भारत दुनिया के सबसे बदतरीन निरंकुश देशों में से एक: स्वीडन के वी-डेम इंस्टीट्यूट की रिपोर्ट

हाल के सालों में भारत दुनिया के सबसे बुरे निरंकुश देशों में शुमार हो गया है। गुरुवार को जारी स्वीडन आधारित ‘वेरायटी ऑफ डेमोक्रेसी इंस्टीट्यूट’ की रिपोर्ट में यह बात कही गयी है। 

‘डेमोक्रेसी विनिंग एंड लूजिंग एट बैलेट’ शीर्षक से जारी इस रिपोर्ट में इंस्टीट्यूट ने कहा कि देश अभी भी 2023 के अंत तक चुनावी निरंकुश बना हुआ है जैसा कि 2018 में पहली बार इसको चिन्हित किया गया था।

स्वीडन आधारित इंस्टीट्यूट देशों को लोकतंत्रीकरण और निरंकुशता के बीच चार संक्रमणकालीन चरणों में श्रेणीबद्ध करता है।

यह चुनावी निरंकुशता को एक ऐसी व्यवस्था की तरह परिभाषित करता है जिसमें एग्जीक्यूटिव के चयन के लिए ढेर सारे चुनाव होते हैं लेकिन इसके साथ ही उसमें बोलने की आजादी और संगठन तथा स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव जैसी बुनियादी जरूरतों का बड़े स्तर पर अभाव होता है।

वी-डेम रिपोर्ट कहती है कि निरंकुशता की प्रक्रिया भारत समेत 42 देशों में चल रही है जो सामूहिक तौर पर दुनिया की 35 फीसदी आबादी का निर्माण करते हैं। इंस्टीट्यूट ने कहा कि दुनिया की 18 फीसदी आबादी का भारत प्रतिनिधित्व करता है। इसका मतलब यह है कि निरंकुशता की बेड़ियों तले दबी दुनिया की आबादी का आधा हिस्सा भारत में रहता है।  

रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में नरेंद्र मोदी सरकार ने राष्ट्रद्रोह, अवमानना और आतंकवाद विरोधी जैसे कानूनों का इस्तेमाल आलोचकों को मौन करने के लिए किया है।

इसमें आगे कहा गया है कि 2019 में यूएपीए एक्ट को बदल कर बीजेपी सरकार ने धर्मनिरपेक्षता के प्रति संविधान की प्रतिबद्धता को नजरंदाज करने का काम किया था।

2019 का यह संवैधानिक बदलाव केंद्र सरकार को व्यक्तिगत स्तर पर लोगों को आतंकी घोषित करने का अधिकार देता है। यह जांच एजेंसी एनआईए को मामलों की जांच के लिए और अधिकार देता है।

वी-डेम ने कहा कि मीडिया पर सेंसर लगाने के बढ़ते प्रयासों के क्षेत्र में भारत एल सल्वाडोर और मारीशस जैसी बदतर हमलावर सरकारों की श्रेणी में खड़ा पाया गया।

रिपोर्ट कहती है कि भारत सरकार लगातार धार्मिक स्वतंत्रता को दबा रही है। इसमें आगे कहा गया है कि राजनीतिक विरोधियों को धमकी, सरकारी नीतियों का विरोध करने वालों और एकैडमिक हिस्से में काम करने वाले आलोचकों को चुप कराना अब आम बात हो गयी है।

इंस्टीट्यूट ने कहा कि आने वाले तीसरे आम चुनावों में भी लगातार बीजेपी की जीतने की संभावना जाहिर की जा रही है। ऐसे में इस बात को चिन्हित किया जाना चाहिए कि उससे निरंकुशता और बढ़ेगी। ऐसी स्थिति में जबकि मोदी के नेतृत्व में पहले ही बड़े स्तर पर लोकतांत्रिक गिरावट दर्ज की चुकी है और अल्पसंख्यकों और नागरिक अधिकारों पर लगातार हमले हो रहे हैं।  

इंस्टीट्यूट ने कहा कि पिछले सालों में भारत के निरंकुशीकरण की प्रक्रिया को पूरी तरह से दस्तावेजीकृत किया जा चुका है। जिसमें धीरे-धीरे लेकिन बड़े स्तर पर बोलने की आजादी में गिरावट आयी है। इस हिस्से में मीडिया की स्वतंत्रता, सोशल मीडिया पर हमले, सरकार के प्रति आलोचक रुख रखने वाले पत्रकारों  का उत्पीड़न और नागरिक समाज पर हमला और विपक्षियों को धमकी जैसी बातें शामिल हैं।

इंस्टीट्यूट द्वारा किए गए 2023 के लिबरल डेमोक्रेसी इंडेक्स सर्वे में भारत का स्थान 179 देशों में 104 पर है। यह इंडेक्स लोकतंत्र के उदारवादी और चुनावी पहलुओं को कवर करता है। इसमें कुल 71 पैरामीटर शामिल हैं जिनके आधार पर इसका मूल्यांकन किया जाता है। और इनको दो हिस्सों में विभाजित किया जाता है। पहला इलेक्टोरल डेमोक्रेसी इंडेक्स और दूसरा लिबरल कंपोनेंट इंडेक्स।

इन मापकों में ‘राज्य की निरंकुशता और बहुसंख्यकों की निरंकुशता दोनों के बीच व्यक्तिगत और अल्पसंख्यक अधिकारों की रक्षा का महत्व’, पुरुष और महिला मताधिकार, चुने गए राजनीतिक अधिकारियों के बीच किस डिग्री तक सरकारी नीतियों को बनाने का अधिकार है, संस्थाओं के बीच चेक और बैलेंस और खासकर एग्जीक्यूटिव पावर को सीमित करने की क्षमता प्रमुख तौर पर शामिल हैं।

देश के विदेश मंत्रालय ने इस साल की रिपोर्ट पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। हालांकि इसके पहले वीडेम और अमेरिकी संस्था की एक रिपोर्ट पर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा था कि देश को दुनिया के स्वयंभू रखवालों से इस तरह के किसी नैतिक भाषण की ज़रूरत नहीं है। 

(स्क्रोल में प्रकाशित रिपोर्ट से साभार।)

Janchowk

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  • Swedan mein yah kaun b dem hai Jo itna ghatiya aur behuda report Kiya hai wah bhi great India ke bare mein. Us behuda ko nahi pata hai ki Bharat iss samay top par hai. Yaise report se lag raha hai ki b dem institute swayam ek atankwadi group hai.

  • This biased reporting is done to malign Indians and Modi ji. They should better improve their knowledge about real intolerance and democracy. Don't preach us.

  • ये स्वीडन वाले कौन हुवे ऐसा बोलने वाले हमे पता है हमारे देश में क्या चल रहा है और क्या चलना चाहिए क्या देशहित में है मोदी सरकार जो कर रही है ठीक कर रही है ये तो शुरू से ही रह है पश्चिमी देशों का भारत को बनाम करना।

  • पहली बात जिन्हें आप अल्पसंख्यक कह रहे हैं आपको मालूम नहीं है क्या कि पूरी दुनिया इनके आतंकवाद से पीड़ित है। भारत वर्षों तक यह दंश झेलता रहा है, भारत के यशस्वी प्रधानमन्त्री माननीय श्री नरेन्द्र दामोदरदास मोदी जी जिनके ऊपर आप जैसे बेशर्म लोग आरोप लगा रहे हैं मालूम ही नहीं है कि उनके देश का प्रधानमन्त्री बनने के बाद से पाकिस्तान से होने वाले आतंकवादी हमलों में कमी आई है और कश्मीर से धारा 370 हटने से वहाँ जनजीवन सामान्य हुआ। भारत के विषय में जानकारी नहीं होने से ऐसी बातें करते हैं लोग। बोलने की आजादी के कारण आये दिन जो दंगे होते थे उनके ऊपर बहुत हद तक काबू पाया जा सका है। इसलिए अपनी यह चालाकी भरी रिपोर्ट अपने पास रखिए हम जानते हैं कि हमेशा ऐसी रिपोर्टें भारत को अस्थिर करने के लिए वामपन्थियों का प्रोपेगैण्डा के अलावा और कुछ नहीं हैं। संविधान में संशोधन पहले भी होते रहे हैं और देशहित के लिए आवश्यक हुआ तो आगे भी होते रहेंगे, हम शान्तिप्रिय, दया, करुणा से ओतप्रोत लोगों को नजरअन्दाज नहीं कर सकते। हम उन स्वभाव से दयालु पर्यावरण प्रेमी व्यक्तियों को दरिन्दे भेड़ियों के हवाले नहीं कर सकते।अन्यथा पूरी दुनिया में अल्पसंख्यक हिन्दुओं का समूल नाश हो जायेगा। आप एक बात नोट कर लें कि भारत में हिन्दुओं के कारण ही संविधान जीवित है, जिस दिन भारत से हिन्दू और हिन्दू धर्म मिट जायेगा उसी दिन इस्लामिक सरिया कानून लागू हो जाएगा और दुनिया के नक्शे से भारत नाम का देश खत्म हो जाएगा। फिर इस्लामिक राष्ट्र के रहनुमा जो नाम रखेंगे उसी नाम से एक नया मुस्लिम देश और दुनिया के नक्शे पर दिखाई देगा। इसका वी डेम जैसी संस्थाओं को कहाँ से पता चलेगा। इसलिए भारत को अपनी चकरघिन्नी में मत पीसिए, भारत देश अपने पुरुषार्थ से आगे बढ़ता जा रहा है और एक दिन ऐसा आएगा जब हम दूसरे देशों को सिखाएँगे कि आपको अपनी जनता की सेवा कैसे करनी चाहिए।

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Janchowk