इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के रांची केंद्र में शिकायतकर्ता पीड़िता ही कर दी गयी नौकरी से टर्मिनेट

इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (IGNCA) के रांची केंद्र में कार्यरत एक महिला कर्मचारी ने संस्थान के ही एक पुरुष कर्मचारी द्वारा दी जा रही मानसिक यातना के खिलाफ़ आवाज़ उठाई तो पूरे संस्थान ने इसे अपनी अहम का सवाल मानते हुए उक्त महिला कर्मचारी अपर्णा झा को नौकरी से ही टर्मिनेट कर दिया जबकि अभी अपर्णा झा का कॉन्ट्रैक्ट खत्म होने में समय बाकी था। 

पीड़ित महिला अपर्णा झा जनचौक संवाददाता से बताती हैं कि, “जनवरी 2020 से घटना शुरुआत होती है। हालांकि इससे पहले भी चीजें चल रही थीं पर मुझे सीधे तौर पर जनवरी से पहले धमकी नहीं मिली थी। जनवरी से मुझे मेंबर सेक्रेटरी सच्चिदानंद जोशी के नाम की धमकी मिलने लगी। राकेश पांडेय तरह-तरह के वाक्यों को बोलकर मुझे धमकाता जैसे कि ‘मैं तुम्हें तुम्हारी औकात दिखा दूंगा’, ‘मैं मेंबर सेक्रेटरी का आदमी हूँ’, ‘आपका कोर्स कोआर्डिनेट करने से क्या घंटा उखाड़ लोगे’, ‘मैं आपकी इज़्ज़त उछाल दूँगा’।

अपर्णा झा आगे कहती हैं कि “राकेश पांडेय की रोजाना की धमकी और मानसिक यातना से तंग आकर मैंने 22 जनवरी को रीजनल डायरेक्टर से लिखित शिकायत की। रीजनल डायरेक्टर रांची अजय मिश्रा ने ऑफिशियल स्तर पर निपटाने की कोशिश की। हम दोनों में बात कराके चीजों को शांत करने कोशिश की। लेकिन राकेश पांडेय और एग्रेसिव और वायलेंट हो गया कि मैं मेंबर सेक्रेटरी का आदमी हूँ। रीजनल डायरेक्टर को भी उस आदमी ने धमकाया कि आपके जैसे बहुत आए गए। मैं देख लूँगा”। 

मामला सुलझने के बजाय बिगड़ते देख रीजनल ऑफिसर ने मेरे शिकायती पत्र को दिल्ली हेड ऑफिस भेज दिया।

पुलिस स्पेशन डायरी दर्ज़ करवाई

अपर्णा झा बताती हैं कि “मैंने धमकी के मद्देनज़र अपनी निजी सुरक्षा के लिहाज़ से 24 फरवरी को एक पुलिस स्पेशन डायरी दर्ज़ करवाई था। अप्रैल में मैंने स्टेटस पता करने की कोशिश की। मैंने पूछा तो बताया गया कि आपको ईमेल भेजा गया है रीजनल लेवल पर जबकि ये झूठ था। डायरेक्टर एडमिनिस्ट्रेशन वहाँ से बोलते हैं कि आपको ईमेल गया है रीजनल लेवल पर आपका हो चुका है। मैंने फिर लिखा कि ऐसा तो कुछ नहीं हुआ है फिर आप एडमिनिस्ट्रेटर होकर झूठ क्यों बोल रहे हो। 

फिर उन लोगों ने रीजनल डायरेक्टर को फोन करके बोला कि उस लड़की को बोलो कंप्लेन वापस लेने के लिए नहीं तो उसके खिलाफ़ भी कार्रवाई होगी। तो यहां के कोऑर्डिनेटर हैं अंजनी कुमार सिन्हा उन्होंने मुझे रीजनल डायरेक्टर के सामने धमकी दी थी कि आप भी झारखंड में हो हम भी आपके पीछे पड़ेंगे, कंप्लेन करेंगे।”

बिना रीजनल डायरेक्टर की जानकारी के काउंटर कंप्लेन किया गया

अपर्णा जनचौक को फोनकॉल पर बताती हैं कि “इसके बाद मई, 2020 में मेरे खिलाफ एक शिकायती पत्र रांची सेंटर से दिल्ली हेड ऑफिस भेजा गया। बिना तत्कालीन रीजनल डायरेक्टर की जानकारी के। इस पर रीजनल डायरेक्टर अजय कुमार मिश्रा ने आईजीएनसीए के दिल्ली हेड ऑफिस को मेल करके कहा चूँकि शिकाय पत्र उनकी बिना अनुमति या जानकारी के भेजा गया है अतः यदि कोई शिकायत वहां आती है तो उसे अवैध माना जाए”।

रीजनल ऑफिसर का ईमेल जाने के बाद एक एक्सटर्नल जांच कमेटी का गठन किया गया। अपर्णा झा बताती हैं कि मई में बिना मुझे बताए गोपनीय ढंग से इन लोगों ने एक जांच कमेटी बैठाई। जांच कमेटी का कोऑर्डिनेशन किया वो भी एक लोकल एनजीओ से। हमारा सेंट्रल गवर्नमेंट का संस्थान है फिर लोकल एनजीओ को किस बुनियाद पर आपने जांच कमेटी में स्थान दिया। और बनाया तो मुझे बताया क्यों नहीं कि कौन-कौन आ रहा है? जिसको भी जांच कमेटी में बुलाओगे नोटिस तो सर्व करोगे। लेकिन इन्होंने मुझे नोटिस तक नहीं भेजा। तत्काल फोन करके बुलाया। सबसे पहले मुझे रंजना कुमारी का फोन आता है। बता दें कि रंजना कुमारी वो महिला थीं जो कि जांच कमेटी में थीं। वो मुझे फोन पर कहती हैं कि आपको फला तारीख को कैंपस आना है।        

11 जून को रीजनल डायरेक्टर ने मुझे फोन किया कि आज जांच कमेटी आ रही है आपको आना है। तो मैं गई। रंजना कुमारी अपना पोलिटिकल परिचय देते हुए कहती हैं- मैं रंजना कुमारी एबीवीपी से। आप पोलिटिकली क्या हो उससे क्या मतलब है। आप अपना परिचय तो ऑफिशियल ही दोगे न लेकिन नहीं। 

गैरकानूनी जांच कमेटी में चरित्र हनन किया गया

अपर्णा झा जांच कमेटी के पोलिटिकल कनेक्शन और उसकी वैधता पर सवाल खड़े करते हुए जनचौक को बताती हैं कि “रंजना कुमारी मुझे मुक्का दिखाकर बोलती हैं कि ऐसा नहीं होता, आपने कभी फेस किया है क्या। आप एनआरएच की नहीं हो। मैं जांच कमेटी में हो रही बातों की रिकॉर्डिंग कर रही थी तो रंजना कुमारी ने मेरा फोन छीन लिया और रिकॉर्डिंग स्टॉप कर दी। रंजना कुमारी ने धमकाते हुए ये भी कहा कि ये आपकी पहली और आखिरी जॉब है। बिना मेरी इज़ाज़त के मेरी फोटो खींचा और मेरी पर्सनल लाइफ से जुड़े सवाल किए जैसे कि मैं अकेली क्यों रहती हूँ, मैंने अभी तक शादी क्यों नहीं की। यह सब मैंने डायरेक्टर को मेल करके बताया भी था।”

झा ने आगे बताया कि  “19 जून को फैक्ट फाइंडिंग कमेटी की रिपोर्ट आने से पहले ही आरोपी राकेश पांडेय ने इस्तीफा दे दिया, जिसे स्वीकार कर लिया गया। इसके बाद 31 जुलाई को डायरेक्टर एडमिनिस्ट्रेशन मुझे मेल करता है कि जो फैक्ट फाइंडिंग कमेटी जून में आई थी उसने आपको दोषी पाया है। आपने एक आदिवासी महिला कर्मचारी बोलो कुमारी के साथ गलत बर्ताव किया है और उसके खिलाफ़ गलत शब्दों का इस्तेमाल करके आपने उसकी गरिमा को ठेस पहुँचाई है अतः आपको बिना शर्त माफी माँगनी होगी”। 

आगे उनका कहना था कि “मैंने कहा मैं माफी नहीं मागूँगी। उन्होंने मुझे कोई कॉपी दी, ना प्रॉसेस बताया। झूठे षड्यंत्र में फंसा दिया। मैंने एक व्यक्ति के खिलाफ़ आवाज़ उठाई तो ऑथोरिटी ने इसे अपना इगो बना लिया और एक ट्राइबल लड़की जो कि साल 2017 से प्रोजेक्ट असिस्टेंट के पद पर कार्यरत है को विश्वास में ले कर के मेरे खिलाफ़ कंप्लेन दर्ज़ करवाया गया। मेरे पास इसके सबूत हैं। ये एक टैक्टिकल स्ट्रेट्जी के तहत करवाया गया है ताकि में कंप्लेन वापस ले लूँ”। 

उन्होंने अपनी कहानी को आगे बताते हुए कहा कि “4 अगस्त को मैंने ऑफिस में जाकर एडमिनिस्ट्रेशन से बोला कि ये आरोप गलत है। न तो कंप्लेन की कॉपी है, ना कुछ। और सबसे बड़ी बात कि जिस इन्क्वॉयरी कमेटी की बात कर रहे हैं वो खुद अवैध है। फिर भी उसको बेस बनाकर मुझे परेशान कर रहे हो। मैंने पूछा तो कोई जवाब नहीं दिया गया और 27 अगस्त को मुझे नौकरी से टर्मिनेट कर दिया गया। जबकि मेरा कंट्रैक्ट खत्म होने में अभी काफी समय था”।  

उन्होंने बताया कि मैंने नेशनल कमीशन ऑफ वीमेन को एप्रोच किया तो वीमेन राइट कमीशन बोल रहा है कि ये मैटर ऑफिशियल है। मैंने स्टेट ह्युमराइट कमीशन को भी एप्रोच किया है। राज्य मानवाधिकार आयोग ने इस मसले पर संज्ञान लेते हुए रांची संस्थान को नोटिस जारी किया है।

नौकरी से टर्मिनेट करने के बाद अभी भी धमकाया जा रहा है 

अपर्णा झा बताती हैं कि – “नौकरी से टर्मिनेट किए जाने के बावजूद अभी भी मुझे हायर ऑथोरिटी में बैठे मेंबर सेक्रेटरी की तरफ से अलग अलग तरीके धमकी दी जा रही है। वह यह कि केस को आगे न बढ़ाऊँ नहीं तो मेरा कैरियर बर्बाद कर देंगे। ”

उन्होंने कहा कि  “28 अगस्त को मुझे टर्मिनेशन लेटर मिला। 31 अगस्त को मैंने टर्मिनेशन लेटर की प्रतिक्रिया में आईजीएनसीए के अध्यक्ष राम बहादुर रॉय और संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार के यूनियन सेक्रेटरी को एप्रोच करते हुए मुझसे व्यक्तिगत खुन्नस के चलते गैर-न्यायिक तरीके से नौकरी से निकाले जाने के मामले की जांच करवाने के लिए कहा है। 14 सितंबर 2020 को आईजीएनसीए के अध्यक्ष राम बहादुर रॉय और संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार के यूनियन सेक्रेटरी को याद दिलाने के लिए दोबारा से रिमाइंडर लेटर भेजा है। पर 10 दिन बीत जाने के बावजूद अभी तक दोनों ही जगहों से मेरे पास कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। अतः अब मैं न्याय और अपने अधिकार की लड़ाई के लिए कोर्ट जाने को विवश हूँ”।

दूसरे पक्ष ने प्रतिक्रिया नहीं दी

दिल्ली हेड ऑफिस में आईजीएनसीए के डायरेक्टर आरए रांगनेकर को फोन किया पर उन्होंने फोन नहीं उठाया। आईजीएनसीए के मेम्बर सेक्रेटरी डॉ. सच्चिदानंद जोशी, और आरोप लगाने वाली प्रोजेक्ट असिस्टेंट बोलो कुमारी ने भी फोन नहीं उठाया।

 (जनचौक के विशेष संवाददाता सुशील मानव की रिपोर्ट।)

सुशील मानव
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