स्पेशल रिपोर्ट: दिल्ली के मुस्तफ़ाबाद में विकास के नाम पर विश्वास से छल को जनता ने नकारा

नई दिल्ली। मुस्तफ़ाबाद और बृजपुरी से नवनिर्वाचित पार्षद आम आदमी पार्टी से कांग्रेस में वापस आ गयी हैं। पार्षद अब पर्दे में हैं तो दोनों के पति मोहम्मद खुशनूद और चौधरी जावेद ने मोर्चा संभाल लिया है। उत्तर प्रदेश और बिहार में स्थानीय निकाय में महिलाओं के लिए आरक्षित सीट से चुनाव जीतकर पार्षद, प्रधान, ब्लाक प्रमुख, जिला पंचायत सदस्य और जिला पंचायत सदस्य अध्यक्ष बनने वाली अधिकांश महिलाओं के पति ही प्रधान-पार्षदी संभालते हैं। मुस्तफाबाद और बृजपुरी भी इसका अपवाद नहीं है। प्रशासनिक अधिकारी भी प्रधानपति और पार्षदपति से मिलकर ‘विकास’ का काम कर लेते हैं तो जनता की क्या मजाल।

लेकिन विकास के नाम पर कांग्रेस छोड़कर आम आदमी पार्टी में शामिल होने वाली दोनों पार्षदों को यह कदम भारी पड़ा। जनता को यह धोखा बर्दाश्त नहीं था। अब भी मुस्तफाबाद में जगह-जगह लोग विरोध कर रहे हैं। महिला पार्षद तो अब घर का चूल्हा चौका संभाल रही हैं, लेकिन इस कृत्य से भड़की जनता को संभालने का काम पार्षद पति के जिम्मे है। वह लोगों से मिलकर माफी मांग रहे हैं और “जनता को भड़काने वाले शख्स” को चिहिंत भी कर रहे हैं। लेकिन जनता का गुस्सा ठंडा नहीं पड़ रहा है। स्थानीय जनता दोनों ‘गद्दारों’ को माफ करने के मूड में नहीं दिख रही है। लेकिन भड़काने वाले शख्स के तौर चिहिंत लोगों और पार्षद समर्थकों के बीच भविष्य में भिड़ंत होने से इनकार नहीं किया जा सकता है।

मुस्तफाबाद में घुसते ही आप को दीवारों पर जनता से गद्दारी और धोखा देने वाले पोस्टर दिख जाएंगे। आश्चर्य की बात यह है कि गद्दारी वाले पोस्टर वहीं लगे हैं जहां जीत की बधाई वाले पोस्टर लगे थे।

क्षेत्र में घुसते ही जब गद्दरी वाले पोस्टर पर इस रिपोर्टर की निगाह पड़ी तो पास जाकर उसे पढ़ने लगा। इतने में एक युवक वहां मुस्कराते हुए आया। बातचीत में आरिफ ने कहा कि, “अब ये चाहे कांग्रेस में रहें या फिर आप में चले जाएं, जनता से माफी मांगकर अपने को निर्दोष बताएं लेकिन इनकी असलिय़त सामने आ गयी है, अब जनता का विश्वास टूट चुका है। और इनकी इज्जत चली गयी है।”

मुस्तफाबाद में अभी भी माहौल गर्म है। दोनों पार्षद पति क्षेत्र में घूम-घूमकर लोगों से मिलकर अपने को निर्दोष बता रहे हैं। गलती के लिए माफी भी मांग रहे हैं, और विरोध प्रदर्शन को एमआईएमआईएम (AIMIM) से चुनाव लड़ने वाले की साजिश कह रहे हैं।

मुस्तफाबाद वार्ड 243 से पार्षद जीतीं सबीला बेगम के पति खुशनूद कहते हैं कि, “हम क्षेत्र के विकास के लिए आम आदमी पार्टी में शामिल हुए थे। मेरा मानना था कि एमसीडी में आप की सरकार है तो उसके साथ जाने में ज्यादा फायदा होगा, लेकिन यहां की जनता विकास नहीं चाहती तो हम वापस आ गए। जनता को जो मंजूर होगा वही करेंगे।”

बृजपुरी वार्ड की पार्षद नाजिया खातून के पति चौधरी जावेद कहते हैं कि, “हमने जल्दबाजी में कदम उठा लिया। समय गलत था। इसके पीछे का मकसद सिर्फ क्षेत्र का विकास करना था।”

फिलहाल इस घटना से दल-बदल का ऊंट पहाड़ के नीचे आ गया। जनता ने दिखा दिया कि अपने अधिकारों के प्रति सचेत रहने और विकास के नाम पर धोखा देने वालों से कैसे निपटा जा सकता है। फिलहाल पहले पूरे घटनाक्रम पर सरसरी निगाह दौड़ाते हैं।

दिल्ली नगर निगम चुनाव परिणाम आने के बाद आम आदमी पार्टी के खाते में जहां एक और राजनीतिक उपलब्धि दर्ज हो गयी वहीं देश की सबसे पुराने पार्टी कांग्रेस के नाकामियों का सिलसिला ही आगे बढ़ता दिखा। कुल 250 निगम सीटों में से आम आदमी पार्टी ने 134 सीटों पर जीत हासिल की थी। जबकि बीजेपी ने 104 सीटों पर जीत दर्ज की। कांग्रेस को 9 सीटें मिली और 3 पर अन्य की जीत हुई।

कांग्रेस के फिसड्डी प्रदर्शन ने एक बार फिर दिल्ली विधानसभा चुनाव की याद ताजा कर दी। कांग्रेस के नौ में से सात पार्षद मुस्लिम हैं। लेकिन चुनाव परिणाम आने के बाद कांग्रेस को तब तगड़ा झटका लगा जब मुस्तफाबाद से नवनिर्वाचित पार्षद सबीला बेगम और बृजपुरी से पार्षद नाज़िया खातून ने आप (AAP) का दामन थाम लिया।

इस घटना ने कांग्रेस को शर्मसार तो किया ही, इसके साथ ही दलीय आस्था, पार्टी के विचार और जनता के संघर्ष को भी किनारे रख दिया। मुस्तफाबाद की दोनों पार्षदों के साथ ही उनके पति हाजी मोहम्मद खुशनूद और चौधरी जावेद भी आप में शामिल हो गए। इस घटनाक्रम के पीछे मुस्तफाबाद के पूर्व विधायक हसन अहमद के सुपुत्र अली मेंहदी, जो कि दिल्ली कांग्रेस के उपाध्यक्ष हैं, आम आदमी पार्टी नगर निगम प्रभारी दुर्गेश पाठक और आदिल अहमद खान ने प्रमुख भूमिका निभाई।

दुर्गेश पाठक ने संवाददाता सम्मेलन में बताया कि दोनों पार्षदों और कांग्रेस नेताओं ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के काम को देखकर आप में शामिल होने का फैसला किया।

पाठक ने कहा, ‘‘हमने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस को दिल्ली की बेहतरी के वास्ते काम करने के लिये आमंत्रित किया है। मुझे खुशी है कि दिल्ली कांग्रेस के उपाध्यक्ष अली मेंहदी और पार्टी की दो नवनिर्वाचित पार्षद सबीला बेगम और नाजिया खातून ने ‘आप’ में शामिल होने की घोषणा की है।’’

उन्होंने कहा कि नेहरू विहार ब्लॉक के अध्यक्ष अली अंसारी, दिल्ली कांग्रेस के कार्यकारी सदस्य हाजी खुशनूद, मुस्तफाबाद ब्लॉक के अध्यक्ष जावेद चौधरी और शिव विहार ब्लॉक अध्यक्ष अशोक बघेल भी ‘आप’ में शामिल हो रहे हैं।

आप नेता दुर्गेश पाठक ने जब दोनों पार्षदों, उनके पति और अली मेंहदी के साथ प्रेस कांफ्रेंस शुरू किया तो मुस्तफाबाद की जनता अपने को ठगा और अपमानित महसूस किया। कांग्रेस द्वारा कोई एक्शन या बयान ना आते देखकर स्थानीय कांग्रेस नेताओं और जनता ने मोर्चा संभाल लिया। मुस्तफाबाद में जगह-जगह प्रदर्शन होने लगे, और दोनों पार्षदों का भारी स्तर पर विरोध शुरू हो गया।

हालांकि, भारी विरोध-प्रदर्शन को देखते हुए आम आदमी पार्टी में शामिल होने के कुछ घंटे बाद ही इन सभी ने घर वापसी कर ली। दिन में आम आदमी पार्टी में शामिल होने वाले उपाध्यक्ष अली मेंहदी समेत दोनों पार्षदों ने रात में ऐलान किया कि उनसे गलती हुई है और वे वापस कांग्रेस में लौट आए हैं। उक्त लोगों को राज्य सभा सांसद इमरान प्रतापगढ़ी ने करीब दो बजे रात उन्हें फिर से पार्टी में शामिल कराया।

अली मेंहदी ने सोशल मीडिया पर पोस्ट की गई एक वीडियो में कहा, “मुझे कोई पद नहीं चाहिए। मैं कांग्रेस पार्टी का कार्यकर्ता बनकर रहूंगा, मैं राहुल गांधी का कार्यकर्ता बनकर रहूंगा। मुझसे बहुत बड़ी गलती हुई है, जिसके लिए मैं अपने सभी क्षेत्रवासियों और कांग्रेस पार्टी से माफ़ी मांगता हूं।”

अली मेंहदी की माफी के सवाल पर अमजद अंसारी ने कहा कि, “सरकार में चेयरमैनी और तकरीबन बीस करोड़ रुपए के बदले कौम का सौदा करने वालों को कुछ लोग बोल रहे हैं कि माफ कर देना चाहिए। इन लोगों को शर्म आनी चाहिए। ये गलती नहीं है जो माफ कर दी जाए। ये तो जानबूझ कर सौदा किया गया था कौम का, जिसको मुस्तफाबाद की आवाम ने फेल कर दिया। ये लोग खुद गलती मान कर वापस नहीं आए हैं जो इनको माफ कर दें। ये तो पब्लिक से डर कर वापस आए हैं। इसलिए ये माफी के काबिल नहीं हैं।”

एक स्थानीय निवासी मारूफ भाई का कहना है कि यह मुस्तफाबाद के साथ धोखा है। वहीं शब्बीर खान ने कहा कि, “जनता के जनादेश की तो अब कोई वैल्यू ही नहीं रही। जनता अगर किसी पार्टी से नाराज होकर अपनी पसंद की पार्टी को वोट देती है, चुनाव जीतने के बाद दल बदलू उसी पार्टी में चले जाते हैं जिसके खिलाफ वोट दिया गया था। तो फिर चुनाव का क्या महत्व रह गया? ”

यासीन आलम कहते हैं कि, प्रेस कांफ्रेंस के दौरान इनके चेहरे कि मुस्कुराहट देख कर साफ पता लगता है कि ये किसी के बहकावे में नहीं आए बल्कि बहुत ही बेशर्मी से इन्होंने मुस्तफाबाद की जनता का हक़ बेचा है। अब ये कभी भी माफ़ी के लायक नहीं हैं। गलती अनजाने में होती है जान बूझ कर गुनाह किया जाता है। दोनों पार्षदों ने गुनाह किया है।

दरअसल, दोनों पार्षदों के कांग्रेस छोड़ने के पीछे मुस्तफाबाद विधानसभा की सीट पर कब्जा जमाने की राजनीति है। अभी वहां से हाजी यूनुस आम आदमी पार्टी के विधायक हैं। जिनको लेकर जनता में भारी आक्रोश है। क्योंकि विकास के सवाल पर वह जनता के उम्मीदों पर खरे नहीं उतर सके हैं। जनता के इस आक्रोश का फायदा आप नेता आदिल अहमद खान और कांग्रेस नेता अली मेंहदी उठाना चाहते हैं। दोनों की नजर इस सीट पर है। दूसरी तरफ हसन अहमद को भी समझ में आ गया कि कांग्रेस में रहते हुए अब उनका बेटा (अली मेंहदी) विधायक नहीं बन सकता है। ऐसे में दूरगामी राजनीति को ध्यान में रखते हुए बेटे को आम आदमी पार्टी से विधायकी का टिकट पक्का कराने की चाल चली थी। लेकिन जनता ने सब बेपर्दा कर दिया।

प्रदीप सिंह
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प्रदीप सिंह