नए संसद भवन का उद्घाटन: शिरोमणि अकाली दल मोदी के साथ क्यों?

पंजाब की पंथक सियासत में शिरोमणि अकाली दल अहम दर्जा रखता है। शिअद ने विधिवत घोषणा की है कि वह नए संसद भवन के उद्घाटन में अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल की अगुवाई में शिरकत करेगा। शिरोमणि अकाली दल का भाजपा से पुराना गठबंधन रहा था। किसान आंदोलन के दौरान टूट गया। बेशक पहले-पहल बादलों की अगुवाई वाला अकाली दल कृषि अध्यादेशों पर खामोश था बल्कि हरसिमरत कौर बादल ने नरेंद्र मोदी सरकार में केंद्रीय मंत्री रहते हुए लगभग अध्यादेशों के लिए समर्थन दिया था। मरहूम प्रकाश सिंह बादल और सुखबीर सिंह बादल भी खामोश रहे। शिरोमणि अकाली दल को किसान समर्थक पार्टी माना जाता है।

ग्रामीण पंजाब में उसका जनाधार है। तगड़ी किरकिरी के बाद अकाली दल ने भाजपा के साथ गठबंधन तोड़ लिया। लेकिन विधानसभा और हालिया लोकसभा उपचुनाव नतीजों ने साबित किया कि ग्रामीण पंजाब ने शिरोमणि अकाली दल को माफ नहीं किया है। प्रकाश सिंह बादल नहीं रहे लेकिन किसान और बेशुमार वर्ग शिअद से खफा हैं। जालंधर लोकसभा उपचुनाव में पार्टी को संभावित ‘सहानुभूति वोट’ भी नहीं हासिल हुए।                                      

प्रकाश सिंह बादल मत्यु के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उन्हें श्रद्धांजलि देने आए। अंतिम अरदास पर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा। भाजपा शासित कई राज्यों के मुख्यमंत्री भी आए। उसी वक्त से कयास लगने लगे थे कि शिरोमणि अकाली दल और भाजपा गठजोड़ फिर से हो सकता है। फिलहाल अकाली दल का गठबंधन बसपा के साथ है। दिवंगत कांशीराम की बदौलत पंजाब में बसपा का बाकायदा वोटबैंक है। लेकिन उतना नहीं; जितना शहरी इलाकों में भाजपा और ग्रामीण क्षेत्र में अकालियों का है।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अगर शिरोमणि अकाली दल-भाजपा गठबंधन होता है तो इसका फायदा दोनों दलों को होगा। ऐसे में दोनों पार्टियां एक-दूसरे के करीब आने की कवायद में हैं। दो दिन पहले पूर्व मुख्यमंत्री और अब भाजपा का हिस्सा हो गए कैप्टन अमरिंदर सिंह ने सुखबीर सिंह बादल से मुलाकात की। इस खास मुलाकात के बाद सरगोशियां तेज है कि आने वाले दिनों में अकाली-भाजपा गठबंधन कायम हो सकता है। कैप्टन अमरिंदर सिंह खुद सुखबीर से मिलने गए थे।                                     

चूंकि बसपा सुप्रीमो मायावती भी कतिपय कारणों से भाजपा के साथ नज़दीकियां बढ़ा रही हैं-पंजाब में माना जा रहा है कि शिरोमणि अकाली दल आने वाले दिनों में भाजपा के साथ-साथ बहुजन समाज पार्टी के साथ भी गठबंधन जारी रखेगा। नाम नहीं दिए जाने की शर्त पर शिरोमणि अकाली दल के एक वरिष्ठ नेता ने इसकी पुष्टि की। दरअसल, शिरोमणि अकाली दल (बादल) शुरू से ही आरएसएस और भाजपा समर्थक रहा है।

केंद्रवाद के प्रबल विरोधी होने का दावा करने वाले प्रकाश सिंह बादल ने अनुच्छेद 370 तोड़ने का रत्ती भर भी विरोध नहीं किया। किसान आंदोलन के शुरुआती दौर में वह पूरी तरह खामोश रहे। सुखबीर सिंह बादल और हरसिमरत कौर बादल भी। जम्मू-कश्मीर पंजाब से सटा हुआ है। जब वहां 370 हटाई गई तो बड़े पैमाने पर सूबे में जनांदोलन ने आकार लिया था। विभिन्न संगठनों ने शहर-दर-शहर रैलियां निकाली थीं।

अवाम कश्मीरियों के साथ था लेकिन बादल नरेंद्र मोदी के साथ! कश्मीर जाने वाली रसद पंजाब से होकर जाती है और तब उसमें केंद्र के इशारे पर अड़चन डाली गई। शिरोमणि अकाली दल और बादल इस पर खामोशी अख्तियार किए रहे। शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) शिअद के तहत है। तमाम विसंगतियों के बावजूद ‘लंगर’ रिवायत एसजीपीसी की बड़ी खूबी है लेकिन कश्मीर के बाशिंदे भूख के हवाले थे। वहां इस सर्वोच्च सिख संस्था ने ‘केंद्रीय लॉकडाउन’ के दौरान कुछ नहीं किया। खैर, नए संसद भवन के उद्घाटन के मौके पर शिरोमणि अकाली दल का भाजपा के साथ जाना बखूबी बताता है कि अब पंजाब में अकाली-भाजपा गठजोड़ की संभावनाएं हैं।

( अमरीक वरिष्ठ पत्रकार हैं।)

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