महिलाओं के नाम रहा आज पूरा किसान आंदोलन; मंच, संचालन, वक्ताओं से लेकर सड़क पर था उनका कब्जा

किसान आंदोलन के 103वें दिन आज महिला दिवस पर सिंघु बॉर्डर, टिकरी बॉर्डर, ग़ाज़ीपुर बॉर्डर, शाहजहांपुर बॉर्डर पर मंच का प्रबंधन महिला किसानों द्वारा किया गया, सिर्फ़ इतना ही नहीं वक्ता भी महिलाएं ही थीं।

मंच और माइक संभालते ही महिलाओं ने कहा कि “हम देश के प्रधानमंत्री से कहना चाहती हैं कि वह किसानों की बातें सुनें, तीनों काले कानून वापस लें। आज इस मंच पर लगेगी इंकलाबी मेहंदी जो कि महिला को सुंदर और हाथों का सुंदरीकरण करती है और वही मेहंदी इंकलाब लाने का काम कर सकती है। 

 महिला दिवस पर महिला किसान मंच प्रबंधन, भोजन और सुरक्षा के प्रबंधन से लेकर अपने संघर्ष की कहानियों को साझा करने तक सारा जिम्मा खुद संभाल रही थीं। इसके अलावा सिंघु बॉर्डर पर महिलाएं एक छोटा मार्च भी निकालीं।

 गौरतलब है संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा पहले ही कहा गया था कि अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर सोमवार को दिल्ली की सीमाओं सिंघु, टीकरी और गाजीपुर बॉर्डर पर किसानों के आंदोलन में मंच प्रबंधन सिर्फ महिलाओं द्वारा किया जाएगा। इस अवसर पर आंदोलन में महिला किसान, विद्यार्थी और कार्यकर्ता बड़ी संख्या में शामिल होंगे।

कृषि कानूनों के खिलाफ गाज़ीपुर बॉर्डर पर चल रहे विरोध-प्रदर्शन में शामिल होने गाज़ीपुर बॉर्डर पहुंची महिलाएं एक दूसरे को मेहंदी लगाकर आंदोलन के प्रति अपनी एकजुटता दिखायीं। प्रदर्शनकारी महिलाओं ने इस मेहंदी को इंकलाबी मेहंदी नाम दिया था।  

गौरतलब है कि संयुक्त किसान मोर्चा ने दावा किया था कि अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर किसान आंदोलन में शामिल होने के लिए पंजाब के विभिन्न हिस्सों से क़रीब 40 हज़ार महिलाएं रविवार को दिल्ली के लिए निकली थीं। 

इस बीच, प्रगतिशील महिला संगठन ने गाज़ीपुर में किसानों के  धरने में भाग लेकर अंतरराष्ट्रीय कामगार महिला दिवस मनाया। वहीं घूरपुर इलाहाबाद में आज अंतरराष्ट्रीय कामगार महिला दिवस के अवसर पर प्रगतिशील महिला संगठन की रैली आयोजित की। इसके अलावा ठाकुरद्वारा मुरादाबाद में भी आज प्रगतिशील महिला संगठन की रैली आयोजित की गई। 

वहीं सासाराम बिहार में भी प्रगतिशील महिला संगठन ने कार्यक्रम का आयोजन किया। इसके अलावा बुचीगुडा मे उड़ीसा के गजपति जिला में भी प्रगतिशील महिला संगठन द्वारा आज महिला कामगार दिवस मनाया गया।

प्रगतिशील महिला संगठन के बैनर तले हजारों किसानों के बीच तीनों कृषि कानूनों को रद्द करो, भारत की खेती और भारत की जमीन को कॉर्पोरेट के हवाले करना बंद करो, पितृसत्ता मुर्दाबाद, फासीवाद मुर्दाबाद, किसानों का संघर्ष जिंदाबाद जैसे नारे जोश पूर्वक लगाते हुए विभिन्न क्षेत्रों की कामकाजी, घरेलू  महिलाएं जुलूस बनाकर तख्तियां लिए ग़ाज़ीपुर धरना स्थल पर चल रही सभा में भाग लिया।

प्रगतिशील महिला संगठन की महासचिव पूनम कौशिक ने कहा – “अंतर्राष्ट्रीय कामगार महिला दिवस पर संघर्षकारी महिलाओं ने मोदी सरकार द्वारा देश और देश की जनता पर कॉर्पोरेट की जकड़ बढ़ाने को नकारते हुए मनुवादी पितृसत्तात्मक नीतियों को मानने से इंकार करती हैं। 

उन्होंने कहा कि भारत की 60% से अधिक महिलाएं खेती कार्य में संलग्न हैं। मोदी सरकार द्वारा कोरोना लॉक-डाउन में पारित किए गए तीन कॉर्पोरेट परस्त कानूनों को रद्द कराने और एमएसपी पर कानून बनवाने के लिए संघर्षरत हैं।

खेती में लगी महिलाएं और उनके साथ एकजुटता में सभी तबकों की महिलाएं पिछले 3 महीनों से राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की सीमाओं और टोल प्लाजा कॉर्पोरेट आउटलेट तथा अन्य लगातार जारी धरनों में हजारों की संख्या में बैठी हैं। महिलाएं इस संघर्ष के समर्थन में जुलूस, विरोध प्रदर्शन ,एकजुटता कार्यक्रमों में लगातार भाग ले रही हैं। इन कानूनों का सार्वजनिक वितरण प्रणाली राशन व्यवस्था पर घातक असर होगा जबकि हजारों महिलाएं एक बेहतर राशन व्यवस्था के लिए संघर्षरत हैं। मोदी सरकार द्वारा लाया गया बिजली बिल खेती को तो तबाह करेगा ही साथी हर तबके में बिजली की लागत में कमरतोड़ वृद्धि से बेहद बुरा असर पड़ेगा।

हिंदुत्ववादी एजेंडे के खिलाफ़ खड़ी हैं महिलाएं 

प्रगतिशील महिला संगठन के आज महिला दिवस के मौके पर देश के विभिन्न हिस्सों में आयोजित कार्यक्रम में सरकार के हिंदुत्ववादी कार्पोरेटीकरण के एजेंडे पर जमकर हल्ला बोला गया। 

महिलाओं ने कहा कि – “मोदी सरकार द्वारा कॉपरेटिकरण और हिंदुत्व को एक साथ जोड़ कर देश बेचने की नीतियां सामने रखते हुए सभी प्रकार की असहमति को राष्ट्र विरोधी करार दे दिया जाता है और दबा दिया जाता है या फिर कुछ विभाजन कारी घटनाओं को करवाकर मुख्य मुद्दों से ध्यान हटा दिया जाता है।

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