हिंसा व जनसंहार में भाजपा नेता कपिल मिश्रा व रागिनी तिवारी की भूमिका को देखते हुए यह कायास ही लगाया जा रहा है इन दोनों को भाजपा में बड़ी जिम्मेदारी कब दी जाएगी।

(जनचौक के विशेष संवाददाता सुशील मानव का लेख।)

सुशील मानव
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